कोरोना से 10 में से 1 डायबिटिक मरीज की हफ्ते भर में हो रही है मौत
नई दिल्ली- कोरोना वायरस और उससे संक्रमित डायबिटिक मरीजों को लेकर एक बहुत ही डराने वाली स्टडी सामने आई है। ये रिसर्च फ्रांस में तेरह सौ से ज्यादा डायबिटिक मरीजों पर अध्ययन के बाद जारी की गई है, जिसके मुताबिक 10 में से हर एक डायबिटीज के मरीज अस्पताल में भर्ती होने के 7 दिनों के भीतर ही दम तोड़ देते हैं। इस रिसर्च में डायबिटीज के मरीजों और कोविड-19 बीमारी को लेकर और भी कई तरह की बात कही गई हैं। यह रिसर्च 'डायबिटोलॉजिया' नाम के जर्नल में प्रकाशित हुई है, जो 50 से ज्यादा अस्पतालों से जुटाए गए पुख्ता आंकड़ों पर आधारित है।
डायबिटिक के लिए जानलेवा साबित हो रहा है कोरोना
कोरोना वायरस से संक्रमित हर 10 में एक डायबिटिक मरीज की अस्पताल में भर्ती होने के हफ्ते भर के अंदर ही मौत हो जा रही है। एक नई स्टडी में यह दावा किया गया है। यह रिसर्च 'डायबिटोलॉजिया' (Diabetologia)नाम के जर्नल में प्रकाशित हुआ है। फ्रांस के शोधकर्ताओं के मुताबिक डायबिटीज से जुड़ी दिक्कतों और ज्यादा उम्र मौत की जोखिम को ज्यादा बढ़ा देता है। ऊपर से ज्यादा बॉडी मास इंडेक्स (BMI) होने पर मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट की भी जरूरत बढ़ जाती है और साथ ही साथ उनकी मौत का खतरा भी ज्यादा हो जाता है।
हर 10 में से 1 मरीज की हुई मौत
शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष फ्रांस के 53 अस्पतालों में 10 मार्च से 31 मार्च के बीच भर्ती 1,317 मरीजों पर रिसर्च के बाद निकाला है। जिन मरीजों पर रिसर्च हुआ है, उनमें से अधिकतर (89 फीसदी) टाइप 2 डायबिटीज से पीड़त थे, जबकि सिर्फ 3 फीसदी को ही टाइप 1 डायबिटीज थी। बाकी मरीजों के मामले में डायबिटीज का टाइप अलग था। रिसर्च के हिस्सा रहे सभी मरीजों में से हर 5 में से एक मरीज (20.3 फीसदी) को वेंटिलेटर का सपोर्ट देना पड़ा और प्रत्येक 10 में से एक मरीज (10.3 फीसदी) की मौत हो गई।
ये समस्याएं बन रही हैं जानलेवा
'डायबिटोलॉजिया' में प्रकाशित रिसर्च में यह भी बताया गया है कि जिन मरीजों पर शोध किया गया उनमें 47 फीसदी को माइक्रोवैस्कुलर समस्याएं (आंख, किडनी और नर्व्स) थीं, जबकि 41 फीसदी मरीज वैसे थे जिनमें मैक्रोवैस्कुलर समस्याएं (हृदय, मस्तिष्क और पैर की नसों की) मौजूद थीं। रिसर्च में यह भी पाया गया है कि इन समस्याओं से पीड़ित मरीजों की 7 दिन के अंदर की मौत के जोखिम को दो गुना बढ़ा देता है। जबकि, ज्यादा उम्र वालों की मौत की बात पहले से कही जा रही है और इस रिसर्च में भी उसकी तस्दीक की गई है। इस शोध के मुताबिक जिन डायबिटिक मरीजों की उम्र 75 साल से ज्यादा थी, उनमें 55 साल से कम उम्र वाले मरीजों के मुकाबले मौत का आंकड़ा 14 गुना ज्यादा पाया गया। जबकि, जिन मरीजों की उम्र 65 से 74 साल के बीच थी, उनकी मौत की आशंका 55 साल से कम उम्र के मरीजों के मुकाबले 3 गुना ज्यादा पाई गई है।
शुगर का इलाज जारी रखना फायदेमंद
हालांकि, रिसर्च में यह भी सामने आया है कि डायबिटीज के जो मरीज ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन या कोई दूसरा इलाज करा रहे हैं, वह कोविड-19 के गंभीर मामलों के लिए भी जोखिम वाला नहीं है और ऐसे शुगर मरीजों को अपना ट्रीटमेंट जारी रखना चाहिए।
जगह और परिस्थितियों के मुताबिक अलग हो सकते हैं नतीजे
रिसर्च से जुड़े विशेषज्ञों की राय में मेडिकली ये हालात हर जगह के लिए वहां की परिस्थितियों के मुताबिक अलग भी हो सकती हैं। लेकिन, यह बात तो साफ है कि जो बुजुर्ग शुगर से पीड़ित हैं, उन्हें कोरोना वायरस से बचाव और देखभाल की ज्यादा जरूरत है।
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