राजकीय सम्मान के साथ हुआ नेलसन मंडेला का अंतिम संस्कार
मंडेला के अंतिम संस्कार में सिर्फ 4500 लोगों को जाने की अनुमति दी गई थी। खास बात यह है कि इस दौरान सिर्फ अफ्रीकन लोगों को ही बोलने की इजाजत दी गई। मंडेला का पांच दिसम्बर को निधन हुआ था। अंतिम संस्कार प्रथम श्रेणी राजकीय सम्मान के साथ किया गया। अंतिम संस्कार में कूटनीतिक प्रोटोकॉल का ध्यान रखा गया और पारंपरिक जोसा प्रथा को अपनाया गया। अंतिम संस्कार विशेष रूप में तैयार गुंबद में किया गया, जिसमें शामिल होने वालों के लिए बैंगनी और काले रंग की कुर्सियां लगाई गईं।
अंतिम संस्कार समारोह में मालावी के राष्ट्रपति जॉयस बांडा और तंजानिया के राष्ट्रपति जकाया किक्वे टे भी पहुंचे। समारोह के अन्य वक्ताओं में पारिवारिक प्रतिनिधि नगंगोम्लाबा मतांजिमा और मंडेला के घनिष्ठ मित्र और कामरेड अहमद कठराडा भी शामिल हुए। ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्स, अरबपति कारोबारी पेट्रिस मोत्सेपे और ओप्रा विंफ्रे भी समारोह में हिस्सा ले रहे हैं। इसमें कुनु गांव के भी कुछ लोगों को जगह दी गई है। दुनिया भर के टेलीविजन चैनलों पर अंतिम संस्कार समारोह का लाइव प्रसारण किया गया। मंडेला को उनके पारिवारिक कब्रगाह में उनके संबंधियों की कब्रों के पास दफनाया गया।
भारतीय मूल के रंगभेद विरोधी कार्यकर्ता और नेल्सन मंडेला के सहयोगी अहमद कथ्रादा ने दक्षिण अफ्रीका के इस्टर्न केप प्रांत के कुनु गांव में दिवंगत मंडेला का अश्रुपूर्ण विदाई दी। कथ्रादा ने कहा, "जब वाल्टर सिसलू की मौत हुई तो मैंने एक पिता खोया, जब तुम्हारी मौत हुई तो मैंने एक भाई खोया।" मंडेला के लंबे समय से मित्र रहे कथ्रादा ने कहा कि उन्होंने अंतिम बार मंडेला को अस्पताल में जीवित देखा था। कथ्रादा और मंडेला दोनों को राबिन द्वीप पर कैद कर रखा गया था।