सामान्य जुखाम-बुखार से बनी एंटीबॉडी कोरोना से भी कर सकती है बचाव, शोध में सामने आई ये बात
नई दिल्ली: दुनियाभर में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 5 करोड़ के पास पहुंच गई है। मौजूदा वक्त में कई वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है, लेकिन अभी तक बाजार में कोई भी नहीं आ पाई है। जिस वजह से मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और सफाई के जरिए ही इस खतरनाक वायरस से बचा जा सकता है। इस बीच लंदन के शोधकर्ताओं के सामने एक नई बात सामने आई है, जिसके मुताबिक कई लोग ऐसे हैं जो कोरोना से नहीं संक्रमित हुए, लेकिन उनके अंदर की प्रतिरक्षा प्रणाली कोरोना से लड़ने में पूरी तरह से सक्षम है।
साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध
फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन ने कोरोना से संबंधित प्रतिरक्षा प्रणाली पर एक शोध किया है। जिसके मुताबिक कुछ लोगों में सामान्य जुखाम बुखार वाले वायरस से जो एंटीबॉडी बनी थी, वो SARS-CoV-2 से बचने में मदद कर सकती है। इससे संबंधित शोध साइंस जर्नल में 6 नवंबर को प्रकाशित हुआ था। इस पर ज्यादा जानकारी जुटाने के लिए वैज्ञानिक अभी भी शोध में लगे हुए हैं।
300 नमूनों का किया विश्लेषण
अपने अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ लोग, विशेष रूप से बच्चों में एंटीबॉडी हो सकती है जो SARS-CoV-2 के प्रति प्रतिक्रियाशील होते हैं। ये एंटीबॉडी तब बनी होगी, जब इंसान सामान्य जुखाम, वायरल फीवर (बुखार) आदि से संक्रमित होकर ठीक हुआ होगा। शोधकर्ताओं ने इसकी पुष्टि के लिए 2011 से 2018 तक इकट्ठा किए गए 300 से ज्यादा नमूनों का विश्लेषण किया, जिसमें सामान्य ठंड वाले वायरस से बचाव करने वाली एंटीबॉडी थी। इसमें 20 में से लगभग 1 वयस्क में वो एंटीबॉडी भी थी, जो SARS-CoV-2 के हमले के दौरान प्रतिक्रिया करती है। इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि 6-16 साल की उम्र के बच्चों से लिए गए रक्त के नमूनों में क्रॉस-रिएक्टिव एंटीबॉडी अधिक बार पाए गए।
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क्रॉस-रिएक्टिव एंटीबॉडी कैसे करते हैं काम?
SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन में दो सबयूनिट S1 और S2 होते हैं। S1 वायरस को शरीर में कोशिकाओं पर लॉक करने देता है, जबकि S2 कोरोनवायरस के बीच अधिक समान है और वायरस को कोशिकाओं में जाने देता है। ये S2 सबयूनिट सामान्य सर्दी-बुखार वाले वायरल में सामान्यता पाया जाता है। जिस वजह से जो एंटीबॉडी जुखाम-बुखार से लड़ने के लिए पहले बनी थी, वो कोरोना के हमले को भी रोक सकती है। हालांकि शोधकर्ताओं को 100 प्रतिशत इस बात के सबूत नहीं मिले कि जुखाम-बुखार वाले वायरस कोविड-19 से बचाव कर सकते हैं। ये महज एक अनुमान है। शोधकर्ताओं के मुताबिक जिन लोगों को हाल ही में जुखाम-बुखार हुआ था, उन्हें ये नहीं सोचना चाहिए कि उनके अंदर कोविड-19 से लड़ने के लिए एंटीबॉडी मौजूद है।
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