नेपाल: सुप्रीम कोर्ट ने PM ओली को दिया झटका, संसद भंग करने का फैसला पलटा
काठमांडू:
नेपाली
प्रधानमंत्री
केपी
शर्मा
ओली
की
मुश्किलें
बढ़ती
जा
रही
हैं।
अब
उन्हें
नेपाल
की
सुप्रीम
कोर्ट
ने
बड़ा
झटका
दिया
है।
साथ
ही
उनके
संसद
भंग
करने
के
आदेश
को
पलट
दिया
है।
प्रधानमंत्री
के
इस
आदेश
को
राष्ट्रपति
विद्या
देवी
भंडारी
ने
भी
मंजूरी
दे
दी
थी।
जिसके
बाद
कई
लोग
इस
आदेश
के
खिलाफ
सुप्रीम
कोर्ट
गए।
मंगलवार
को
सुनवाई
के
बाद
कोर्ट
ने
पीएम
के
आदेश
को
पलट
दिया।
साथ
ही
13
दिन
के
अंदर
संसद
का
अधिवेशन
बुलाने
के
आदेश
दिए
हैं।
दरअसल 20 दिसंबर को प्रधानमंत्री ओली ने अपने मंत्रियों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में देश की संसद को भंग करने और मध्यावधि चुनाव को लेकर सिफारिश की गई। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इस प्रस्ताव को पीएम ओली ने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को भेजा। राष्ट्रपति ने भी कैबिनेट के फैसले पर मुहर लगाते हुए संसद को भंग कर दिया। साथ ही नेपाल में मध्यावधि चुनाव का ऐलान कर दिया। इसके बाद ही ये मामले सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था। जिस पर मंगलवार को फैसला आया।
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क्यों
हो
रहा
था
फैसले
का
विरोध?
पीएम
के
फैसले
के
बाद
नेपाल
में
सत्ताधारी
नेपाल
कम्युनिष्ट
पार्टी
के
प्रवक्ता
नारायणकाजी
श्रेष्ठ
ने
कहा
था
कि
जब
ये
फैसला
लिया
गया,
उस
वक्त
बैठक
में
सभी
मंत्री
मौजूद
नहीं
थे।
यह
लोकतांत्रिक
मूल्यों
के
खिलाफ
है
और
देश
को
पीछे
ले
जाएगा।
यह
लागू
नहीं
होना
चाहिए।
वहीं
विश्लेषकों
के
मुताबिक
नेपाल
के
संविधान
में
संसद
को
भंग
करने
का
कोई
उल्लेख
नहीं
है।
इसी
वजह
से
इस
फैसले
को
कोर्ट
में
चुनौती
दी
गई
थी।
मई
में
थे
चुनाव
दिसंबर
में
राष्ट्रपति
कार्यालय
ने
बताया
था
कि
संसद
भंग
होने
के
बाद
2021
के
अप्रैल
और
मई
में
देश
में
मध्यावधि
चुनाव
कराए
जाएंगे।
दो
चरणों
में
होने
वाले
इस
चुनाव
में
पहले
चरण
में
30
अप्रैल
को
वोटिंग
होगी
जबकि
दूसरे
चरण
में
10
मई
को
वोट
डाले
जाएंगे।
राष्ट्रपति
ने
चुनाव
का
फैसला
कैबिनेट
द्वारा
मिली
हुई
संस्तुति
के
आधार
पर
किया
था।