क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

नेपाल का नागरिकता विवाद: 'कोरोना के बीच राष्ट्रवाद के मुद्दे को लाने की कोशिश'

नेपाल में तराई क्षेत्र की कई महिला सांसदों का कहना है कि ये प्रस्ताव महिलाओं के लिए अपमानजनक है. इस सिलसिले में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल के सचिवालय की शनिवार को हुई बैठक के बाद ये सिफारिश की गई है कि ऐसी शादी करने वाली महिलाओं को पहचान पत्र मुहैया कराया जाए, जो उन्हें नागरिकता प्राप्त करने तक राजनीतिक स्थिति को छोड़कर सभी अधिकार प्रदान करे.

 

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
नेपाल
NURPHOTO
नेपाल

नेपाली पुरुषों के साथ विवाह करने वाली विदेशी महिलाओं को शादी के सात साल बाद नागरिकता देने के प्रस्ताव का नेपाल की विपक्षी और तराई के इलाक़े का प्रतिनिधित्व करने वाली राजनीतिक पार्टियाँ विरोध कर रही हैं.

इस सिलसिले में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल के सचिवालय की शनिवार को हुई बैठक के बाद ये सिफारिश की गई है कि ऐसी शादी करने वाली महिलाओं को पहचान पत्र मुहैया कराया जाए, जो उन्हें नागरिकता प्राप्त करने तक राजनीतिक स्थिति को छोड़कर सभी अधिकार प्रदान करे.

नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 11 (6) के प्रावधान के अनुसार, नेपाली पुरुष से विवाह करने वाली विदेशी महिला क़ानून के अनुसार नेपाल की नागरिकता ले सकती है.

नागरिकता क़ानून के अनुसार, विदेशी महिला को नागरिकता लेते समय वैवाहिक संबंध और पिछली नागरिकता त्यागने के प्रमाण प्रस्तुत करने होते हैं.

नेपाल के संविधान का अनुच्छेद 289 कहता है कि जन्म से नेपाली नागरिक देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष, राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष, राज्य के प्रमुख, राज्य विधानसभा के अध्यक्ष और सुरक्षा बलों के प्रमुखों के लिए निर्वाचित, मनोनीत या नियुक्त किए जा सकते हैं.

हालाँकि इस बदलाव का विरोध कर रहे नेपाली कांग्रेस और तराई-केंद्रित दलों ने कहा है कि संविधान के अनुसार पिछले प्रावधान को जारी रखा जाना चाहिए. इस पर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल के नेताओं की दलील है कि नेपाली पुरुषों से शादी करने वाली महिलाएँ पहचान पत्र के माध्यम से आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों का लाभ ले सकती हैं.

नेपाल
NURPHOTO
नेपाल

पहचान पत्र धारक को चल संपत्ति ख़रीदने, उपभोग करने और बेचने, लाभ कमाने, व्यवसाय चलाने और उद्योग, व्यापार और व्यवसाय स्थापित करने और संचालित करने के अधिकार होंगे.

इसके अलावा, जन्म, मृत्यु, विवाह, तलाक़ और पहचान पत्र के माध्यम से व्यक्तिगत घटनाओं को दर्ज करने का प्रस्ताव किया गया है.

चूंकि सत्तारूढ़ पार्टी के पास संसद के दोनों सदनों में बहुमत है, इसलिए बिल के सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल की इच्छा के अनुसार पारित होने की संभावना है.

बीबीसी की नेपाली सेवा ने नेपाल के तराई इलाक़ों का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न दलों की महिला नेताओं से इस मुद्दे पर बात की.

'अपमानित महसूस कर रहे हैं'

सीता देवी यादव , सांसद और कोषाध्यक्ष , नेपाली कांग्रेस

नागरिकता पर नया प्रावधान बहुत ग़लत है. इससे सामाजिक समरसता बिगड़ रही है. संविधान में पहले से ही उन महिलाओं को प्राकृतिक नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है जिन्होंने यहाँ शादी की है और दूसरे देशों से आते हैं. इस तरह के प्रावधान की फिर से आवश्यकता क्यों है जबकि ये कहा गया है कि प्राकृतिक नागरिकता वाले लोगों को छह प्रमुख पदों को रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

भारत और अन्य देशों से शादी करने के बाद हज़ारों महिलाएँ नेपाल आई हैं. उन्होंने अपमानित महसूस किया है और भविष्य में भी महिलाएँ अपमानित महसूस कर सकती हैं. मैं भी भारत में पैदा हुई थी. लेकिन भले ही मेरी मातृभूमि भारत है, नेपाल मेरी कर्म भूमि है.

