न्यूजीलैंड को मिली पहली भारतीय मंत्री, चेन्नई में जन्मीं प्रियंका राधाकृष्णन को PM आरड्रेन ने सौंपी बड़ी जिम्मेदारी
वेलिंगटन। एक तरफ अमेरिका में भारतीय मूल की कमला हैरिस उप-राष्ट्रपति बनने की तरफ हैं तो दूसरी यहां से हजारों किलोमीटर दूर न्यूजीलैंड को पहली भारतीय मंत्री मिल गई हैं। भारत में जन्मीं प्रियंका राधाकृष्णन को सोमवार को प्रधानमंत्री जेसिंदा आरड्रेन की कैबिनेट में जगह मिली है। प्रियंका को आरड्रेन की कैबिनेट में विविधता, समावेशी और नस्लीय समुदाय के विभाग का मंत्री बनाया गया है। साथ ही उनके पास सामाजिक विकास और रोजगार विभाग का पद भी होगा और वह इस मंत्रालय में सहायक मंत्री की भूमिका में रहेंगी। इस ऐलान के साथ ही उनके परिवार में खुशी का माहौल है।
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साल 2017 में बनीं सांसद
उनके पिता आर राधाकृष्णन जो आईआईटी कानपुर के छात्र रहे हैं, उनका कहना है कि यह उनके परिवार के लिए एक गौरवशाली पल है। आर राधाकृष्णन केरल के एर्नाकुलम जिले के नॉर्थ पारावुर के रहने वाले हैं। प्रियंका का जन्म तमिलनाडु के चेन्नई में हुआ था। पिछले कई वर्षों से उनकी बेटी का झुकाव न्यूजीलैंड की राजनीति की तरफ था। प्रियंका, कीवी देश में अपनी उच्च शिक्षा के लिए गई थीं। इससे पहले वह सिंगापुर में अपनी पढ़ाई पूरी कर रही थीं। साल 2017 में वह आरड्रेन की लेबर पार्टी में सांसद बनी थीं। राधाकृष्णन अब चेन्नई में ही रहते हैं और अपनी बेटी की उपलब्धि पर उन्होंने मीडिया के साथ खुशी को साझा किया। राधाकृष्णन ने कहा, 'मंत्री पद की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। हमारा मानना था कि उसे सरकार में कोई बड़ा रोल मिल सकता है और पीएम ने इस तरफ इशारा किया था।' राधाकृष्णन ने आगे कहा, 'मंत्री पद मिलने के बाद आज मैंने अपनी बेटी से बात की। वह बहुत रोमांचित है। वह पहली भारतीय है जिसे न्यूजीलैंड की सरकार में मंत्री पद मिला है। लेकिन मैंने उसे सलाह दी है कि राजनीति में करियर बनाने के साथ ही उसे अपने परिवार का भी ध्यान रखना है।'
साल 2006 में जुड़ी लेबर पार्टी से
प्रियंका की उम्र 41 साल है और साल 2006 में वह लेबर पार्टी से जुड़ी थीं। उनके पति रिचर्डसन न्यूजीलैंड के ही रहने वाले हैं और एक आईटी फर्म के साथ काम करते हैं। हाल ही में उन्होंने भी पार्टी को ज्वॉइन कर लिया है। उनके पिता ने बताया कि जिस समय प्रियंका, घरेलू हिंसा की शिकार और अप्रवासी मजूदरों के लिए काम करने वाले एक एनजीओ के लिए काम कर रही थीं, उसी समय उनकी मुलाकात रिचर्डसन से हुई थी। दोनों ने प्रियंका के राजनीतिक करियर के मद्देनजर बच्चे न करने का फैसला लिया था। प्रियंका जुलाई 2019 में केरल आई थीं। उस समय उनकी मां ऊषा का निधन हो गया था और इससे जुड़े कार्यक्रम में ही उनका आना हुआ था। पिता को याद है कि जब मां चेन्नई के एक अस्पताल में भर्ती थीं तो प्रियंका कैसे कई दिनों तक मां के बिस्तर के पास ही बैठी रहती थीं। लेकिन लंदन में एक मीटिंग की वजह से उन्हें जाना पड़ा और वह आखिरी पलों में अपनी मां के साथ नहीं थी।
यूनिवर्सिटी के दिनों से ही राजनीति में सक्रिय
प्रियंका की बड़ी बहन मानवी, कनाडा में रहती हैं और उन्होंने कनैडियन से शादी की है। आईआईटी कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद राधाकृष्णन ने तीन साल तक मुंबई पोर्ट ट्रस्ट के साथ काम किया और सन् 1972 में सिंगापुर चले गए। यहां पर वह एक पोर्ट इंजीनियर के तौर पर काम करते थे। साल 1999 में वह पत्नी के साथ चेन्नई रहने के लिए आ गए। बेटियों का जन्म भारत में ही हुआ लेकिन स्कूल की पढ़ाई सिंगापुर में हुई। प्रियंका इसके बाद न्यूजीलैंड की मैसी यूनिवर्सिटी चली गईं। यहां पर उन्होंने डेवलपमेंट स्टडीज कोर्स की पढ़ाई की। यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही उनका झुकाव राजनीति की तरफ हुआ और मैसी यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने उन्हें इंटरनेशनल स्टूडेंट्स ऑफिसर के तौर पर चुना। उन्होंने न्यूजीलैंड में ही रहने का फैसला किया और लेबर पार्टी की तरफ से उन्हें पार्टी में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया गया।