रोहिंग्या संकट: नोबल विजेताओं ने आंग सान सू ची को चेताया, कहा- त्रासदी को रोको या कार्रवाई के लिए तैयार रहो
ढाका। रोहिंग्या संकट से निपटने में नाकाम म्यांमार की सुप्रीम लीडर आंग सान सू ची के लिए संकट बढ़ता दिखाई दे रहा है। शांति के लिए नोबल पुरस्कारों से सम्मानित तीन विजेताओं ने आंग सान सू ची को चेतावनी देते हुए कहा है कि या तो वे इस नरसंहार को रोकें या फिर कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहे। शांति के लिए नोबल विजेता ईरान के शिरिन ईबादी, यमन के तावाक्कोल कारमान और उत्तरी आईरलैंड के मैरीड मैगुरीए ने हाल ही में बांग्लादेश का दौरा किया था, जहां लाखों की संख्या में म्यांमार से आए रोहिंग्या मुसलमानों ने शरण ली हुई है।
बांग्लादेश में एक सप्ताह का दौरा करने के बाद तीनों नोबल विजेताओं ने म्यांमार सरकार के रवैया पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि वे इस मामले को अब इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में ले जाएंगे। म्यांमार सेना के अत्याचार के बाद अब तक करीब 7 लाख रोहिंग्या मुसलमानों ने बांग्लादेश में शरण ले चुके हैं।
ह्यूमन राइट्स के बाद पहली बार देखने को मिल रहा है, जब किसी नोबल पुरस्कार सम्मानित शख्सियतों ने रोहिंग्या मुसलमानों पर हुए अत्याचार पर आपत्ति व्यक्त की है। यमन के तावाक्कोल कारमान ने ढाका में कहा, 'रोहिंग्या उत्पीड़न के लिए बहरे हो गए कान और अपराधों में शामिल हुए जोखिमों को रोकना होगा नहीं तो जागरूकता के लिए कार्रवाई का प्रयास करना होगा।' कारमान ने सू ची को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि अगर वे इस त्रासदी को रोकने में नाकाम होती है, तो स्पष्ट है कि इस अपराध के लिए अपने सैन्य कमांडर के साथ इस्तीफा दें या फिर जिम्मेदारी लें।
म्यांमार की सरकार ने अपने रखाइन राज्य में आवश्यक सहायता आपूर्ति और सेवाओं पर प्रतिबंधों को सख्त कर दिया है। सूची की निष्क्रियता ने दुनिया के नेताओं ने कड़ा विरोध किया है। वहीं, कुछ कार्यकार्ताओं ने 1991 में लोकतंत्र और मानव अधिकारों के लिए उसके अहिंसक संघर्ष के लिए नोबल विजेता सू ची से पुरस्कार वापस छीनने की भी कई बार विचार किया जा चुका है।