क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Coronavirus vaccine: जानिए कैसे तैयार होती है कोई वैक्‍सीन

Google Oneindia News

लंदन। दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया और अब इसने दुनिया भर में करीब छह लाख लोगों की जिंदगियां खत्‍म कर दी हैं। भारत में ही संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 11 लाख पहुंच गया है। ऐसे में ऑक्‍सफोर्ड की तरफ से तैयार हो रही इसकी वैक्‍सीन पर सबकी नजरें गड़ी हुई हैं। अब जो नई जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक वैक्‍सीन पूरी तरह से सुरक्षित है। यह शरीर में एक इम्‍यून रिएक्‍शन को तैयार करती है। इस वायरस के खिलाफ इस समय 155 लोगों पर कोरोना वायरस की ट्रायल्‍स जारी हैं जो अलग-अलग स्‍टेज में हैं। लेकिन आखिर एक वैक्‍सीन कैसे तैयार होती है और कैसे यह खतरनाक वायरस के खिलाफ काम करती है, यह भी काफी रोचक जानकारी है।

<strong>यह भी पढ़ें-कोरोना के खिलाफ दोहरी सुरक्षा देगी ऑक्‍सफोर्ड वैक्‍सीन!</strong>यह भी पढ़ें-कोरोना के खिलाफ दोहरी सुरक्षा देगी ऑक्‍सफोर्ड वैक्‍सीन!

Recommended Video

Coronavirus : Human Trial के फेज-1 और 2 में पहुंचे दो स्वदेशी Corona Vaccine | वनइंडिया हिंदी
वायरस या बैक्‍टीरिया से ही बनती दवाई

वायरस या बैक्‍टीरिया से ही बनती दवाई

किसी भी वायरस की वैक्‍सीन, वायरस या फिर बैक्‍टीरिया की मदद से ही तैयार होती है। उन्‍हें इस प्रक्रिया में कमजोर कर दिया जाता है ताकि वायरस दोबारा पैदा न हो सके। बच्‍चों को इसलिए टीके लगवाए जाते हैं। बच्‍चे वैक्‍सीनेशन की वजह से ही किसी भी वायरस और बैक्‍टीरिया के प्रति काफी एक्‍सपोज हो जाते हैं और उनमें इम्‍यूनिटी यानी प्रतिरोधात्‍मक क्षमता विकसित होती है। किसी भी वायरस की वैक्‍सीन चार प्रकार से तैयार की जाती है और इन सभी प्रक्रियाओं में वायरस को कमजोर किया जात है।

बदला जाता है वायरस का जीन

बदला जाता है वायरस का जीन

वायरस के ब्‍लूप्रिंट या जीन को बदल दिया जाता है ताकि वायरस की पुनरावृत्ति बेहद ही खराब ढंग से हो। वायरस के ब्‍लू प्रिंट को सेल कल्‍चर एडैप्‍टेशन प्रक्रिया के जरिए बदला जाता है। इसके तहत उक स्‍पेशलाइज्‍ड सेल को लैब में तैयार किया जाता है। क्‍योंकि वायरस हमेशा जिंदा रह सकते हैं, इसलिए कुछ हद तक वह इस प्रक्रिया के बाद भी खुद को तैयार कर लेते हैं। इन्‍हें जिंदा और कमजोर वायरस के तौर पर करार दिया जाता है। वैक्‍सीन प्रोडक्‍शन कई चरणों से गुजरता है। पहले में एंटीजेन अपने आप में डेवलप होता है।

दो तरह से करती है काम

दो तरह से करती है काम

वायरस को या तो प्राइमरी सेल्‍स पर पैदा किया जाता है या फिर मुर्गी के अंडों पर इन्‍हें तैयार किया जाता है। बैक्‍टीरिया बायो-रिएक्‍टर्स में तैयार किए जाते हैं। वैक्‍सीन को तैयार करना पूरी तरह से एक जैविक प्रक्रिया का हिस्‍सा होता है। वैक्‍सीन में मौजूद एजेंट शरीर के इम्‍यून सिस्‍टम को तेज करते हैं और वायरस की पहचान करके उसे पूरी तरह से नष्‍ट कर देते हैं, ताकि संक्रमण न बढ़ने पाए। वैक्‍सीन दो तरह से काम करती है एक तो प्रोफाइलेटिक यानी भविष्‍य में होने वाले किसी संक्रमण से बचाना। दूसरी है थेरैपेटिक यानी जो बीमारी पहले ही हो चुकी है उसे ठीक करना, जैसे कैंसर।

कैसे बनता है कोई डोज

कैसे बनता है कोई डोज

वैक्‍सीन के जरिए वायरस या फिर बैक्‍टीरिया के खिलाफ लड़ने वाले एंटी-डोट को तैयार किया जाता है। इसके बाद जानवरों पर इसे टेस्‍ट किया जाता है। ह्यूमन ट्रायल इसका सबसे मुश्किल और लंबा फेज होता है। वैक्सीन तैयार करने में एक ऐसा सिस्‍टम पहले डेवलप किया जाता है जिसमें एक खास बीमारी को पैदा किया जाता है। इसे पैथोजेन कहते हैं और पैथोजेन एक वायरस या बैक्टेरियम होता है। इसके बाद पैथोजेन में कुछ बदलाव किए जाते हैं ताकि यह तय हो सके कि यह कोई बीमारी नहीं पैदा करेगा। इसके बाद इस पैथोजेन को अन्य टीके की चीजों के साथ मिलाया जाता है जैसे स्टेबलाइजर्स, प्रिजर्वेटिव। इस तरह टीका का डोज तैयार होता है।

Comments
English summary
Oxford coronavirus vaccine: How are vaccines made and how they work.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X