नेपाल में निवेश की जमीन तलाश रहा चीन, बंद पड़े प्रोजेक्ट्स पर चीनी कंपनियां करेंगी काम
काठमांडू। नेपाल में नई सरकार बनने के बाद चीन ने अपना निवेश करना शुरू कर दिया है। पिछली सरकार ने जाते-जाते चीन के जिस 2.5 अरब डॉलर वाले हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया था, उसे ओली सरकार ने अब फिर से शुरू कर दिया है। सोमवार को नेपाल की चीन समर्थित सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर फिर से चीनी निवेश की आधिकारिक रूप से पुष्टि कर दी है। नेपाल में जब से केपी ओली की सरकार बनी है, तभी से चीन लगातार इस हिमालयी देश में निवेश की योजनाएं तलाश रहा है।
1200 मेगावाट वाले प्लांट पर चीन करेगा काम
नेपाल के सूचना मंत्री गोकुल बासकोट ने कहा कि पिछली सरकार ने बिना किसी वजह से इस समझौते को खत्म कर दिया था। बासकोटा ने कहा, 'हमने इस प्रोजेक्ट को फिर से इसलिए शुरू किया, क्योंकि नेपाल के पास इतने बड़े प्रोजेक्ट को खड़ा करने की क्षमता नहीं है और फंडिंग सबसे बड़ी चुनौती है।' यह 1200 मेगावाट वाला बुद्धी-गंडकी प्लांट नेपाल के अपने हाइड्रोपावर प्रोडक्शन से लगभग दोगुना होगा। पहाड़ी देश नेपाल बिजली की समस्या से लंबे समय से जूझ रहा है।
कर्ज में डूबेगे नेपाल
नेपाल में फरवरी में बनी नई सरकार से चीन लगातार संपर्क में है, जिससे कि बंद पड़े प्रोजेक्ट पर फिर से काम शुरू किया जा सके। चीन के मेगा प्रोजेक्ट वन बेल्ट वन रोड़ (OBOR) का नेपाल हिस्सा बनना चाहता है। आलोचकों का मानना है कि चीन के प्रोजक्टों से नेपाल पर कर्ज का भार बढ़ जाएगा। नेपाल के पूर्व वित्त मंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'एक अपारदर्शी तरीके से इस तरह के एक प्रोजेक्ट आकर्षक कर रहे है, लेकिन इससे देश गहरे कर्ज की ओर बढ़ा जाएगा।'
नेपाल पर चीन और भारत की नजर
नेपाल अपने दोनों पड़ोसी देशों भारत और चीन से कॉन्ट्रेक्ट का प्रोजेक्ट लिया है, लेकिन कंस्ट्रक्शन बहुत धीमा है। नेपाल में भारत के सहयोग से 1.4 अरब डॉलर का हाइड्रोपावर प्लांट पर काम चल रहा है। वहीं, चीन की मदद से 750 मेगावाट हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पर भी नेपाल सरकार काम कर रही है। नेपाल में निवेश करने के लिए चीन और भारत दोनों ही अपनी नजरे गढ़ाए हैं।
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