Nasa Study: 30 छोटी 'पृथ्वी' को निगल चुका है बृहस्पति, अब उसके केंद्र में मिली ये चीज
नई दिल्ली: हमारा सौरमंडल रहस्यों से भरा हुआ है, जिसमें सबसे ज्यादा दिलचस्प बृहस्पति ग्रह है। इसके अध्ययन के लिए नासा ने 2016 में जूनो नाम के एक स्पेस क्राफ्ट को लॉन्च किया था, जो बृहस्पति के ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है। साथ ही उसने इस ग्रह के निर्माण से जुड़ी कई अहम जानकारियां हासिल कीं। (तस्वीरें- नासा से साभार)
सभी ग्रहों को मिलाने पर भी ढाई गुना बड़ा
नासा के मुताबिक बृहस्पति का निर्माण हीलियन और हाइड्रोजन गैसों से हुआ है। ये इतना बड़ा है कि अगर सौरमंडल के सारे ग्रहों को मिला दें, तो भी ये ढाई गुना बड़ा होगा। जूनो की जांच में पता चला कि गैसों के साथ इसके निर्माण में धातु का इस्तेमाल हुआ है। ये धातु इसने खुद से पैदा नहीं की, बल्कि दूसरे ग्रहों को निगलकर हासिल की हैं। जूनो ने इसके ग्रेविटेशनल फील्ड को मापने के लिए रेडियो वेव्ज का इस्तेमाल किया।
केंद्र में मौजूद धातु जैसे तत्व
हाल ही में Astronomy and Astrophysics जर्नल में एक शोध को प्रकाशित किया गया। जिसमें बताया गया कि बृहस्पति ग्रह के गर्भ में धातु जैसे तत्व मौजूद हैं, जिनकी माप पृथ्वी से 11 से 30 गुना तक है, यानी ये 30 छोटी पृथ्वी को निगल चुका है। ये धातु उसके केंद्र के पास है।
धातु के छोटे-छोटे टुकड़े इकट्ठा हुए?
वैज्ञानिकों का मानना है कि सिर्फ दो तरीकों से ही धातु की इतनी मात्रा बृहस्पति में आ सकती है। पहला है कि इसमें धातु के छोटे-छोटे टुकड़े जाकर इकट्ठा हुए हैं, जबकि दूसरा कि इसने दूसरें ग्रहों को निगल लिया हो।
कब छोटे ग्रहों को निगला?
स्टडी के प्रमुख लेखक यामिला मिग्यूल के मुताबिक जब बृहस्पति का निर्माण हुआ तो उसमें छोटे धातु के छोटे-छोटे टुकड़े रहे होंगे। बाद में इसने ग्रहों के बड़े टुकड़ों को निगला, जिस वजह से इसके केंद्र के पास भारी मात्रा में धातु इकट्ठा हो गईं। उनका मानना है कि जब बृहस्पति के हीलियन और हाइड्रोजन का बाहरी आवरण बड़ा हो रहा था, तब उसने ग्रहों को निगला होगा।
जूनो ने सुनीं रहस्यमयी आवाजें
बृहस्पति के 79 चंद्रमा हैं, जिसमें से अभी सिर्फ 53 का ही नामकरण हुआ है। कुछ वक्त पहले नासा ने दावा किया था कि जूनो को वहां पर रहस्यमयी आवाजें सुनाई दीं। नासा के मुताबिक 7 जून 2021 को जूनो ने इसे रिकॉर्ड किया था, जो बेहद स्पष्ट है। इसके अध्ययन से पता चला कि ये आवाज बृहस्पति के मैग्नेटोस्फेयर के बीच इलेक्ट्रिक और मैग्नेटिक रेडियो तरंगों की है, जो सीटी की तरह लग रही।