नेपाल: कुर्सी बचाने के लिए पार्टी का विभाजन कर सकते हैं पीएम ओली, सत्र स्थगित
काठमांडू। भारत के खिलाफ बयानबाजी को लेकर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ रहा है। केपी शर्मा ओली द्वारा पद छोड़ने से इनकार करने के बाद नेपाल में गुरुवार को उथल-पुथल मच गई। पीएम कैबिनेट में दल विभाजन अध्यादेश लाने की तैयारी में हैं। उन्होंने दोनों सदनों के वर्तमान सत्र स्थगित कर दिए हैं। इस संबंध में उन्होंने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। मौजूदा समय में दल विभाजन के लिए 40 फीसदी संसद सदस्य और 40 फीसदी पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य का समर्थन होना आवश्यक होता है, लेकिन नए अध्यादेश में इनमें से किसी एक का भी समर्थन होने पर दल विभाजन को मान्यता मिल जाएगी।
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पार्टी के विभाजित होने के साथ ही संसद में अगर समर्थन की जरूरत होती है और दूसरे दलों में गठबंधन की सहमति नहीं बन पाती है तो कम से कम मध्यावधि चुनाव का मौका ओली के पास बना रहेगा। इससे पहले गुरुवार सुबह पीएम केपी ओली ने नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उन्होंने कैबिनेट की बैठक बुलाई है। नेपाल की राजनीति में लगातार बदलाव हो रहा है। प्रधानमंत्री केपी ओली ने आज 11 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई थी, जिसे अब टाल कर आगे बढ़ाया गया था।
प्रचंड और ओली सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के सह-अध्यक्ष हैं। बता दें कि ओली ने तीन साल पहले पुष्प कमल दहाल प्रचंड के साथ मिलकर अपनी पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी और कम्युनिस्ट पार्टी यूएमएल का विलय कर नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी बनाई थी। उधर पार्टी की केंद्रीय समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक शनिवार तक के लिए टाल दी गई है क्योंकि पार्टी को बनाए रखने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख पुष्प कमल दहल प्रचंड ने गुरुवार को प्रधानमंत्री ओली के करीबियों से मुलाकात की है। प्रचंड के मीडिया सलाहकार विष्णु सप्कोता ने इस बात की पुष्टि की थी कि प्रचंड ने बैठक की थी।
नेपाल के संविधान के आर्टिकल 93(3) के तहत अगर सदन का सत्र न भी चल रहा हो तो एक चौथाई सदस्य सिफारिश करके सत्र या बैठक का आयोजन कर सकते हैं। इसके बाद राष्ट्रपति को समय और तारीख तय करना होता है जिस पर सदस्य मिल सकते हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पीएम गुरुवार को उनके निवास पर हुई बैठक में इस अध्यादेश पर मुहर लगवा चुके हैं। ओली ने यह भी ऐलान किया था कि वह देश के नाम संबोधन देंगे।
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