मिलिए पाकिस्तान की फर्स्ट ट्रांसजेंडर वकील से, पढ़ाई के लिए सड़क पर मांगी थी भीख, बनना चाहती है जज
कराची। ट्रांसजेंडर समुदाय को आज भी भारतीय उपमहाद्वीप में हेय दृष्टि से देखा जाता है। इस मामले में सिर्फ भारत और पाकिस्तान में हालात एक जैसे ही हैं। लेकिन अब ट्रांसजेंडर समुदाय में भी हालात बहुत धीरे-धीरे ही सही लेकिन बदलाव की बयार पहुंचने लगी है। भारत में कई क्षेत्रों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों की खबरें आती रही हैं लेकिन अब पाकिस्तान से भी एक ऐसी ही अच्छी खबर आई है। आज हम आपको पाकिस्तान की ऐसी ट्रांसजेंडर से मिलवाने जा रहे हैं जिन्हें देश की पहली ट्रांसजेंडर वकील बनकर अपने समुदाय को एक राह दिखाई है।
निशा राव पाकिस्तान की पहली ट्रांसजेंडर वकील हैं। कराची की एक अदालत में प्रैक्टिस करने वाली निशा की ख्वाहिश अब जज बनने की है। आज भले निशा राव कोर्ट रूम में बहस करती हैं। अपने मुवक्किलों को समझाती हैं लेकिन इस्लामिक गणराज्य में सड़कों से चलकर कोर्टरूम तक पहुंचने की राह इतनी आसान नहीं रही है। निशा कहती हैं कि उन्हें पाकिस्तान की पहली महिला ट्रांसजेंडर वकील बनने पर गर्व है।
ट्रांसजेंडर
की
जिंदगी
आसान
नहीं
पाकिस्तान
में
ट्रांसजेंडर
समुदाय
के
लिए
जिंदगी
आसान
नहीं
रही
है।
पहली
बार
2009
में
सुप्रीम
कोर्ट
ने
ट्रांसजेंडर
को
अपने
पहचान
पत्र
पर
तीसरे
जेंडर
के
रूप
में
लिखने
का
अधिकार
दिया
था।
2018
में
पाकिस्तानी
संसद
ने
एक
कानून
पास
किया
जिसमें
ये
कहा
गया
कि
ट्रांसजेंडर
लोगों
को
देश
में
सभी
के
बराबर
अधिकार
हैं
और
उनके
साथ
किसी
भी
तरह
का
भेदभाव
और
हिंसा
नहीं
होनी
चाहिए।
पाकिस्तान में ट्रांसजेंडर समुदायर के लोग शादियों में डांस के साथ भीख मांगकर अपना जीवनयापन करते हैं। ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के साथ यौन हिंसा आम बात है। कई बार सेक्स वर्कर के रूप में काम करने वाले ट्रांसजेंडर लोगों को पैसे भी नहीं दिए जाते।
सड़कों
पर
मांगी
थी
भीख
18
साल
की
उम्र
में
दो
ट्रांसजेंडर
लोगों
के
साथ
अपने
घर
से
भागने
के
बाद
ये
सब
झेलना
पड़ा
था।
लाहौर
से
भागकर
जब
निशा
कराची
पहुंची
तो
उनके
पास
दो
ही
रास्ते
थे।
एक
तो
वह
सड़कों
पर
जाकर
भीख
मांगें
या
फिर
सेक्स
वर्कर
बनकर
कुछ
पैसे
कमाएं।
राव
ने
पहला
रास्ता
चुना
और
रेड
लाइट
सिग्नल
पर
रुकने
वाली
गाड़ियों
में
भीख
मांगने
लगी
लेकिन
उन्होंने
तय
कर
लिया
था
कि
ये
कुछ
सम्मानजनक
काम
करना
है।
उन्होंने
पैसे
जुटाने
शुरू
कर
दिए
और
नाइट
लॉ
क्लास
के
फीस
जमा
करके
पढ़ाई
शुरू
कर
दी।
बनना
चाहती
हैं
जज
आखिरकार
उन्होंने
कई
साल
की
लॉ
की
पढ़ाई
पूरी
की
और
वकालत
का
लाइसेंस
हासिल
की।
इस
साल
की
शुरुआत
में
निशान
ने
कराची
बार
एसोसिएशन
में
रजिस्ट्रेशन
करवाया
और
अब
प्रैक्टिस
कर
रही
हैं।
हालांकि
राव
का
सपना
यहीं
खत्म
नहीं
होता।
वो
कहती
हैं
कि
वे
पाकिस्तान
की
पहली
ट्रांसजेंडर
जज
बनना
चाहती
हैं।
अब तक 50 केस लड़ चुकी निशा एक एनजीओ के साथ मिलकर काम कर रही हैं। साथ ही वे ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए भी लड़ाई लड़ती हैं। लेकिन राव के मुवक्किलों में सिर्फ ट्रांसजेंडर ही नहीं हैं। वे दूसरे लोगों के भी केस लड़ती हैं।
पाकिस्तान
में
5
लाख
ट्रांसजेंडर
2017
की
जनगणना
के
मुताबिक
20
करोड़
की
आबादी
वाले
पाकिस्तान
में
ट्रांसजेंडर
लोगों
की
संख्या
10,418
है।
लेकिन
कुछ
ट्रांसजेंडर
अधिकारों
के
लिए
काम
करने
वाले
कुछ
स्वतंत्र
समूहों
के
मुताबिक
इनकी
संख्या
5
लाख
के
करीब
है।
सड़क से उठकर अपने लिए मुकाम हासिल करने वाली निशा आज भी अपने समुदाय के लोगों का ख्याल रखती हैं। कभी उनके साथ ही सड़क पर भीख मांगने वाली एक ट्रांसजेंडर कहती हैं कि निशा कभी हमारे साथ इस सड़क पर भीख मांगत थी। आज उसने अपने लिए मुकाम बना लिया है लेकिन आज भी वह हमें भूली नहीं है। हमें जब भी कोई जरूरत होती है वह हमारी मदद के लिए पहुंच जाती है।
जानिए देश की पहली ट्रांसजेंडर पीठासीन पदाधिकारी के बारे में, रह चुकी हैं फेस ऑफ पटना