उत्तर कोरिया में प्री स्कूल के बच्चों के लिए लागू हुए नए नियम, स्कूल भेजने से डर रहे माता-पिता
प्योंगयांग। हर देश में अपने नागरिकों को शिक्षित करने का तरीका अलग होता है। जहां भारत और अमेरिका जैसे देशों में बच्चों को छोटी कक्षा में लिखना पढ़ना सिखाया जाता है वहीं कुछ देश ऐसे भी हैं, जहां इस मामले में भी प्रोपेगेंडा चलता है। हम बात कर रहे हैं उत्तर कोरिया की। जहां केवल तानाशाह किम जोंग उन की चलती है। इस देश में शिक्षा की बात करें तो वो भी बेहद अलग तरीके से दी जाती है। अब यहां नए आदेशों के बाद शिक्षा और भी ज्यादा बदल गई है। ये आदेश किम जोंग उन की बहन ने जारी किए हैं। जिसके तहत प्री स्कूल में ही बच्चों को आधे दिन आम पढ़ाई कराई जाएगी तो वहीं आधे दिन किम जोंग उन के बारे में बताया जाएगा।
'ग्रेटनेस एजुकेशन' पाठ्यक्रम लागू
'ग्रेटनेस एजुकेशन' नामक नए पाठ्यक्रम में किम जोंग उन और उनके दो पूर्वजों के महिमामंडन की व्यवस्था की गई है। प्री स्कूल के बच्चों को तीन घंटे की पढ़ाई के दौरान आधे समय यानी डेढ़ घंटे के लिए इन लोगों के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। इससे पहले ये समय केवल आधे घंटे का होता था। लेकिन किम जोंग की बहन किम यो जोंग ने बीते महीने जारी किए नए नियमों में इस समय को तीन गुना तक बढ़ा दिया है। यानी अब स्कूल में आधे समय तक इस तरह की पढ़ाई कराई जाएगी।
स्कूलों में अजीब तस्वीरें लगाई गईं
उत्तर कोरिया के स्कूलों की दीवारों की बात करें तो उनपर भी बाकी स्कूलों की तरह कार्टून आदि की तस्वीर नहीं मिलेगी। बल्कि इनपर मिसाइल और गोलीबारी की तस्वीरें बनाई जाती हैं। उत्तर हैमयोंग प्रांत (चीनी सीमा के पास स्थित) के एक सूत्र ने बताया कि नए नियमों से बच्चों के माता-पिता और शिक्षक काफी चिंतित हैं क्योंकि उन्हें अपने अगले स्तर की स्कूली शिक्षा नुकसान के साथ शुरू करनी पड़ेगी। यही कारण है कि अभिभावक शिक्षकों से बोल रहे हैं कि बच्चों को एल्फाबेट सिखाने पर अधिक काम किया जाए। नेताओं के बारे में पढ़ाए जाने से बाकी पढ़ाई को नुकसान हो रहा है, जिससे अभिभावक काफी परेशान हैं।
स्कूलों को अधिक संवारा जाएगा
इसके साथ स्कूलों से कक्षाओं को संवारना को कहा गया है ताकि नए पाठ्यक्रम को और भी अच्छे से पढ़ाया जा सके। ऐसे में अटकलें हैं कि इसका खर्चा भी अभिभावकों से ही लिया जाएगा। यही कारण है कि अब अधिकतर माता-पिता सोच रहे हैं कि इससे बेहतर पढ़ाई तो बच्चों की घर पर ही हो सकती है। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के इलियोनिस के रहने वाले रे कनिंघम कई मौकों पर उत्तर कोरियाई स्कूलों का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने यहां की तस्वीरें भी ली हैं, जिनमें दिखता है कि कैसे स्कूलों में टैंक और वॉरप्लेन की तस्वीरें फन के तौर पर लगाई जाती हैं। स्कूलों में मिसाइलों का महिमामंडन किया जाता है और अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ हिंसा वाले ग्राफिक भी लगाए गए हैं।
छोटे बच्चों का होता है ब्रेनवॉश
इससे पहले कनिंघम ये भी कह चुके हैं कि इतनी कम उम्र के बच्चों का ब्रेनवॉश करना कितना बुरा लगता है। प्रोपेगैंडा की सबसे अधिक शिक्षा इन छोटे बच्चों को ही दी जाती है। इन्हें चीजें कुछ इस तरह से पढ़ाई जाती हैं, जैसे, 'किम जोंग इल के दोस्तों के पास जूते नहीं हैं लेकिन उसे उसकी मां ने जूते दिए पर उसने इसलिए नहीं लिए क्योंकि उसके दोस्तों के पास भी जूते नहीं हैं और अब स्कूल के सभी बच्चों के पास जूते हैं।' यहां के हर स्कूल में इस तरह की कहानियां सुनाई जाती हैं। नए नियमों में कहा गया है कि अब अधिक ध्यान किम जोंग उन के पिता किम जोंग द्वितिय और उनके दादा किम संग के बजाय किम जोंग उन पर देना है।
खुद कहीं और से की पढ़ाई
उत्तर कोरिया में अधिकतर प्री स्कूल सुबह के 9 बजे शुरू होते हैं और दोपहर के 12 बजे तक चलते हैं। इन बच्चों को बताया जाता है कि किम जोंग उन कितने होनहार हैं। वहीं किम जोंग की बहन किम यो जोंग, जो अक्सर अपने भाई के लिए संभावित उत्तराधिकारी के रूप में जानी जाती हैं, ने खुद उत्तर कोरिया में स्कूल पूरा नहीं किया था, बल्कि उन्हें अपने भाई की तरह ही स्विट्जरलैंड के एक स्कूल में भेजा गया था। यहां तक कि नेताओं की तस्वीर को ठीक से ना रखे जाने पर भी लोगों को सजा दी जाती है। पिछले साल एक महिला को केवल इसलिए सजा दी गई थी क्योंकि उसने घर में आग लगने पर नेताओं की दो पेंटिंग्स को बचाने के बजाए अपने बच्चे को बचाया था।