कभी अरबों में खेलते थे, अब छापों से तबाह हैं गुप्ता बंधु
ये कहानी है दक्षिण अफ़्रीका के उस गुप्ता परिवार की जिसे राष्ट्रपति ज़ूमा का क़रीबी माना जाता है
दक्षिण अफ्रीकी पुलिस की ख़ास यूनिट 'द हॉक्स' ने भारतीय मूल के के कारोबारी गुप्ता परिवार के ठिकानों पर छापा मारा है. विवादित गुप्ता परिवार पर देश के राष्ट्रपति जैकब ज़ूमा के साथ क़रीबी संबंधों का फ़ायदा उठाने का आरोप है.
पुलिस ने एक बयान में कहा कि इस मामले में तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई है जिनमें से गुप्ता बंधुओं में से एक भाई भी हैं. दो अन्य लोगों ने आत्मसमर्पण कर दिया है.
गुप्ता परिवार पर आरोप है कि वो राष्ट्रपति जैकब ज़ूमा के क़रीबी हैं और इस राजनीतिक स्टेटस का फ़ायदा उन्होंने अपने व्यवसाय में लाभ कमाने के लिए किया.
हाल में राष्ट्रपति ज़ूमा पर इस्तीफ़ा देने का दवाब बढ़ा है और बताया जा रहा है कि गुप्ता परिवार के साथ संबंध भी इसका एक कारण है.
उम्मीद की जा रही है कि ज़ूमा बुधवार को अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस की तरफ से इस्तीफ़े की आधिकारिक मांग का जवाब दे सकते हैं.
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समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक गुप्ता को धन मुहैया कराने वाले भारतीय बैंक, बैंक ऑफ़ बरौदा ने दक्षिण अफ्रीका में अपना व्यवसाय बंद करने की घोषणा की है.
बैंक का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपना पैसा लगाने से संबंधित एक रणनीतिक फ़ैसले के तहत ऐसा किया जा रहा है.
बैंक ऑफ़ बरौदा की दक्षिण अफ्रीका में मौजूद शाखाएं पहले चर्चा में आई थीं जब वो गुप्ता को कर्ज देने पर राज़ी हो गई थीं. इस वक्त दक्षिण अफ्रीका के चार बड़े बैंक एबीएसए, एफ़एनबी, स्टैंडर्ड और नेडबैंक ने मार्च 2016 में गुप्ता परिवार को बताया था कि वो अब उनकी ओकबे कंपनी और उसकी सहायक कंपनियों को बैंकिंग सुविधा नहीं दे पाएगी.
दक्षिण अफ्रीका का गुप्ता परिवार सब कुछ बेचेगा
बैंक ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि 1 मार्च 2018 के बाद से बैंक ना तो कोई पैसा जमा करेगा, ना तो कोई कर्ज़ा ही देगा और 31 मार्च 2018 से बैंक यहां बैंक सेवाओं से जुड़े अपने काम बंद कर देगा.
बैंक ने अपने ग्राहकों से गुज़ारिश की है कि वो जल्द से जल्द अपने बैंक की शाखा से संपर्क करें और अपने खातों का निपटारा करें.
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गुप्ता परिवार पर आरोप
दक्षिण अफ्रीका के ख़ास पुलिस दस्ते 'द हॉक्स' ने कहा है कि पुलिस बुधवार सवेरे जोहान्सबर्ग चिड़ियाघर के नज़दीक गुप्ता परिवार की संपत्ति की तलाशी ले रही थी. पुलिस ने गुप्ता परिवार के कई अन्य परिसरों पर भी छापे मारे हैं.
दक्षिण अफ्रीकी मीडिया में आ रही ख़बरों के मुताबिक़ ये छापे फ़्रेडे फ़ार्म से जुड़ी जांच से संबंधित हैं. ये जांच फ़्रेडे में स्थिच एस्टिना डेरी फ़ार्म से संबंधित है जिसे ग़रीब किसान परिवारों की मदद के लिए बनाया गया था.
आरोप है कि गुप्ता परिवार ने इस परियोजना से लाखों डॉलर की कमाई की है.
विवादों में घिरे राष्ट्रपति
राष्ट्रपति जैकब ज़ूमा साल 2009 से सत्ता में हैं और लंबे वक्त से विवादों के घेरे में हैं.
बीते साल दिसंबर में ज़ूमा के डिप्टी सिरिल रामाफ़ोसा पार्टी के अध्यक्ष चुन लिए गए थे. पार्टी ने ज़ूमा को इस्तीफ़ा देने के लिए कहा, लेकिन ज़ूमा ने ऐसा करने से इंकार कर दिया.
कौन है गुप्ता परिवार?
1990 के दशक में भारत से साधारण आप्रवासियों के रूप में गुप्ता बंधु दक्षिण अफ्रीका पहुंचे. गुप्ता परिवार में तीन भाई हैं. अतुल, राजेश और अजय.
यहां गुप्ता बंधुओं ने शुरुआत कम्प्यूटर व्यापार से की. बाद में खनन और इंजीनियरिंग कंपनियों से लेकर, एक लक्ज़री गेम लाउंज, एक समाचार पत्र और 24 घंटे के समाचार टीवी स्टेशन में हिस्सेदारी ख़रीदी.
लेकिन अब उनके ये आकर्षक व्यवसाय नहीं चल रहे हैं और हालत ये है कि इसे सरकार ज़ब्त करने की कगार पर है. उन पर आरोप हैं कि भ्रष्ट सौदों के माध्यम से परिवार ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर लाखों डॉलर के सरकारी ठेके लिए.
तीनों भाई हमेशा से इन आरोपों से इनकार करते रहे हैं.
दक्षिण अफ्रीका के चार बड़े बैंक एबीएसए, एफ़एनबी, स्टैंडर्ड और नेडबैंक ने मार्च 2016 में गुप्ता परिवार को बता दिया था कि वो अब उनकी ओकबे कंपनी और उसकी सहायक कंपनियों को बैंकिंग सुविधा नहीं दे पाएगी.
राष्ट्रपति और गुप्ता परिवार का नाता
साल 2016 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व उप वित्त मंत्री जोनास मेबिसी ने आरोप लगाया कि गुप्ता परिवार ने उन्हें अगला वित्त मंत्री बनाने के लिए 60 करोड़ रैंड (5 करोड़ डॉलर) की पेशकश की थी. बशर्ते वो गुप्ता परिवार की बात मानें.
इसके बाद दक्षिण अफ्रीकी सरकार के लोकपाल ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें आरोप लगाया गया था कि गुप्ता परिवार और राष्ट्रपति ज़ूमा ने सरकारी अनुबंधों को पाने के लिए एक-दूसरे की मदद की थी.
इसके बाद मामला तब और भी बिगड़ गया जब 2017 में एक लाख से अधिक ईमेल लीक हुए जिनमें इस बात का ब्योरा था कि किस प्रकार इस परिवार ने प्रभुत्व दिखा कर अपना काम किया.
इसमें सरकारी ठेकों, कथित तौर पर रिश्वत और पैसों के हेरफेर से संबंधित जानकारी थी.
इसके बाद गुप्ता परिवार और राष्ट्रपति जैकब ज़ूमा के ख़िलाफ़ लोगों ने प्रदर्शन किए और इस मिलीभगत के लिए दोनों का नाम 'ज़ूप्ता' दिया.