नूरसुल्तान नज़रबायेव: मध्य एशिया का सबसे ताक़तवर राष्ट्रपति
एक बार फिर से पश्चिमी मीडिया के एजेंडे पर नूरसुल्तान नज़रबायेव प्रमुखता से आ गए हैं.
कज़ाकस्तान की राजधानी अस्ताना में उनकी तस्वीरें हर जगह दिख जाती हैं. इसे बड़े से बर्फ़ीले देश में हवाई अड्डों, सड़कों, स्कूल और चौक-चौराहों पर उनका नाम लिखा हुआ मिलता है.
साल 1991 में सोवियत संघ ने कज़ाकस्तान छोड़ा था और नूरसुल्तान नज़रबायेव तभी से इस एशियाई देश के राष्ट्रपति हैं.
कज़ाकिस्तान में बहुत से लोग नूरसुल्तान नज़रबायेव को हीरो तरह देखते हैं लेकिन कई ऐसे भी हैं जो उन्हें अहंकारी तानाशाह मानते हैं.
नूरसुल्तान नज़रबायेव इस समय अमरीका की यात्रा पर हैं और मंगलवार को उनकी मुलाकात राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप से हुई. और एक बार फिर से पश्चिमी मीडिया के एजेंडे पर नूरसुल्तान नज़रबायेव प्रमुखता से आ गए हैं.
इस महीने की शुरुआत में भी वो सुर्खियों में थे, जब कज़ाकिस्तान ने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभाली थी.
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अमरीका का रणनीतिक साझीदार
राष्ट्रपति ट्रंप ने नूरसुल्तान नज़रबायेव से मुलाकात के बाद कहा, "कज़ाकस्तान अच्छा काम कर रहा है."
ट्रंप ने आगे कहा, "दरअसल चीज़ें काफी बदल गई हैं. कज़ाकिस्तान अन्य देशों की तुलना में फ़ायदे की स्थिति में है. सच कहूं तो उनकी भी अपनी मुश्किलें हैं लेकिन कज़ाकस्तान में राष्ट्रपति की बहुत इज़्ज़त है, उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है. उनसे मिलना सम्मान की बात है."
बदले में नूरसुल्तान नज़रबायेव ने भी व्हाइट हाउस में 'पहले कामयाब वर्ष' के लिए ट्रंप को बधाई दी.
साल 2001 में अफ़ग़ानिस्तान में जंग शुरू होने के बाद से ही कज़ाकस्तान अमरीका का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझीदार है.
नूरसुल्तान नज़रबायेव मध्य एशिया के उन इकलौते नेताओं में से एक हैं जो 21वीं सदी में अमरीका पर शासन करने वाले तमाम अमरीकी राष्ट्रपतियों से एक से ज्यादा बार मिल चुके हैं.
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ये भी दिलचस्प है कि कज़ाकस्तान ने न केवल अमरीका से ही बेहतर रिश्ते बनाए रखे हैं, बल्कि यूरोपीय संघ, रूस और चीन से भी उसके अच्छे संबंध हैं. रूस, चीन, तुर्कमेनिस्तान, उज़्बेकिस्तान और किर्गिस्तान के बीच अपनी अनूठी भौगोलिक स्थिति की वजह से ख़ास है.
कज़ाकिस्तान इस इलाके में तेल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. उसे पूर्वी एशिया और मध्य पूर्व के बीच एक अहम गलियारे के तौर पर देखा जाता है.
पूर्व सोवियत गणराज्यों में से इसकी अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी है. कज़ाकस्तान के पास गैस, टंगस्टन, ज़स्ता और चांदी के बड़े भंडार हैं और ये यूरेनियम के प्रमुख निर्यातकों में से एक है.
इन हालात में दुनिया के नौवें सबसे बड़े देश कज़ाकस्तान पर पिछले 27 सालों से हुकूमत कर रहे इस विवादास्पद नेता के बारे में लोगों की दिलचस्पी बढ़ जाती है.
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कौन हैं नूरसुल्तान नज़रबायेव
77 साल के नूरसुल्तान नज़रबायेव कज़ाकस्तान के स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उदय से पहले ही सत्ता में आ गए थे.
उनकी आधिकारिक जीवनी के मुताबिक़ वे 1940 में ऐसे परिवार में पैदा हुए थे, जो ग़रीबी से बचने के लिए घूमंतू बन गया था. 1980 से 1991 के बीच वे कज़ाक कम्यूनिस्ट पार्टी के ताक़तवर फ़र्स्ट सेक्रेटरी बन गए थे.
