दूसरा सबसे गर्म साल रहा 2017, नासा के विश्लेषण में दावा
अमेरिका की ही नैशनल ऑशियनिक ऐंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन, जो इस विश्लेषण के लिए अन्य प्रक्रिया का इस्तेमाल करता है, ने 2017 को 2015 और 2016 के बाद तीसरा सबसे गर्म साल माना है।
नई दिल्ली। नासा के ताजा विश्लेषण के मुताबिक साल 2017 दूसरा सबसे गर्म साल रहा था। नासा के वैज्ञानिकों कहना है कि 2016 और 2015 के बाद 2017 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है। नासा ने दावा है कि उसका यह रिपोर्ट लगभग 167 साल के आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 2016 अल नीनो वर्ष था, जबकि 2017 बगैर अल नीनो सबसे गर्म साल रहा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 2017 को 2016 के बाद दूसरा सबसे गर्म साल माना है।
तकनीकी तौर पर 2015 भी अल नीनो वाला नहीं थ
अमेरिका की ही नैशनल ऑशियनिक ऐंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन, जो इस विश्लेषण के लिए अन्य प्रक्रिया का इस्तेमाल करता है, ने 2017 को 2015 और 2016 के बाद तीसरा सबसे गर्म साल माना है। हालांकि तकनीकी तौर पर 2015 भी अल नीनो वाला नहीं था। नासा ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि अल नीनो अंटार्कटिका की सालाना दस इंच बर्फ़ पिघला रहा है। नासा के वैज्ञानिकों का कहना था कि अल नीनो समंदर के गरम पानी का बहाव अंटार्कटिका की ओर कर रहा है, जिससे वहां बर्फ़ पिघल रही है जो कि तापमान बढ़ने का एक प्रमुख कारण हो सकता है।
पूरी मानव जाति के लिए सबसे बड़ी समस्या
इस पूरे मामले का विश्लेषण करने वाले नासा ग्रुप के गोड्डार्ड इंस्टिट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज के डायरेक्टर गैविन ए स्मिथ का कहना है कि सबसे गर्म साल को श्रंखलाबद्ध करना उतना महत्वपूर्ण नहीं है। जरूरी बात यह है कि तापमान जिस तरह साल-दर-साल बढ़ रहा है, वाले आने वाले समय में पूरी मानव जाति के लिए सबसे बड़ी समस्या भी बन सकता है।
मानव गतिविधियों के कारण ही धरती का तापमान बढ़ रहा है
अमेरिकी सरकार ने पिछले साल नवंबर में एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया था कि मानव गतिविधियों के कारण ही धरती का तापमान बढ़ रहा है। विश्व मौसम संगठन का भी मानना है कि सबसे गरम वर्षों की रैंकिंग कोई बड़ी बात नहीं है। सबसे बड़ी बात यह देखना होगा कि समंदर की बर्फ जैसी अन्य जलवायु विशेषताओं पर क्या असर पड़ रहा है।
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