जॉर्ज फ़्लॉयड की मौतः निलंबित पुलिसकर्मियों पर लगी नई धाराएं
अमरीका में अफ़्रीकी मूल के जॉर्ज फ़्लॉयड की मौत के मामले में नौकरी से निकाले गए सभी पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ नई धाराएं लगाई गई हैं.
अमरीका में अफ़्रीकी मूल के जॉर्ज फ़्लॉयड की मौत के मामले में नौकरी से निकाले गए सभी पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ नई धाराएं लगाई गई हैं.
अदालत के दस्तावेज़ों के मुताबिक पुलिसकर्मी डेरेक शॉविन के ख़िलाफ़ सेंकड डिग्री मर्डर का केस दर्ज किया गया है.
वहीं बाकी पुलिसकर्मियों पर हत्या में मदद करने और हत्या को बढ़ावा देने के आरोप लगाए गए हैं.
जॉर्ज फ़्लॉयड की मौत के बाद अमरीका में नस्लीय भेदभाव के ख़िलाफ़ आक्रोश भड़क गया है.
देश के कई शहरों में बीते एक सप्ताह से प्रदर्शन जारी है. कई जगह प्रदर्शनों के दौरान हिंसा और लूटमार की घटनाएं भी हुई हैं.
अधिकतर प्रदर्शन शांतिपूर्ण ही रहे हैं लेकिन कुछ जगह हिंसा के बाद कर्फ़्यू लगा दिया गया है.
पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ नई धाराओं की घोषणा करते हुए मिनेसोटा के अटार्नी जनरल कीथ एलिसन ने कहा कि ये धाराएं न्यायहित में हैं.
डेरेक शॉविन पर पहले से लगाई गई थर्ड डिग्री मर्डर और गैर इरादतन हत्या का आरोप था. ये आरोप बरकरार रहेंगे.
नौकरी से निकाले गए अन्य तीन पुलिस अधिकारी हैं थॉमस लेन, जे एलेक्सेंडर और टाउ थाओ. अब इन सब पर हत्या में मदद करने और हत्या को बढ़ावा देने के आरोप लगाए गए हैं.
मिनेसोटा के सीनेटर एमी क्लोबूचर का कहना है कि नई धाराओं न्याय की दिशा में ही एक क़दम हैं.
वहीं फ़्लॉयड के परिवार के वकील बेन्यामिन क्रंप ने एक बयान में कहा है कि 'ये न्याय के मार्ग पर एक अहम क़दम है और हम शुक्रगुज़ार हैं कि फ़्लॉयड के अंतिम संस्कार से पहले ही अहम एक्शन लिया जा रहा है.'
वहीं सीएनएन से बात करते हुए वकील ने कहा कि फ़्लॉयड के परिवार को लगता है कि डेरेक शॉविन के ख़िलाफ़ फ़र्स्ट डिग्री मर्डर की धाराएं लगनी चाहिए और उन्हें बताया गया है कि जांच अभी चल रही है और धाराएं बदल भी सकती हैं.
क्या हैं हत्या के ये आरोप?
मिनेसोटा के क़ानून के मुताबिक फ़र्स्ट डिग्री और सेकंड डिग्री मर्डर के आरोप में इस बात के सबूत पेश करने होते हैं कि हत्यारे का इरादा हत्या करने का था. आमतौर पर सोच समझकर की गई हत्या के लिए फ़र्स्ट डिग्री मर्डर की धारा लगती है जबकि जज़्बात में या ग़ुस्से में की गई हत्या के लिए सेकंड डिग्री का चार्ज लगता है.
थर्ड डिग्री मर्डर में दोषी क़रार दिए जाने के लिए इस बात का सबूत नहीं देना होता है कि अभियुक्त चाहता था कि पीड़ित मर जाए, सिर्फ़ ये साबित करना होता है कि अभियुक्त ने जो किया वो ख़तरनाक था और उसके मन में मानव जीवन के लिए कोई परवाह नहीं थी.
यदि कोई अभियुक्त सेकंड डिग्री मर्डर का दोषी करार दिया जाता है तो उसे चालीस साल तक की सज़ा हो सकती है. वहीं थर्ड डिग्री मर्डर में 25 साल तक की सज़ा हो सकती है.
क्यों भड़का है लोगों का ग़ुस्सा?
अमरीका के एक काले नागरिक जॉर्ज फ़्लॉयड की पुलिस के हाथों हुई मौत के बाद भड़के अंसतोष को देखते हुए अमरीका के कई शहरों में कर्फ़्यू लगा हुआ है.
ज़्यादातर विरोध-प्रदर्शन शांतिपूर्ण ही रहे हैं लेकिन कई विरोध-प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारी पुलिस के साथ संघर्ष करते नज़र आए हैं.
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की कार जला दी, संपत्तियों में आग लगाई और दुकानों को लूटा. नेशनल गार्ड ने 5000 सुरक्षाकर्मियों को 15 राज्यों और वॉशिंगटन डीसी में तैनात किया है.
लोगों की नाराज़गी एक वीडियो क्लिप के वायरल होने के बाद सामने आई है जिसमें एक गोरा पुलिस अधिकारी जॉर्ज फ़्लॉयड नाम के एक निहत्थे काले व्यक्ति की गर्दन पर घुटना टेककर उसे दबाता दिखता है. इसके कुछ ही मिनटों बाद जॉर्ज फ़्लॉयड की मौत हो गई.
वीडियो में देखा जा सकता है कि जॉर्ज और उनके आसपास खड़े लोग पुलिस अधिकारी से उन्हें छोड़ने की मिन्नतें कर रहे हैं.
पुलिस अधिकारी के घुटने के नीचे दबे जॉर्ज बार-बार कह रहे हैं कि "प्लीज़, आई कान्ट ब्रीद (मैं सांस नहीं ले पा रहा)". यही उनके आख़िरी शब्द बन गए.
अमरीका के कई शहरों में प्रदर्शनकारी 'आई कॉन्ट ब्रीद' का बैनर लिए प्रदर्शन कर रहे हैं.