पाकिस्तान चुनाव: क्यों इमरान खान अमेरिका से इतनी नफरत करते हैं?
नई दिल्ली। पाकिस्तान क्रिकेट टीम की कप्तानी करने बाद इमरान खान अब अपने मुल्क की कमान संभालने का सपना देख रहे हैं। सर्वे के मुताबिक, इमरान खान की पार्टी ही सबसे आगे दिख रही है। इमरान खान शुरू से ही पाकिस्तान में अमेरिकी सरकार की नीतियों के खिलाफ रहे हैं और अफगानिस्तान में अमेरिका समेत नाटो सेना के खिलाफ कई बार अपनी आवाज उठाते रहे हैं। पाकिस्तानी सरकारों को अमेरिका की कठपुतली बताने वाले इमरान खान ने पिछले साल अमेरिका को स्पष्ट कहा था कि अब हम तुम्हारी लड़ाइयां नहीं लड़ेंगे। पाकिस्तान की इकनॉमी को डिस्ट्रॉय के लिए भी इमरान खान अमेरिका को दोषी ठहराते आए हैं। अफगान पॉलिसी से लेकर पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति में अमेरिकी दखलअंदाजी को लेकर इमरान खान कई बार भड़क चुके हैं। अगर आने वाले दिनों में इमरान खान पाकिस्तान की कमान संभालते हैं, तो पाक-अमेरिका रिलेशन में बहुत कुछ उठापठक देखने को मिलेगा।
युद्ध से सिर्फ कट्टरपंथी पैदा होंगे
ब्रिटिश न्यूजपेपर द गार्डियन को दिए एक इंटरव्यू में इमरान खान कहते हैं, 'जब मैं 18 साल की उम्र में यहां आया (इंग्लैंड से पढ़ाई कर) तो मैंने देखा कि कानून और मानव अधिकारों का पश्चिमी शासन, दोषी साबित नहीं होने तक निर्दोष लोगों के खिलाफ अमेरिकियों का उल्लंघन चल रहा है।' 2008 में इमरान खान ने अमेरिका के नए राष्ट्रपति बराक ओबामा को लेटर लिख कर कहा था कि जो तुम अब तक युद्ध लड़ रहे थे, वह एक अवांछित था। इमरान खान ने लिखा, 'आपको बुश के युद्ध का मालिक नहीं होना है- आप इसे वैसे भी जीत नहीं सकते हैं। इससे कट्टरपंथी पैदा हो रहे हैं। जितना अधिक आप मारेंगे उतने ही ज्यादा आप कट्टरपंथी पैदा करेंगे।'
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अफगानिस्तान में युद्ध जीता नहीं जा सकता
इमरान खान कहते हैं, 'युद्ध जीता क्यों नहीं जा सकता? सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में दस लाख से अधिक लोगों की हत्या कर दी थी। जो युद्ध शुरू हुआ था, वे उसके अंत में और भी खतरनाक ढंग से लड़ा जा रहा था। इसलिए स्पष्ट रूप से 15 मिलियन की आबादी 1 मिलियन लोगों की जान ले सकती है और अफगानिस्तान में लड़ाई चल ही रही है। उन्होंने (अमेरिकियों) अपना प्रभाव जमाने के लिए कई लोगों को मार डाला है और जरदारी को एक ऐसा नपुसंक कठपुतली बनाया, जिसके हाथ में भी कुछ नहीं आया। अमेरिकियों को पता नहीं कि अरब क्रांति तानाशाहों और कठपुतियों के खिलाफ थी। लोग लोकतंत्र चाहते हैं। इसलिए अपने स्वयं के आदमी (अमेरिकी सेना) को वहां लगाने का यह पूरा विचार एक तानाशाह और उपनिवेशवाद की तरह दिखता है। यह अब काम नहीं करेगा।'
अमेरिका का पैसा, हमारी सेना और हमारे ही लोगों का खात्मा
पिछले साल खान ने ट्वीट कर कहा था, 'हमने अफगानिस्तान में दो लड़ाइयां लड़ी है और इसमें हमने अब तक 70 हजार लोग गवांए हैं।' खान का मानना है कि अमेरिका के चंद डॉलरों के लालच आकर में हमें दूसरों की लड़ाइयां नहीं लड़नी चाहिए। गार्डियन को दिए इंटरव्यू में खान कहते हैं, 'हमारी कठपुतली सरकारें अमेरिका की सहायता कर हमारे ही देश को नष्ट करती आई है। हम मूल रूप से अमेरिकी सेना के साथ अपने लोगों को मारने के लिए हमारी सेना का उपयोग कर रहे हैं। हमें अमेरिका से अलग होना ही होगा।'
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