ओसामा की मां का खुलासा- कैसे बना उनका सबसे प्यारा बेटा खूंखार आतंकी
नई दिल्ली। न्यूयॉर्क सिटी में वर्ल्ड ट्रेड टॉवर पर अटैक कर दुनिया के सबसे खूंखार आतंकियों की लिस्ट में शामिल हुआ ओसामा बिन लादेन की मां ने एक ब्रिटिश न्यूज पेपर 'द गार्डियन' को इंटरव्यू देकर कई खुलासे किए हैं। सऊदी अरब के धनी लोगों में शुमार बिन लादेन का परिवार इन दिनों अपनी खोई हुई विरासत और पहचान को फिर से हासिल करने में लगा है। ओसामा बिन लादेन की मां आलिया घानेम के साथ उनके दो बच्चे अहमद और हसन और उनके दूसरे पति मोहम्मद-अल अत्तास रहते हैं। ग्लोबल टेररिज्म से लिंक रखने वाले शख्स के बारे में बताने के लिए उनके परिवार में हर किसी की अपनी एक कहानी है, लेकिन उसकी मां घानेम बताती है कि कैसे उसका सबसे प्यारा बेटा रास्ता भटका और अमेरिका का मोस्ट वॉन्टेड बन गया।
अब्दुल्ला आजम से मुलाकात और ओसामा बना कट्टरवादी
घानेम बताती है कि ओसामा अपने स्कूल के दिनों में बहुत ही शर्मिला, लेकिन पढ़ाई में बहुत होशियार था। ओसामा जब सऊदी के जेदाह शहर में किंग अब्दुल्लाजिज यूनिवर्सिटी में पढ़ने गया, तब उसकी मुलाकात अब्दुल्ला आजम से हुई। अब्दुल्ला आजम मुस्लिम ब्रदरहुड (सुन्नी इस्लामिक संगठन) का मेंबर था। ओसामा की आजम के साथ खूब बनती थी। ओसामा की मां ने कई बार उसे आजम से दूर रहने के लिए कहा था। लेकिन, ओसामा ने कभी अपनी मां को नहीं बताया कि वह क्या कर रहा है और किस ओर जा रहा है। आजम ने ओसामा का बहुत ब्रेन वॉश किया। ब्रदरहुड का मेंबर होने की वजह से आजम को सऊदी ने देश निकाल दिया, लेकिन तब तक वह ओसामा का धार्मिक सलाहकार बन चुका था।
रूस से लड़ने अफगानिस्तान रवाना
शीत युद्ध जब अपने चरम पर था, तब रूस ने अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए अस्सी के दशक में अफगानिस्तान में घुसपैठ किया। 1980 की शुरुआत में ओसामा रूसी लड़ाकों को खदेड़ने के लिए सऊदी से अफगानिस्तान पहुंच गया। शुरू में तो ओसामा और यहां तक कि सऊदी सरकार ने भी इसका समर्थन किया, लोग उसे क्रांतिकारी मानने लगे। लेकिन, बाद में ओसामा मुजाहिद बन गया। उसके परिवार ने ओसामा को आखिरी बार 1999 में देखा था, जब सभी लोग उससे मिलने के लिए अफगानिस्तान पहुंचे थे। अफगानिस्तान में कुछ साल रहने के बाद ओसामा सुडान चला गया और 1990 के दशक में उसकी एक राजीनिक विचारधारा भी बनी। यही कारण है कि उसने उस दौरान यमन से मार्क्सवादियों को खदेड़ने का भी मन बनाया था।
1996 में तालिबान के सरगना से मुलाकात
ओसामा बिन लादेन 1996 में अफगानिस्तान वापस आ गया और इस बार कंधार में उसकी मुलाकात तालिबान के सरगना मुल्ला उमर से हुई। लेकिन, उस दौरान सऊदी चाहता था कि ओसामा बिन लादेन को कैसे भी करके अपने देश में वापस लाया जाए। उस वक्त तुर्की-अल-फैजल सऊदी अरब खुफिया एजेंसी के चीफ थे और वह ओसामा को हर हालत में बंधक बनाना चाहते थे। सितंबर 1998 में तुर्की अफगानिस्तान गए और मुल्ला उमर से मुलाकात की। उमर ने तुर्की से कहा, 'आप इस योग्य व्यक्ति को कैसे सता सकते हैं, जिसने मुसलमानों की मदद करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। तुर्कि ने कहा कि उन्होंने उमर को चेतावनी दी कि वह जो कर रहा है, वह अफगानिस्तान के लोगों को नुकसान पहुंचाएगा।
अमेरिका का ओसामा के ठिकाने पर अटैक और फिर 9/11
1998 में तंजानिया और केन्या में अमेरिकी दूतावासों को तालिबान ने निशाना बनाया और इसका बदला लेने के लिए अमेरिका के अफगानिस्तान में ओसामा के ठिकानों पर पहला अटैक कर दिया। इस घटना के बाद सऊदी, अमेरिका और ब्रिटेन के लिए ओसामा को जिंदा या मुर्दा पकड़ना एक लक्ष्य बन गया। उधर ओसामा की टीम ने अमेरिका पर बदलना के लिए योजना बनाई थी। लेकिन 9/11 से एक महीने ही पहले सऊदी खुफिया एजेंसी को पता चला गया था कि ओसामा ने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस या अरब में कुछ बड़ा करने के लिए योजना बना चुका है, लेकिन कहां, क्या होगा, इसकी कोई जानकारी नहीं थी।