सौर मंडल की उत्पति के राज का होगा पर्दाफाश, NASA ने 12 साल के मिशन पर भेजा लूसी
वाशिंगटन, 16 अक्टूबर: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने शनिवार को पहली बार बृहस्पति (जूपिटर) के ट्रोजन क्षुद्रग्रहों (एस्टेरॉयड्स ) का पता लगाने के लिए 12 साल के मिशन पर लूसी नाम का एक अंतरिक्ष यान लॉन्च किया है, जो सौर मंडल के गठन को लेकर कई जानकारी इकट्ठा करेगा। यह एस्टेरॉयड्स की स्टडी के लिए एक बड़ा मिशन है। इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए एटलस वी रॉकेट ने स्थानीय समयानुसार सुबह 5:34 बजे फ्लोरिडा स्थित केप कैनावेरल से उड़ान भरी थी।
सौर मंडल की उत्पति के राज का पर्दाफाश
इस मिशन का नाम लूसी एस्टेरॉयड स्पेसक्राफ्ट है, जो स्पेस में जाकर पुराने एस्टेरॉयड्स की स्टडी करेगा और फिर सौर मंडल की उत्पति के राज से पर्दा उठाएगा। इस मिशन की लागत करीब 7 हजार 287 करोड़ रुपए बताया जा रहा है। रिपोर्ट की मानें तो लूसी गुरुत्वाकर्षण की मदद से 3 अर्थ फ्लाईबाई भी बनाएगी, जिससे यह बाहरी सौर मंडल से हमारे ग्रह के आसपास के क्षेत्र में लौटने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन जाएगा।
12 साल के मिशन पर लूसी
नासा ने बृहस्पति क्षुद्रग्रहों की जांच के लिए 12 साल के मिशन पर अंतरिक्ष यान को लॉन्च किया है। इस स्पेस क्रॉफ्ट का लूसी नाम पृथ्वी पर पाए गए पुरातन जीवाश्म के आधार पर दिया गया है। इस जीवाश्म के जरिए ही इंसानों की उत्पत्ति का पता चला था। लूसी अपनी 12 साल की यात्रा में 8 अलग-अलग क्षुद्रग्रहों की स्टडी करेगा। साल 2027 और 2033 के बीच यह 7 ट्रोजन क्षुद्रग्रहों का सामना करेगा। जिनमें से पांच झुंड में है, जो बृहस्पति की ओर जाते है।
इस मिशन के कई काम पहली बार होंगे
बता दें कि इस मिशन के तहत कई काम पहली बार होंगे, जिसमें लूसी का पहली बार जूपिटर ग्रह के एस्टेरॉयड बेल्ट से गुजरना। इसी के साथ पहली बार कोई स्पेस क्राफ्ट सौर मंडल के बाहर भेजा जाना। नासा के मुताबिक मिशन लूसी हमें अंतरिक्ष की प्राचीनता के बारे में बताएगी। इसी के साथ ग्रहों की उत्पत्ति और एस्टेरॉयड्स की परिस्थितियों की भी जानकारी मिलेगी।
भौतिक स्थितियों के बारे में मिलेंगे अहम सुराग
लूसी अपनी सतहों के 250 मील (400 किलोमीटर) के भीतर अपनी लक्षित वस्तुओं से संरचना, द्रव्यमान, घनत्व और मात्रा सहित अपने भूविज्ञान की जांच के लिए अपने जहाज पर उपकरणों और बड़े एंटीना का उपयोग करेगा। बृहस्पति ट्रोजन क्षुद्रग्रह जिनकी संख्या 7,000 से अधिक मानी जाती है। हमारे सौर मंडल के विशाल ग्रहों- बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून के निर्माण से बचा हुआ कच्चे सामान हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि उनके पास प्रोटोप्लेनेटरी डिस्क की संरचना और भौतिक स्थितियों के बारे में महत्वपूर्ण सुराग हैं, जिससे पृथ्वी सहित सूर्य के सभी ग्रह बने हैं।
लूसी मिशन आकाश में एक हीरे से कम नहीं
मिशन के प्रमुख वैज्ञानिक हैल लेविसन ने कहा कि ट्रोजन के बारे में वास्तव में आश्चर्यजनक चीजों में से एक, जब हमने जमीन से उनका अध्ययन करना शुरू किया, तो वे एक दूसरे से कितने अलग हैं, खासकर उनके रंगों के साथ। कुछ ग्रे हैं, जबकि अन्य लाल हैं। मतभेदों के साथ इन क्षुद्रग्रह के अंतर बताते हैं कि वर्तमान कक्षा में आने से पहले ये सूर्य से कितनी दूरी पर बने होंगे। उन्होंने बताया कि लुसी मिशन आकाश में एक हीरे से कम नहीं होगा।
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