ड्रैगन के बढ़ते दखल से नेपाल में हड़कंप, सांसद बोलीं- नहीं संभले तो नॉर्थ कोरिया बन जाएगा
नई दिल्ली- नेपाल में चीन के बढ़ते दखल से अब अंदर ही अंदर खलबली मचने लगी है। अब नेपाली संसद की एक सांसद सरिता गिरी ने आशंका जताई है कि जिस तरह चीन नेपाल के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी कर रहा है, उससे ऐसी नौबत आ सकती है कि हिमालय पर बसा यह देश उत्तर कोरिया की तरह बन जाए। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में नेपाल में चीन की राजदूत हाओ यांकी ने जिस तरह से राष्ट्रपति से लेकर दूसरे नेताओं को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार बचाने के लिए साधा है, उसका अब नेपाली जनता खुलकर विरोध करने लगी है। चीन की राजदूत के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।
नेपाल की जनता समाजवादी पार्टी से सांसद रहीं सरिता गिरि ने एबीपी न्यूज से बातचीत में पिछले साल नेपाल की यात्रा पर आए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का जिक्र किया है। उनके मुताबिक उस दौरान ओली सरकार और जिनपिंग सरकार के बीच जिस तरह की संधि की गई थी, उससे जाहिर हो गया था कि नेपाल में चीन का दखल बढ़ना तय है। उन्होंने कहा, "स्पष्ट लगता है कि ये सिर्फ डेवलपमेंट्स पार्टनर्स के बीच में या फिर दो अंतरराष्ट्रीय संबंध रखने वाले देश के बीच में हुई संधि नहीं है। इसका देश की गवर्नेंस के साथ, देश के एडमिनिस्ट्रेशन के साथ, देश की सुरक्षा पॉलिसी के साथ, इन सारी पॉलिसीज के साथ ...मतलब चीन और नेपाल के बीच में एक प्रकार के इंटीग्रेशन को खोजने का आशय या अर्थ दिखता है ये चिंता का विषय है; और अब लोग प्रश्न उठा रहे हैं। स्पेशियली यूथ लोग प्रश्न उठा रहे हैं। "
उन्होंने इस इंटरव्यू के दौरान सबसे बड़ी बात ये कही है कि वह तो भविष्य में नेपाल की स्थिति नॉर्थ कोरिया जैसी होती देख रही हैं। उनके मुताबिक, "मैंने तो आशंका ही व्यक्त की है कि अगर हमलोग सचेत नहीं हो पाए तो नेपाल नॉर्थ कोरिया हो सकता है। मैं बिलकुल खुले रूप से कहती हूं, क्योंकि अगर हम लोग इसे रोकने नहीं पाए तो हम उस संभावना से भी इनकार नहीं कर सकते। "
बता दें कि सरिता गिरी वही सांसद हैं, जिन्होंने ओली सरकार की ओर से संसद में पेश किए गए नए राजनीतिक नक्शे की वैद्यता और तार्किकता पर सवाल उठाए थे। उस नक्शे में नेपाल ने भारत के कुछ इलाकों पर अपना दावा जताया है। उन्होंने ये भी आरोप लगाया था कि ओली सरकार जन-भावनाएं भड़काकर बिना भारत के साथ बातचीत किए जो फैसला कर रही है, वह नेपाल के हित में नहीं है। उनको इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा और उनकी पार्टी ने उन्हें अपनी पार्टी से भी निकालने की घोषणा कर दी है और संसद सदस्यता छीनने के लिए संसद को कह दिया है।
इसे भी पढ़ें- चीन ने अब नेपाल के राष्ट्रपति भवन में की घुसपैठ, काठमांडू में सड़कों पर उतरे लोग