ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी पहली बार करने जा रही है बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का टेस्ट
लंदन। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय पहली बार बच्चों में अपने कोरोना वैक्सीन का परीक्षण करने की योजना बना रहा है। इसी के साथ ऑक्सफोर्ड यह आकलन करने वाला डेवलपर बन गया है कि क्या युवाओं में इसका कोरोनो वायरस शॉट प्रभावी है या नहीं। ऑक्सफोर्ड की तरफ से इस बात की घोषण शनिवार को की गई। इसमें कहा गया है कि COVID-19 वैक्सीन प्राप्त करने वाले 240 और नियंत्रण मेनिनजाइटिस वैक्सीन के साथ 6 से 17 वर्ष के बीच के 300 स्वयंसेवकों की भर्ती किया जाएगा। ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के ट्रायल के मुख्य शोधकर्ता एंड्रयू पोलार्ड का कहना है कि बच्चे COVID-19 से गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ते हैं, "बच्चों और युवाओं में टीके की सुरक्षा और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को कुछ बच्चों के रूप में स्थापित करना महत्वपूर्ण है।
ऑक्सफोर्ड की तरफ से कहा गया है कि वैक्सीनेशन के लिए इस महीने लगभग 300 स्वयंसेवकों को नामांकित किया जाएगा और पहले इनोकुलेशन की उम्मीद की जाएगी। आपको बता दें कि आक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को 'वर्ल्ड वैक्सीन' के तौर पर बताया गया है क्योंकि यह अन्य की तुलना में सस्ता और आसान है। एस्ट्राजेनेका का इस साल 3 बिलियन डोज उत्पादन का लक्ष्य है तो अप्रैल तक हर महीने 200 मिलियन से अधिक खुराक का उत्पादन करने का टारगेट दिया गया है।
सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा- अक्टूबर तक आ जाएगी बच्चों की वैक्सीन
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) बच्चों के लिए भी कोरोना का टीका विकसित कर रही है। इंस्टीट्यूट की तरफ से कहा गया है कि बच्चों के लिए टीका इस साल अक्टूबर तक तैयार कर लिया जाएगा। इतना ही नहीं अगर रिस्पॉंस अच्छा रहा तो अक्टूबर से ही बच्चों को वैक्सीन लगाना शुरू भी कर दिया जाएगा।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के आयात निर्यात डायरेक्टर पीसी नांबियार ने कोच्चि में एक कार्यक्रम के दौरान इस बात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह टीका बच्चों को उनके जन्म के एक महीने के भीतर लगाई जाएगी। उन्होंने कहा कि आगे इसी वैक्सीन को दवा के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि अगर बच्चे कोरोना से संक्रमित हों तो उन्हें यह दी जा सके।
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