कोरोना वायरस के खिलाफ दोहरी सुरक्षा देगी ऑक्सफोर्ड वैक्सीन, जानिए सितंबर तक आने वाली दवा के बारे में
लंदन। दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया और अब इसने दुनिया भर में पांच लाख से ज्यादा लोगों की जिंदगियां खत्म कर दी हैं। भारत में ही संक्रमित मरीजों का आंकड़ा एक मिलियन पहुंच गया है। ऐसे में ऑक्सफोर्ड की तरफ से तैयार हो रही इसकी वैक्सीन पर सबकी नजरें गड़ी हुई हैं। अब जो नई जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक ऑक्सफोर्ड की जो वैक्सीन सफलता की तरफ बढ़ रही है, उसके बाद लोगों को नोवोल कोरोना वायरस के खिलाफ दोहरा सुरक्षा कवच मिल सकेगा। इस वायरस के खिलाफ इस समय 155 लोगों पर कोरोना वायरस की ट्रायल्स जारी हैं जो अलग-अलग स्टेज में हैं।
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शरीर में तैयार हुए T-Cells
23 ऐसी वैक्सीन हैं जो फेज 3 क्लीनिकल ट्रायल में पहुंच चुकी हैं। इस ट्रायल में हजारों वॉलेंटियर्स पर परखा जाता है कि उनके शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ कोई इम्यून सिस्टम डेवलप हुआ है या नहीं है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जैनर इंस्टीट्यूट की तरफ से वैक्सीन कैंडीडेट ने हाल ही में सुर्खिंया बटोरी थीं। बुधवार से ही इस कैंडीडेट पर हुए शुरुआती ट्रायल्स की काफी चर्चा थी। ऑक्सफोर्ड की इस वैक्सीन को एस्ट्रा जेनेका की तरफ से मदद की जा रही है। ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि वैक्सीन कैंडीडेट के शरीर में एंटी-बॉडी के अलावा जानलेवा टी-सेल्स भी डेवलप हुए हैं। इन सेल्स व्हाइट ब्लड सेल के तौर पर भी जाना जाता है। इसकी वजह से इस वैक्सीन से उम्मीद जगी है कि यह वायरस के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने में सफल रहेगी।
कैसे होगा दोहरा बचाव
हाल ही में यह खबरें आई थीं कि अगर कोई कोविड-19 पॉजिटिव हो चुका है तो फिर तीन माह के अंदर सुरक्षात्मक एंटी-बॉडी कमजोर पड़ जाते हैं। ऐसे में लंबे समय तक इम्युनिटी देने वाली वैक्सीन को तैयार करना बहुत ही मुश्किल है। टी-सेल्स लंबे समय तक इंसानों के शरीर में रहते हैं और यह उस वायरस को नष्ट कर सकते हैं जिसकी वजह से संक्रमण फैलता है। इसके बाद संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सकता है। मीडिया के मुताबिक इस तरह से यह एक सकारात्मक घटनाक्रम है जिसमें यह पता लगता है कि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन कोरोना वायरस से शरीर को दोहरी सुरक्षा प्रदान करती है। यह वैक्सीन टी-सेल्स और सुरक्षात्मक एंटी-बॉडी दोनों को डेवलप कर पाती है। इसलिए वायरस से दोहरा बचाव हो सकता है।
अभी तय करना है लंबा सफर
ट्रायल में शामिल एक वैज्ञानिक ने अपना नाम न बताने की शर्त पर डेली टेलीग्राफ को बताया है कि ऑक्सफोर्ड वैक्सीन कैंडीडेट के जो नतीजे आए हैं, वो काफी सकारात्मक हैं। इस वैज्ञानिक ने कहा, 'मैं आपको बता सकता हूं कि हमें यह मालूम है कि ऑक्सफोर्ड वैक्सीन दोनों ही बातों पर खरी उतरती है-यह शरीर में टी-सेल का निर्माण करती है और साथ ही एंटी-बॉडी प्रतिक्रिया भी देती है। इन दोनों का ही मिश्रण आने वाले दिनों में लोगों को सुरक्षित रखेगा। अभी तक यह काफी बेहतर और महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। लेकिन अभी काफी सफर तय करना है।'
सितंबर तक आने की उम्मीद
ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को एक कमजोर एडेनोवायरस के स्ट्रेन से तैयार किया जा रहा है। इस वायरस की वजह से सामान्य सर्दी जुकाम होता है और इसे कोरोना वायरस के जेनेटिक प्रोटीन के साथ मिलाने पर शरीर का इम्यून सिस्टम प्रतिक्रिया देता है। वैक्सीन कब तक मिल पाएगी इस पर डेली टेललीग्राफ ने ट्रायल के डेटा पर मुहर लगाने वाले बर्कशायर रिसर्च एथिक्स कमिटी के चेयरमैन डेविड कार्पेंटर के हवाले से जानकारी दी है। उन्होंने कहा है, 'किसी एक तारीख का दावा नहीं किया जा सकता, कुछ भी गलत हो सकता है लेकिन असलियत ये है कि एक बड़ी फार्मा कंपनी के साथ काम करते हुए वैक्सीन सितंबर तक बड़े स्तर पर मुहैया की जा सकती है और इसी लक्ष्य पर वे काम कर रहे हैं।'