अमेरिकी चुनाव हस्तक्षेप में रूस के बाद अब इजरायल का भी नाम
वॉशिंगटन। अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप को लेकर अब तक रूस पर आरोप लगाया जा रहा था, लेकिन अब इजरायल का भी नाम आया है। विश्व प्रसिद्ध भाषाविद, दार्शनिक और राजनीतिक कार्यकर्ता नोआम चाम्सकी ने एक अमेरिकी वेबसाइट Democracy Now से बात करते हुए कहा 2016 यूएस इलेक्शन में इजरायल का हस्तक्षेप रूस के प्रयासों से कई गुना अधिक था। चोम्सकी ने कहा कि अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन मीडिया उसे बिल्कुल ही नॉन सीरियस टॉपिक की तरह ले रही है। चोम्सकी ने कहा कि चुनाव में हस्तक्षेप को लेकर सिर्फ रूस पर उंगली उठाना एक मजाक की तरह है। फिलहाल, अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप को लेकर रॉबर्ट मुलर की इन्वेस्टिगेशन टीम इस पर काम कर रही है।
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सिर्फ रूस उंगली उठाना एक मजाक की तरह
चॉम्सकी ने इजरायल पर आरोप लगाते हुए कहा कि जो भी अमेरिकी लोकतंत्र में विदेशी हस्तक्षेप को लेकर दिलचस्पी रख रहे हैं, उन्हें सिर्फ रूस पर उंगली उठाने के अलावा भी दूसरे देशों की तरफ देखना चाहिए। चोम्सकी ने कहा, 'सबसे पहले अगर आप हमारे चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप में रूचि रखते हैं, तो रूस ने जो कुछ भी किया है, वह किसी अन्य राज्य के खुलेआम और जबरदस्त समर्थन की तुलना में कम नहीं है।'
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रूस से ज्यादा इजरायल की भूमिका
चोम्सकी अपने इंटरव्यू में अमेरिकी के सबसे करीबी माने जाने वाले इजरायल पर चुनाव में हस्तक्षेप का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, 'अमेरिकी चुनावों में इजरायली हस्तक्षेप ने रूसियों द्वारा किए गए किसी भी काम को बहुत अधिक प्रभावित किया है, मेरा मतलब है कि इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू सीधे राष्ट्रपति को सूचित किए बिना ही कांग्रेस में घुस जाते हैं और राष्ट्रपति की नीतियों को कमजोर करने की कोशिश करने के लिए कांग्रेस से बात करते हैं। 2015 में ओबामा और नेतन्याहू के साथ क्या हुआ।' चोम्सकी ने कहा कि पुतिन ने हमारी कांग्रेस को कभी संबोधित नहीं किया, लेकिन नेतन्याहू ने तो कांग्रेस को संबोधित कर अमेरिकी नीतियों को बदलने की भी कोशिश की थी। चोम्सकी ने अमेरिकी आलोचकों को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कोई बाहरी आपके कांग्रेस में आकर आपके देश की नीतियो की आलोचना करे और आप उसकी प्रशंसा करो, यह कौनसा अद्भूत भाषण हुआ।
65 फीसदी लोगों ने माना रूस की दखलअंदाजी को
हालांकि, चोम्सकी ने अमेरिकी चुनाव में रूस के हस्तक्षेप की बात नहीं नकारा है। वहीं, ज्यादातर अमेरिकी चोम्सकी के दावे का इत्तेफाक नहीं रखते हैं। हाल ही में एनबीसी-द वॉल स्ट्रीट जर्नल के पोल में 65 फीसदी अमेरिकी ने माना था कि अमेरिका में 2016 में हुए चुनाव में रूस की दखलअंदाजी थी। वहीं, 30 फिसदी लोगों ने माना था कि अगर चुनाव में रूसी हस्तक्षेप नहीं होता, तो हिलेरी क्लिंटन ही चुनाव जीतती।