ईरान मसले पर भी सामने आया पाकिस्तान का दोमुंहापन, अपने इस स्वार्थ के लिए दिया अमेरिका को समर्थन
नई दिल्ली। बगदाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर शुक्रवार को हुई अमेरिकी सैन्य कार्रवाई और इस हमले में ईरानी सैन्य कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत ने पूरी दुनिया में एक नए टकराव का तनाव बढ़ा दिया है। अमेरिका की इस कार्रवाई को पाकिस्तान ने समर्थन दिया है। पाकिस्तान ने समर्थन का ये खेल इसलिए खेला है ताकि वाशिंगटन के साथ सैन्य सहयोग को फिर से शुरू कर सके। आपको बता दें कि अमेरिका ने 2018 से पाकिस्तान के साथ सैन्य ट्रेनिंग पर रोक लगा दी थी।
खुफिया सूत्रों का हवाला देते हुए, एशियन लाइट ने बताया कि इस्लामाबाद, जिसने बलूच आतंकवादी हमलों के लिए ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स कमांडर मेजर जनरल कासिम सुलेमानी को दोषी ठहराया था, उसे एक तीर से दो निशाना लगाने का अवसर मिला जब वाशिंगटन ने हवाई हमले के बाद बगदाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास समर्थन मांगा। दक्षिण मध्य एशियाई मामलों की प्रमुख उप सहायक मंत्री और क्षिण एशिया की शीर्ष अमेरिकी राजनयिक एलिस वेल्स ने ट्वीट कर खुद इसकी जानकारी दी। इतना ही नहीं अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा के साथ सुलेमानी की हत्या को लेकर नतीजों पर चर्चा की थी।
वेल्स ने ट्वीट में कहा कि ट्रंप ने पाकिस्तान के लिए सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम को फिर से शुरू करने के लिए साझा प्राथमिकताओं पर सहयोग को मजबूत करने और अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा को आगे बढ़ाने के लिए कोशिशें की हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को मजबूत करेगा। पाकिस्तान धीरे-धीरे बाकी देशों के साथ तालमेल बैठा रहा है। हाल ही में पाकिस्तान ने अपने सैनिकों की ट्रेनिंग के लिए रूस के साथ समझौता किया। इसके बाद ट्रंप सरकार की ओर से पाकिस्तान से प्रतिबंध हटाने का फैसला लिया है।
बलूच हमले में पाक के 14 सैन्य बल मारे गए
एशियन लाइट के मुताबिक पाकिस्तान सशस्त्र बल के कम से कम 14 सदस्य ईरान में बलूच अलगाववादियों के हाथों मारे गए। पाकिस्तान के खिलाफ ये ऐसे हमले थे जिसे ईरान के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी के आदेश पर अंजाम दिया गया था। ऐसे में अमेरिका के हालिया उकसावेपूर्ण कदम को पाकिस्तान ने अपने पक्ष में करने में देर नहीं लगाई। उसे लगता है कि अमेरिका के सैन्य प्रशिक्षण शुरू करने के बाद इस तरह से उसे सैन्य मदद भी मिलनी शुरू हो सकती है। हालांकि ट्रंप प्रशासन स्पष्ट कर चुका है कि सैन्य और शैक्षणिक प्रशिक्षण के अलावा पाकिस्तान को और कुछ नहीं दिया जाएगा।