Nobel Peace Prize 2018: क्यों ट्रंप, किम, मून पर लग रहा सबसे ज्यादा सट्टा?
नई दिल्ली। नोबेल शांति पुरस्कार 2018 के लिए शु्क्रवार को घोषणा हो जाएगी। इस पुरस्कार से उस संस्था या व्यक्ति को नवाजा जाता है, जिसने विश्व शांति के लिए सबसे ज्यादा कोशिश या योगदान दिया हो। शांति के लिए इस साल नोबेल पुरस्कार लिस्ट में 331 नामित हुए हैं, जिसमें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, नॉर्थ कोरियाई सुप्रीम लीडर किम जोंग उन, साउथ कोरिया राष्ट्रपति मून जे-इन और पोप फ्रांसिस जैसी शख्सियत शामिल है। नोबेल कमेटी के मुताबिक, इस बार 216 व्यक्तिगत और 115 संगठनों नामित है। शांति के लिए नोबेल पुरस्कार को लेकर सट्टेबाजी में किम जोंग उन, डोनाल्ड ट्रंप और मून जे-इन सबसे ऊपर बताए जा रहे हैं।
क्यों डोनाल्ड ट्रंप?
इसी साल मई में रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों ने नोबेल कमेटी को एक लेटर लिख कर ट्रंप को शांति के लिए नामित करने की सिफारिश की थी। रिपब्लिकन पार्टी का तर्क है कि कोरियाई प्रायद्वीप में शांति और किम जोंग उन को बातचीत के टेबल पर लाने के लिए ट्रंप का बहुत बड़ा योगदान है। लेटर में कहा गया कि कोरिया वॉर की खत्म करने और नॉर्थ कोरिया को परमाणु निरस्त्रीकरण बनाने में ट्रंप का बहुत बड़ा योगदान है। पिछले साल कोरियाई प्रायद्वीप में संकट के दौरान किम जोंग उन और डोनाल्ड ट्रंप ने एक दूसरे को मरने और मारने की धमकी दी थी, लेकिन इस साल दोनों देशों के बीच रिश्तें बहुत सकारात्मक देखने को मिले हैं। ट्रंप से पहले 2009 में बराक ओबामा को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था।
क्यों किम जोंग उन?
किम जोंग उन 2017 में 15 से ज्यादा मिसाइलें लॉन्च कर कोरियाई प्रायद्वीप में सबसे ज्यादा तनाव पैदा किया था। कोरिया वॉर 1950-53 के बाद पहली बार कोरिया प्रायद्वीप में पिछले साल भयंकर तनाव पैदा हुआ था। इस दौरान किम ने ना सिर्फ साउथ कोरिया को बल्कि अमेरिका पर अटैक करने की धमकी दी थी। हालांकि, इस साल किम जोंग उन ने बातचीत का रास्ता अपनाया और कई बार अमेरिका से बात भी की। किम ने अपने परमाणु हथियार खत्म करने और शांति का रास्ता अपनाने के लिए ट्रंप से मुलाकात भी की। इसी साल जून में किम ने दुनिया से अपने परमाणु हथियार खत्म करने का वादा भी किया था।
क्यों मून जे-इन?
कोरियाई प्रायद्वीप में शांति बहाल के लिए साउथ कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन की भूमिका सबसे ज्यादा मानी जा रही है। बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि साउथ कोरियाई राष्ट्रपति मून ने ट्रंप और किम के वार्ता के बीच एक शानदार मीडिएटर की भूमिका निभाई है। इस साल सिंगापुर में हुई ट्रंप और किम के बीच की सफल वार्ता के लिए मून के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
ये भी पढ़ें: किम जोंग उन अब इतने क्रूर नहीं रहे, मून ने बदल डाला पूरे कोरियाई प्रायद्वीप का नजारा