नेपाल ने चली नई चाल, अपने मैप में शामिल कर रहा भारत का लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी
नेपाल ने चली नई चाल, अपने मैप में शामिल कर रहा भारत का लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी
नई दिल्ली। नेपाल ने भारत-चीन सीमा पर स्थित लिपुलेख पास को जोड़ने वाली सड़क निर्माण के भारत के फैसले पर हाल ही में विरोध जताया था। जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 मई को इस सड़क का उद्घाटन किया था। इसके बाद अब नेपाल कैबिनेट ने एक बड़ा फ़ैसला लेते हुए नेपाल का नया राजनीतिक नक़्शा करने की बात कही हैं। इस नक़्शे में भारत के हिस्से में आने वाले लिम्पियाधुरा कालापानी और लिपुलेख को नेपाल की सीमा का हिस्सा दिखाया गया है। माना जा रहा हैं कि नेपाल सरकार की ओर से शीघ्र ही इस नए नक्शे को जारी किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार नेपाल प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के साथ इस विषय पर कैबिनेट की बैठक भी की गई।
लिपुलेख इलाक़े की सड़क उद्धघाटन के दस दिन बाद चली ये चाल
नेपाल की कैबिनेट का फ़ैसला भारत की ओर से लिपुलेख इलाक़े में सीमा सड़क के उद्धाटन के लगभग दस दिनों बाद आया है। मालूम हो कि लिपुलेख से होते हुए ही तिब्बत चीन के मानसरोवर जाने का रास्ता है। इस सड़क के बनाए जाने के बाद नेपाल ने कड़े शब्दों में भारत के क़दम का विरोध किया था। इस नए नक्शे में भारत के लिपुलेख और कालापानी को नेपाल की सीमा का 17,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित लिपुलेख पास उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले के तहत आने वाले धारचूला में पड़ता है। भारत की तरफ से नेपाल को स्पष्ट कर दिया गया था कि यह सड़क कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों के प्रयोग के लिए है। विदेश मंत्रालय ने नेपाल को दो टूक कहा है कि यह सड़क भारत की सीमा में पड़ती है।
नेपाल कैबिनेट मीटिंग में प्रस्ताव पेश किया गया
इसी के बाद नेपाल की सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए नेपाल का नया नक्शा जारी करने को कहा है। मिनिस्टर ऑफ लैंड मैनेजमेंट पदम अरयाल की तरफ से कैबिनेट मीटिंग के दौरान देश के नए राजनीतिक नक्शे के बारे में प्रस्ताव पेश किया गया। नेपाल के सांस्कृतिक, पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन मेंत्री योगेश भट्टाराय ने कहा कि सोमवार का कैबिनेट का यह फैसला स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। मंत्री भट्टराय ने कहा एक तरफ जहां ये कहा कि आने वाले समय में सभी क्वीज कांटेस्ट में सोमवार के कैबिनेट के फैसले और इसकी तारीख के बारे में पूछा जाएगा तो वहीं दूसरी तरफ उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री केपी ओली का धन्यवाद भी किया। चहीं नेपाल के कृषि और सहकारिता मंत्री घनश्याम भुसाल ने एक साक्षात्कार में कहा कि यह नई शुरुआत है। लेकिन यह नई बात नहीं है। हम हमेशा से यह कहते आए हैं कि महाकाली नदी के पूरब का हिस्सा नेपाल का है। अब सरकार ने आधिकारिक तौर पर उसे नक़्शे में भी शामिल कर लिया है।
छह माह पूर्व भारत ने अपना नया राजनीतिक नक़्शा जारी किया था
गौरतलब हैं कि लगभग छह माह पूर्व भारत ने अपना नया राजनीतिक नक़्शा जारी किया था जिसमें जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख़ के रूप में दिखाया गया था। इस मैप में लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को भारत का हिस्सा दर्शाया गया था। इने क्षेत्रों पर लंबे समय से अपना होने का दावा जताता आया हैं। अभी तक नेपाल ने नहीं किया विरोध इसी क्षेत्र में काली नदी भी पड़ती है जो भारत और नेपाल के बीच से बहती है। भारत का कहना है कि उसने इसकी मुख्यधारा को सीमा में शामिल नहीं किया है। लिपुलेख पास हमेशा से भारत के नक्शे में था और नेपाल ने कभी भी इसका विरोध नहीं किया है। चीन ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि यह भारत का हिस्सा है और इसी वजह से उसने तिब्बत तक जाने के लिए इसे मंजूरी दी। नेपाल का पहले कहना था कि सीमा पर विवाद को बातचीत और समझौतों के जरिए सुलझाना चाहिए।
76 किलोमीटर सड़क का काम पूरा हो चुका हैं
मालूम हो कि 76 किलोमीटर सड़क का काम पूरा हो चुका हैं यह सड़क 80 किलोमीटर लंबी है। मालूम हो कि सड़क की वजह से यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों को तिब्बत तक जाने में आसानी हो सकेगी। भारत और तिब्बत के बीच लिपुलेख पास पिछले कुछ समय से व्यापार का बड़ा जरिया बना हुआ है। कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्री अब तीन रास्तों से यात्रा पर जा सकते हैं-सिक्किम, उत्तराखंड और नेपाल में काठमांडू। यह तीनों ही रास्ते काफी लंबे हैं।
लिपुलेख पास हमेशा से भारत के नक्शे में था
अभी तक नेपाल ने नहीं किया विरोध इसी क्षेत्र में काली नदी भी पड़ती है जो भारत और नेपाल के बीच से बहती है। भारत का कहना है कि उसने इसकी मुख्यधारा को सीमा में शामिल नहीं किया है। लिपुलेख पास हमेशा से भारत के नक्शे में था और नेपाल ने कभी भी इसका विरोध नहीं किया है। चीन ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि यह भारत का हिस्सा है और इसी वजह से उसने तिब्बत तक जाने के लिए इसे मंजूरी दी। नेपाल का कहना है कि सीमा पर विवाद को बातचीत और समझौतों के जरिए सुलझाना चाहिए।
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