लादेन अभियान पाक-अमेरिका का फिक्स मैच था, पाक का कैदी था ओसामा
वाशिंगटन। अल कायदा का चीफ ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में जाकर मार गिराना अमेरिका के इतिहास की सबसे अहम घटना में शामिल है। एक तरफ जहां अमेरिका ने इस ऑपरेशन को पूरी तरह से खुद की उपलब्धि बतायी तो वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान इसे अपनी खुफिया रिपोर्ट की उपलब्धि मान रहा है।
पाकिस्तानी अखबार द डॉन ने एक रिपोर्ट में यह दावा किया है कि 2010 में पाकिस्तान के खुफिया अधिकारी ने अमेरिका को ओसामा के ठिकाने के बारे में जानकारी दी थी जिसके बाद अमेरिकी सील के कमांडो ने एबटाबाद में लादेन को मार गिराया था।
लेकिन इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता एडवर्ड प्राइस ने कहा कि यह सभी दावे निराधार हैं। उन्होंने कहा कि लादेन के बारे में जानकारी सिर्फ अमेरिकी शीर्ष अधिकारियों के पास थी। वहीं पुलित्जर प्राइज विजेता पत्रकार और लेखर सेमर हर्श ने अमेरिका का लादेन अभियान को एक धोखा करार दिया है।
पूर्व आईएसआईएस चीफ असद दुर्रानी ने फरवरी 2015 में जो बयान दिया था वह हर्श के बयान के जैसा ही है। दुर्रानी ने कहा था कि लादेन का अभियान पाकिस्तान और अमेरिका की बीच आपसी समझौते का परिणाम था।हालांकि हर्श के दावे को अमेरिकी व्हाइट हाउस ने सिरे से खारिज कर दिया है लेकिन हर्श के लेख में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य अमेरिका के इस अभियान पर सवाल उठाते हैं।
क्या
दुर्रानी
और
हर्श
के
दावे
में
हकीकत
है
हर्श
ने
अपने
लेख
में
कई
सूत्रों
का
हवाला
दिया
है।
हर्श
का
दावा
है
कि
लादेन
पाकिस्तान
की
खुफिया
एजेंसी
का
एबटाबाद
में
2006
से
कैदी
था।
इसकी
जानकारी
पाकिस्तान
के
खुफिया
अधिकारी
ने
अमेरिका
को
दी
थी।
जिसके
बाद
पूर्व
नियोजित
योजना
के
तहत
लादेन
का
अभियान
चलाया
गया
था।
वहीं दुर्रानी ने भी इसी साल फरवरी में यह दावा किया था कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच लादेन के लेकर समझौता हुआ था। लेकिन क्या इन दोनों ने जो खुलासा किया है उसमें कुछ सच्चाई है या फिर शक ही एकमात्र इसकी बुनियाद है।
भारत में भी कई अधिकारी इस बात को मानते हैं कि दोनों के दावें में कुछ हद तक सच्चाई है। पाकिस्तान को एकदम से अमेरिका की ओर से सैन्य मदद बड़ी संख्या में मिलनी शुरु हो गयी थी।
ओबामा
लादेन
के
मामले
को
राजनैतिक
रुप
से
भुनाना
चाहते
थे
अगर अमेरिका में लादेन के बारे में घटनाक्रम पर नजर डालें तो यह साफ हो जाता है कि लादेन के अभियान के बारे में पहले से ही पता था लेकिन वह इस बारे में कुछ कहना नहीं चाहते थे। अफगानिस्तान में लगातार हवाई हमलों के बाद अमेरिका ने मुल्ला उमर और लादेन को मार गिराने की दावा किया।
दुनिया का सबसे खुंखार आतंकवादी लादने पाकिस्तान के एबटाबाद में था और पूरी दुनिया को इस बात की जानकारी नहीं थी यह बात थोड़ी समझ के परे है। ओबामा का पहला कार्यकाल काफी उठापटक भरा रहा था और उन्हें इस बात का अंदाजा था कि वह दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्पति नहीं बन पायेंगे। लिहाजा ओसामा बिन लादेन का अभियान ओबामा के लिए काफी कारगर साबित हुआ।
अमेरिका में बुरी तरह से आर्थिक गिरावट का दौर चल रहा था। लेकिन बावजूद इसके अमेरिकी चुनाव के दौरान लादेन के मुद्दे को ओबामा ने जमकर भुनाया था। उन्होंने अपने बयानों में खुद कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से लादने के अभियान पर नजर बनायी हुई थी।
लादने
को
देने
के
लिए
पाकिस्तान
था
राजी
अमेरिका
ने
लादेन
को
उस
वक्त
मार
गिराया
जब
उसकी
महत्ता
पूरी
तरह
से
खत्म
हो
चुकी
थी।
ओबामा
को
एक
चुनावी
मुद्दा
चाहिए
था
और
पाकिस्तान
को
सैन्य
मदद।
इन्हीं
दोनों
मुद्दे
पर
दोनों
देशों
के
बीच
सहमति
बनी
थी।
लादेन को अफगानिस्तान से पाकिस्तान में सुरक्षित स्थान पर 2004 में ही स्थानांतरित किया गया था। लादेन यहीं से पाकिस्तान की मदद से अल कायदा चीफ लादेन अल कायदा को संभाल रहा था। लेकिन 2011 तक अपनी खराब सेहत के चलते लादने अल कायदा के साथ आईएसआई के लिए भी निरर्थक साबित हो चुका था। एबटाबाद से मिले दस्तावेजों से साफ था कि लादेन अल कायदा की गतिविधियों से खुश नहीं था।
छिपे
हुए
लादेन
को
कैसे
पकड़ा
गया?
पाकिस्तान की जानकारी के बिना उसके देश में अंतर्राष्ट्रीय सीमा में हवाई जहाज उड़ रहे थे और उसको इसकी भनक भी नहीं लगी यह बात बिल्कुल भी गले नहीं उतरती है। एबटाबाद में घंटों चले अभियान का पाकिस्तान को खबर नहीं लगी यह बात भी समझ से परे है। इन वजहों के चलते इस अभियान पर कई सवाल उठते हैं।