उसी साल सोवियत संघ का पतन हुआ और उन्होंने खुद को नए गणतंत्र के राष्ट्रपति पद के लिए इकलौते उम्मीदवार के तौर पर पेश किया.
वे बड़े अंतर से चुनाव जीते. उस चुनाव में नूरसुल्तान नज़रबायेव को 90 फीसदी से भी ज्यादा वोट मिले थे. हालांकि उनका कार्यकाल केवल चार साल का ही था. लेकिन उन्होंने और सात साल सत्ता में रहने के लिए क़ानूनी इंतज़ाम कर लिया.
आख़िरकार कज़ाकस्तान की संसद ने एक क़ानून पारित कर केवल उन्हें ये छूट दी कि वे आजीवन राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकें. कज़ाकस्तान के संविधान के अनुसार कोई व्यक्ति केवल दो कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति बन सकता है.
आर्थिक सुधार
27 सालों से नूरसुल्तान नज़रबायेव इसी तरह से राष्ट्रपति के ओहदे पर काबिज़ हैं. उन्होंने अपने सभी चुनाव पहले चुनावों में मिले मार्जिन से ज्यादा अंतर से जीते हैं.
इससे वहां के कमज़ोर विपक्ष का अंदाजा लगाया जा सकता है और कुछ अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक तो यहां तक कहते हैं कि वे चुनावी धांधली के ब्रैंड हैं.
लेकिन हक़ीकत तो यही है कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर उनकी तारीफ करने वाले और उनकी मुखालफ़त करने वाले दोनों तरह के लोग मिल जाते हैं.
नूरसुल्तान नज़रबायेव के प्रशंसक इस बात के लिए उनकी सराहना करते हैं कि उन्होंने आर्थिक सुधार किए और कज़ाकस्तान को सोवियत दौर के एक पिछड़े देश से क्षेत्र के विकसित देशों में ला दिया.
इन बदलावों ने उन्हें मध्य एशिया के अमीर लोगों में ला दिया. फोर्ब्स मैगज़ीन के मुताबिक़ वे एक अरब डॉलर से ज्यादा की प्रॉपर्टी के मालिक हैं.
आधिकारिक आंकड़े कहते हैं कि कज़ाकस्तान के दरवाज़े दुनिया के लिए खोलने की वजह से वहां बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश आया और इससे सरकारी खजाने को 2,00,000 मिलियन अमरीकी डॉलर का फ़ायदा हुआ. 17 मिलियन की आबादी वाला कज़ाकस्तान एक ऐसा देश है जो एक मुख्यतः एक कबायली समाज है. इसकी नस्ली हिंसा की पृष्ठभूमि रही है.
लेकिन इसके बावजूद कज़ाकस्तान इस क्षेत्र के सबसे शांत देशों में से एक है. कज़ाकस्तान की विदेश नीति भी ऐसी रही है कि उसने सभी देशों से अच्छे रिश्ते रखे हैं. वो एक साथ अमरीका, रूस और चीन से मधुर संबंध बरकरार रखता है.
सत्ता के बेज़ा इस्तेमाल के आरोप
नूरसुल्तान नज़रबायेव ने कज़ाकस्तान को पूर्व सोवियत देशों में सबसे आगे रखा है. अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में कज़ाकस्तान की अपनी ख़ास जगह है. लेकिन नूरसुल्तान नज़रबायेव पर सत्ता के बेज़ा इस्तेमाल के आरोप भी लगते रहे हैं. चाहे वो देश की राजधानी अलमाती से अस्ताना ले जाने का फैसला हो या फिर नेशनल अल्फाबेट का मुद्दा.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी कज़ाकिस्तान के सत्ता संघर्ष और आर्थिक स्थिति में आई गिरावट को लेकर सवाल उठाए हैं. संस्था का कहना है कि कज़ाकस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति ख़राब हुई है. अंतरराष्ट्री संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बोर्डर्स ने अपनी रिपोर्ट में कज़ाकस्तान में प्रेस की आज़ादी पर लगी पाबंदी का मुद्दा उठाया है.
कज़ाकस्तान में राष्ट्रपति के सम्मान पर हमला करना अपराध है और उनकी छवि की रक्षा के लिए मुल्क में केवल यही एकमात्र कानून नहीं है. नूरसुल्तान नज़रबायेव ने ऐसे इंतज़ाम किए हैं कि उनकी मौत के बाद भी उन पर सवाल नहीं उठाये जा सकते हैं.
कज़ाकस्तान में 2020 में चुनाव होने हैं और उनके विरोधियों को लगता है कि वे एक बार फिर से राष्ट्रपति बन जाएंगे.