नैटो सम्मेलन: ट्रंप का मज़ाक बना रहे थे कनाडा के पीएम ट्रूडो?
नैटो की 70वीं वर्षगांठ पर आयोजित दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में बात 'एकजुटता' की हुई लेकिन सम्मेलन में शिरकत करने वाले आला नेताओं के बीच का तालमेल सवालों के घेरे में रहा. अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को वायरल हुए एक वीडियो में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का कथित मजाक रास नहीं आया. अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इस वीडियो पर अपनी प्रतिक्रिया दी
नैटो की 70वीं वर्षगांठ पर आयोजित दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में बात 'एकजुटता' की हुई लेकिन सम्मेलन में शिरकत करने वाले आला नेताओं के बीच का तालमेल सवालों के घेरे में रहा.
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को वायरल हुए एक वीडियो में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का कथित मजाक रास नहीं आया.
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इस वीडियो पर अपनी प्रतिक्रिया दी जिसमें कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और दुनिया के अन्य नेता उनका (ट्रंप) का मज़ाक उड़ा रहे थे.
ट्रंप ने वीडियो पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्रूडो को 'टू फेस्ड' यानी 'दो चेहरे वाला' बताया है. हालांकि साथ ही उन्होंने ट्रूडो को एक अच्छा व्यक्ति भी बताया.
ट्रंप ने यह भी कहा, "लेकिन सच यह है कि मैंने उनसे कहा था कि वो 2% भी नहीं अदा कर रहे हैं. मुझे लगता है कि वो इससे नाखुश थे."
ट्रंप ने कहा, "वह जीडीपी का 2% भी नहीं दे रहें हैं और उन्हें 2% का भुगतान करना ही चाहिए. कनाडा के पास पैसा है. देखिये मैं अमेरिका का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं और वह जितना भुगतान कर रहें है उन्हें उससे अधिक भुगतान करना चाहिए. वह इसे समझते हैं ... और मैं समझ सकता हूं कि वह खुश नहीं है, लेकिन यह ऐसा ही है."
दरअसल नैटो की बैठक में वीआईपी रिसेप्शन के दौरान एक बातचीत का वीडियो वायरल हुआ है.
इसमें ट्रूडो, फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप की चर्चा कर रहे थे.
हालांकि इस क्लिप में किसी ने भी ट्रंप का नाम नहीं लिया लेकिन वह जिन बातों की चर्चा कर रहे थे उसे ट्रंप से संबंधित माना जा रहा है.
वीडियो में क्या है?
कनाडा के सरकारी ब्रॉडकास्टर सीबीएस ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया है. इसमें ट्रूडो बकिंघम पैलेस में कुछ नेताओं से बात करते दिखते हैं. इन नेताओं में ब्रिटेन के पीएम जॉनसन, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों और क्वीन एलिजाबेथ की बेटी राजकुमारी एनी शामिल हैं.
वीडियो की शुरुआत में जॉनसन फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से सवाल करते हैं, "क्या इस वजह से आपको देरी हुई."
ट्रूडो बीच में कहते हैं, "उन्हें देरी हुई क्योंकि उन्होंने शुरुआत में 40 मिनट लंबी प्रेस कॉन्फ्रेंस की."
इस बीच मैक्रों भी कुछ कहते दिखते हैं लेकिन पीछे के शोर में उनकी बात सुनाई नहीं देती है. इस पर ट्रूडो कहते हैं, "हां... हां... उन्होंने एलान किया (साफ़ आवाज़ नहीं है)... आपने अभी देखा कि उनकी टीम के जबड़े ज़मीन की तरफ झुक गए."
वीडियो से ऐसा लगता है कि इन नेताओं में से किसी को अंदाज़ा नहीं था कि उनकी बातचीत की रिकॉर्डिंग की जा रही है.
इस जवाब में ट्रंप ने कहा कि ट्रूडो के 'दो चेहरे हैं.'
अमरीका की राजनीति के जानकार इयान ब्रेमर ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया में लिखा कि ट्रंप के साथ यह हर नैटो सम्मलेन में होता है. उन्होंने ट्वीट किया कि, "अमरीका के सहयोगी राष्ट्रपति ट्रंप के पीठ पीछे उनका मज़ाक उड़ाते रहे हैं चाहे जी7 हो या जी80 सम्मेलन."
This happens at every NATO summit with Trump. Every G7. Every G20. The US President is mocked by US allies behind his back. pic.twitter.com/FWncEM7jVs
— ian bremmer (@ianbremmer) December 4, 2019
ट्रंप के 'दो चेहरे वाला' बयान के बाद ट्रूडो की तरफ से एक बार फिर प्रतिक्रिया आई. हालांकि इस बार ट्रूडो ने कहा कि अमरीका के साथ कनाडा के बहुत मजबूत संबंध हैं.
इससे पहले अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच भी बयानबाजी हुई थी. बीते दिनों मैक्रों ने नैटो को ब्रेन डेड कहा था. इस पर ट्रंप ने उनकी बहुत खिंचाई की थी.
नैटो की बैठक से पहले संवाददाता सम्मेलन में ट्रंप ने मैक्रों के बयान को 'बहुत बुरी टिप्पणी' बताया था. ट्रंप ने इस दौरान मैक्रों के बयान को 'अपमानजनक' भी करार दिया.
इस संवाददाता सम्मेलन में मैक्रों भी मौजूद थे. ट्रंप ने उनके सामने ही उनके बयान को अपमानजनक और भद्दा बयान बताया था.
लेकिन तब मैक्रों ने इसके जवाब में कहा था कि वो अपने बयान पर कायम हैं.
उन्होंने सीरिया से अमरीकी सेना की वापसी पर निराशा जताते हुए अमरीका की आलोचना की.
उन्होंने नैटो के सदस्य देशों की सलाह लिए बगैर सीरिया से अपने सैनिकों को हटाने पर अमरीका को आड़े हाथों लिया.
गौरतलब है कि अमरीका के पूर्वोत्तर सीरिया से अपनी सेना को हटाने के बाद ही नैटो के ही एक अन्य सदस्य देश तुर्की ने कुर्द लड़ाकों पर हमला कर दिया था.
ये कुर्द लड़ाके ही थे जिन्होंने इस्लामिक स्टेट को हराने में पश्चिमी सेनाओं की मदद की थी.