सिर्फ स्नेहा दुबे ही नहीं, जानिए उन यंग डिप्लोमेट्स के बारे में, जो दे चुकी हैं पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब
भारत में इस परंपरा को शुरूआत करने का श्रेय पूर्व राजनयिक सैय्यद अकबरुद्दीन को जाता है। उनके कार्यकाल में ही पाकिस्तान को जवाब देने के लिए फस्ट्र सेक्रेटरी को भेजा जाता है।
न्यूयॉर्क, सितंबर 26: संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को करारा जवाब देकर सुर्खियां बटोरने वाली स्नेहा दुबे पहली भारतीय यंग डिप्लोमेट नहीं हैं, जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत का पक्ष रखा हो। भारत के युवा राजनयिकों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मंच पर दिए गए पिछले भाषणों पर एक नजर डालने से पता चलता है कि यह एक परंपरा है, जिसे भारत ने संयुक्त राष्ट्र में बनाए रखा है। भारत के नये डिप्लोमेट को ही पाकिस्तान के अनुभवी डिप्लोमेट्स और राजनेताओं को जवाब देने के लिए आगे बढ़ाया जाता है और भारत के यंग डिप्लोमेट्स ने हमेशा से पाकिस्तान को परेशानी में डाला है।
भारत की नीति
भारत ने यह परंपरा पूर्व भारतीय डिप्लोमेट सैयद अकबरुद्दीन के कार्यकाल के दौरान शुरू की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, सैयद अकबरुद्दीन अपने इस कदम से पाकिस्तान को यह संदेश देना चाहते थे, कि भारत के युवा राजनयिक ही संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों को जवाब देने के लिए पर्याप्त हैं। पाकिस्तान को जवाब देने के लिए भारत के सीनियर डिप्लोमेट्स को सामने आने की जरूरत भी नहीं है और उन्होंने ही भारत के यंग डिप्लोमेट्स को संयुक्त राष्ट्र के मंच पर पाकिस्तान को जवाब देने के लिए आगे बढ़ाया।
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सैयद अकबरुद्दीन ने शुरू की परंपरा
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यह परंपरा पूर्व भारतीय दूत सैयद अकबरुद्दीन के कार्यकाल के दौरान शुरू हुई थी। उस समय से, भारत ने पाकिस्तानी नेताओं को जवाब देने का अधिकार देने के लिए युवा राजनयिकों को मैदान में उतारा। संदेश यह है कि संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों को लेने के लिए भारत को वरिष्ठ राजनयिकों की आवश्यकता नहीं है। समाचार एजेंसी पीटीआई के एक विश्लेषण में कहा गया है कि युवा राजनयिक ही पाकिस्तान के लिए पर्याप्त हैं।
ईनम गंभीर, 2016 से 2017
सितंबर 2016 में संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन में तत्कालीन प्रथम सचिव ईनम गंभीर ने पाकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ के संयुक्त राष्ट्र महासभा के संबोधन के बाद काफी सख्त जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि, "दुनिया अभी तक नहीं भूली है कि अमेरिका पर हुए उस नृशंस हमले की राह पाकिस्तान के एबटाबाद तक गई। तक्षशिला की भूमि, जो प्राचीन काल के सबसे बड़े शिक्षा केंद्रों में से एक है, अब आतंकवाद के आइवी लीग की मेजबानी कर रही है। तक्षशिला में दुनियाभर के छात्र प्रेरणा लेने जाते हैं, लेकिन पाकिस्तान ने तक्षशिला को दहशर्दी का अड्डा बना दिया है और अब इसके विषाक्त पाठ्यक्रम का प्रभाव दुनिया भर में महसूस किया जाता है।"
2017 में भी किया था करार वार
2017 में भी ईनम गंभीर ने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी को करार जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि, "अपने छोटे से इतिहास में ही पाकिस्तान आतंक का पर्याय बन गया है। शुद्ध भूमि की तलाश ने पाकिस्तान ने वास्तव में 'शुद्ध आतंक की भूमि' का निर्माण किया है। पाकिस्तान अब आतंकवादी देश है... इसकी वर्तमान स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के नेता हाफिज मोहम्मद सईद अब एक राजनीतिक दल के नेता के रूप पाकिस्तान में रैलियां कर रहा है''।
विदिशा मैत्रा (2019)
2019 में भारतीय डिप्लोमेट विदिशा मैत्रा के भाषण पर संयुक्त राष्ट्र में जमकर तालियां बजी थीं। क्योंकि उन्होंने पहली बार संयुक्त राष्ट्र के मंच से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को 'इमरान खान नियाज़ी' कहकर संबोधित किया था। उन्होंने कहा था कि, "हम आपसे इतिहास के बारे में अपनी संक्षिप्त समझ को ताज़ा करने का अनुरोध करेंगे। 1971 में अपने ही लोगों के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा किए गए भीषण नरसंहार और लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाज़ी द्वारा निभाई गई भूमिका को मत भूलना चाहिए। एक घिनौना तथ्य यह है कि आज ही बांग्लादेश की माननीय प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान द्वारा किए गये भीषण रक्तपात के बारे में अपनी संसद को याद दिलाया है''।
मिजिटो विनिटो (2020)
पिछले साल संयुक्त राष्ट्र में भारत की तरफ से मिजिटो विनिटो ने मोर्चा संभाला था और पाकिस्तान को जमकर फटकार लगाई थी। पिछले साल मिजिटो विनिटो ने कहा था कि पाकिस्तान का "एकमात्र गौरव" जो पाकिस्तान दुनिया को दिखा सकता है, वह है आतंकवाद, जातीय सफाई, बहुसंख्यक कट्टरवाद और सीक्रेट परमाणु व्यापार।