शादी करने के बाद इस तरह के प्रावधान के बारे में कभी नहीं सुना था. अब इस सरकार के पास अपनी ग़लतियों और कमियों को छिपाने और अपनी विफलताओं को ढँकने के लिए एक ज़रिया मिल गया है. ये अच्छा नहीं है. संविधान के मौजूदा प्रावधानों को जारी रखा जाना चाहिए.

'महिलाओं को निशाना बनाना ग़लत है'

इंदु शर्मा, सांसद, नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी

ये नया प्रावधान केवल महिलाओं के लिए है, जो बहुत ग़लत है. जब दूसरे देशों की महिलाएँ शादी करती हैं, तो वे जिस देश से आती हैं, उस देश के सभी अधिकारों को छोड़ देती हैं और उन्हें उस देश में सभी अधिकार मिलने चाहिए, जहाँ वो आती हैं.

नेपाल
FACEBOOK
नेपाल

संविधान में पहले से प्रावधान हैं, नया प्रावधान इसके विपरीत है. हम कह रहे हैं कि इसे ठीक किया जाना चाहिए. हम अपनी ही पार्टी में इसका विरोध करते हैं और लड़ाई लड़ते हैं. हमारा तर्क है कि बेटियों और बहुओं को समान अधिकार हैं, लेकिन व्यवहार में ये नहीं है.

'महामारी के बीच राष्ट्रवाद का मुद्दा'

रेणु देवी यादव, सांसद , समाजवादी पार्टी

हम संविधान में प्रस्तावित बदलाव के विरोध में हैं. देश में सांप्रदायिकता के भड़कने का ख़तरा है. इस नए प्रावधान को लाने के लिए सरकार और व्यक्तियों को संविधान पढ़ना आवश्यक है.

नेपाल
FACEBOOK
नेपाल

अगर नागरिकता संविधान के अनुसार दी जानी है, तो पुराने प्रावधान को रखा जाना चाहिए. हमारे देश में संस्कृति, भाषा और काम को लेकर संबंधों को बिगाड़ने का खेल खेला जा रहा है, और प्रधानमंत्री को इसका जवाब देना चाहिए.

राष्ट्रवाद के मुद्दे को कोरोनो वायरस महामारी के बीच लाया गया है. महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है. शादी करने के बाद, औरत का घर ही सब कुछ होता है. इस प्रावधान को निरस्त किया जाना चाहिए.

'अपमानजनक प्रावधान'

सुरता साह, पूर्व मंत्री और राज्य विधानसभा की सदस्य, समाजवादी पार्टी

सरकार की ओर से संविधान में बदलाव का ये प्रावधान मधेसी लोगों का अपमान करता है. हमारी संस्कृति सीता और राम के संबंधों से जुड़ी है. ये हमारे देश के हित में नहीं हो सकता है कि सात साल तक महिलाओं को राजनीतिक अधिकार नहीं दिया जाए और उन्हें नियुक्तियाँ न दी जाएँ.

लेकिन सब कुछ भूलकर नेपाल को अपना मानने के बाद, हम उन्हें इस तरह से शक्तिहीन नहीं बना सकते. फिर, महिलाएँ न केवल भारत से बल्कि अन्य देशों से भी आती हैं. सरकार महिलाओं को स्टेटलेस नहीं बना सकती है.

संविधान में लिखा है कि अगर आप शादी करने के बाद किसी दूसरे देश की नागरिकता का त्याग करते हैं, तो आपको नेपाल की नागरिकता मिल जाएगी. ये देखकर दुख होता है कि देश के नेता राजनीति कर रहे हैं जबकि महिलाओं के अधिकारों का हनन हो रहा है.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Nepal amends citizenship law for Indians coronavirus nationalism
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X