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फिर एनएसजी में भारत की सदस्‍यता पर चीन का जवाब

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बीजिंग। स्विट्जरलैंड, अमेरिका और मैक्सिको की ओर से भारत को एनएसजी क्लब में दाखिले पर मिले समर्थन के बाद चीन इस मामले में कड़ा रुख अपनाता दिख रहा हैं। रविवार को चीन की ओर से कहा गया है कि कौन सा देश न्‍यूक्लियर टेक्‍नोलॉजी से जुड़े पहलुओं वाले इस ग्रुप का हिस्सा बन सकता है और कौन सा नहीं, इसके लिए आम सहमति जरूरी है।

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Now China claims not many countries agreeing on India’s NSG membership

शुरुआत से ही चीन रहा है विरोधी

चीन के मुताबिक इसके लिए और अधिक बातचीत की जरूरत है। गौरतलब है कि 48 देशों वाले एनएसजी में चीन, भारत की एंट्री का विरोध कर रहा है। अमेरिका ने इस मामले में भारत के साथ खड़े होने की बात कही है लेकिन न्यूज़ीलैंड, टर्की, साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रिया भी भारत के दाखिले का विरोध कर रहे हैं।

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एनपीटी पर भारत ने‍ नहीं किए हैं साइन

एनएसजी ऐसे देशों का संगठन है, जिनका लक्ष्य न्‍यूक्लियर वेपेंस और उनके प्रोडक्‍शन में प्रयोग हो सकने वाली टेक्‍नोलॉजी, इक्विपमेंट्स, सामान के प्रसार को रोकना या कम करना है। भारत को एनएसजी की सदस्यता से जुड़े कई फायदे नियमों के तहत 2008 की छूट के दौरान ही मिल गए थे जब वॉशिंगटन के साथ भारत की परमाणु संधि हुई थी।

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एनपीटी पर भारत ने नहीं किए हैं साइन

भारत ने अभी तक परमाणु अप्रसार संधि या एनपीटी पर साइन नहीं किया है। इसका काम न्‍यूक्लियर वेपेंस का विस्तार रोकने और न्‍यूक्लियर टेक्निक के शांतिपूर्ण ढंग से इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि गैर एनपीटी देशों के एनएसजी क्लब में दाखिल होने के मुद्दे को लेकर अभी भी काफी मतभेद है।

राष्‍ट्रपति जिनपिंग से बात कर सकते हैं मोदी

माना जा रहा है कि एनएसजी सदस्यता के दावे पर पीएम मोदी खुद चीन के राष्ट्रपति को मना सकते हैं। हालांकि अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी साल ताशकंद में 23 और 24 जून से आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन में हिस्सा लेने जा सकते हैं। अगर पीएम मोदी सम्‍मेलन में गए तो वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग से एनएसजी में भारत की सदस्यता के दावे को लेकर बात कर सकते हैं।

English summary
Now China claims not many countries agreeing on India’s NSG membership. Reports are also coming that Prime Minister Narendra Modi may talk to Chinese president Xi Jinping on this issue.
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