SCO समिट में पीएम मोदी के पीछे-पीछे चलते रहे इमरान खान, ना दिल मिले ना हाथ
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बिश्केक। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन समिट में शामिल होने के लिए किरगिस्तान के बिश्केक में हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से ना तो कोई बातचीत की और ना ही उनसे हाथ मिलाया। दिलचस्प बात यह है कि फ्रुंजे रेस्टोरेंट में दोनों ही प्रधानमंत्री डिनर टेबल पर मौजूद थे, लेकिन उनके बीच किसी भी तरह का ना तो अभिवादन हुआ और ना ही बातचीत। सूत्र ने बताया कि दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच किसी भी तरह का कोई दुआ सलाम नहीं हुआ।
इमरान खान की तरफ देखा भी नहीं
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान तमाम राष्ट्राध्यक्षों के साथ मुलाकात की, लेकिन इमरान खान की ओर उन्होंने देखा तक नहीं। दोनों नेता गाला कल्चरल नाइट प्रोग्राम के बाद एक दूसरे के आसपास थे, लेकिन दोनों के बीच किसी भी तरह की कोई बात नहीं हुई। हॉल में पीएम मोदी आगे-आगे चल रहे थे और इमरान खान उनके पीछे, लेकिन पीएम मोदी ने उन्हे नजरअंदाज करते हुए अन्य राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात की। बता दें कि जिस तरह से पुलवामा और बालाकोट में आतंकी हमले हुए थे, उसके बाद से दोनों ही देशों के बीच रिश्तों में काफी कड़वाहट आ गई है।
विदेश मंत्रालय ने पहले ही साफ किया रुख
गौर करने वाली बात है कि इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने साफ कर दिया था कि एससीओ की बैठक में पीएम मोदी की पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ किसी भी तरह की द्विपक्षीय वार्ता का कार्यक्रम नहीं है। विदेश मंत्रालय के इसी रुख पर कायम रहते हुए पीएम मोदी ने इमरान खान से दूरी बनाए रखी और उनसे ना किसी तरह की बात की और ना ही उनकी तरफ देखा। इस दौरान पीएम मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की।
बदले हालात
दरअसल जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो साल पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से जून 2017 में अस्थन में मिले थे, उसके बाद बिश्केक ने इमरान खान को पूरी तरह से नजरअंदाज किया। उस वक्त नवाज शरीफ का इलाज हुआ था और खुद पीएम मोदी ने आगे बढ़कर नवाज शरीफ का हालचाल लिया था। साथ ही उनकी मां और परिवार का भी हाल लिया था। बिश्केक पहुंचने से पहले इमरान खान ने रूस की न्यूज एजेंसी से कहा था कि भारत और पाकिस्तान के संबंध मौजूदा समय में सबसे खराब स्थिति में हैं। हमे उम्मीद है कि जिस तरह से पीएम मोदी को इतना बड़ा जनमत मिला है वह इसका इस्तेमाल दोनों देशों के बीच के मतभेद को खत्म करने में करेंगे, जिसमे कश्मीर मुद्दा भी शामिल है।
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