म्यांमार में सेना का शासन: अमेरिका ने म्यांमार सेना को दी धमकी, भारत और UN ने जताई चिंता
म्यांमार में सेना द्वारा सरकार का तख्तापलट करने को लेकर वैश्विक प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। अमेरिका ने म्यांमार मिलिट्री को धमकी दी है तो भारत और UN ने गहरी चिंता जताई है।
Military rule in Myanmar: नेपिडॉ: म्यांमार में आज सुबह सुबह देश की सेना ने चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट करते हुए देश पर एक साल के लिए मिलिट्री शासन थोप दिया है। जिसको लेकर पूरी दुनिया से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। अमेरिका ने सीधे सीधे म्यांमार मिलिट्री को धमकी दे दी है वहीं भारत, ऑस्ट्रेलिया समेत यूनाइटेड नेशंस ने म्यांमार में लोकतांत्रिक व्यवस्था के ध्वस्त पर होने पर गहरी चिंता जताई है।
अमेरिका ने दी म्यांमार सेना को धमकी
म्यांमार की ताकतवार सेना ने सरकार में सत्ता का तख्तापलट कर दिया है। सेना ने म्यांमार की सबसे बड़ी नेता आंग सान सू और देश के राष्ट्रपति को हिरासत में लिया है। जिसको देखते हुए अमेरिका ने लोकतांत्रिक सरकार को सत्ता से बेदखल करने को लेकर चिंता जाहिर की है। अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को म्यांमार की हालातों से वाकिफ करवाया है। व्हाइट हाउस ने अपने बयान में कहा है कि अमेरिका किसी भी लोकतांत्रिक सरकार को हटाने और चुनावी परिणाम बदलने वाली ताकतों का विरोध करता है। सेना ने म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को चोट पहुंचाई गई है। हम तमाम स्थिति पर बारिकी से नजर रख रहे हैं और अगर फिर से सत्ता का कंट्रोल चुनी हुई सरकार के हाथों में नहीं दी गई तो हम सत्ता पलटने वाली ताकतों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।
UN समेत दुनियाभर के देशों ने की निंदा
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वहीं, म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद यूनाइटेड नेशंस ने सेना की इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है। यूनाइटेड नेशंस ने बयान जारी करते हुए कहा है कि 'म्यांमार के लोगों को लोकतंत्र, शांति, मानव अधिकारों और कानून राज कायम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ का पूर्ण समर्थन हासिल है। UN सेना द्वारा उठाए गये इस कदम की भरपूर आलोचना करता है। संयुक्त राष्ट्र ने अपने बयान में कहा है कि 'संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने म्यांमार में सभी विधायी, कार्यकारी और न्यायिक शक्तियों का सेना के हाथ में आने पर गंभीर चिंता जाहिर की है। म्यांमार में जो कुछ भी हो रहा है वो दुनियाभर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया में आने वाली सुधारों के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है'
म्यांमार में मिलिट्री शासन, भारत की प्रतिक्रिया
म्यांमार और भारत सिर्फ पड़ोसी देश नहीं हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच काफी अच्छे संबंध हैं। लिहाजा, म्यांमार की सत्ता सेना के हाथों में आना भारत के लिए किसी झटके से कम नहीं है। कोरोना संक्रमण के दौरान भी भारत ने वैक्सीन की बड़ी खेप म्यांमार को भेजी है। म्यांमार में सेना द्वारा सत्ता तख्तापलट को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने गरही चिंता जताते हुए एक प्रेस नोट जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाली का हमेशा भारत सरकार ने समर्थन किया है। भारत का मानना है कि किसी भी देश में कानून का शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत की राजनीतिक फैसले होने चाहिए। हम म्यांमार में भी लोकतांत्रिक सरकार चाहते हैं। फिलहाल भारत सरकार म्यांमार की हर घटना पर बारीकी से निगरानी कर रहा है।
वहीं, ऑस्ट्रेलिया ने म्यांमार में मिलिट्री लॉ की गहरी आलोचना करते हुए देश में जल्द से जल्द लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल करने के लिए कहा है। ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्रालय ने अपने बयान चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि म्यांमार में जो कुछ भी हुआ है वो लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करता है। हम म्यांमार मिलिट्री से अनुरोध करते हैं कि वो कानून और देश की संविधान का सम्मान करे और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए देश की समस्याओं को हल करने की दिशा में आगे बढ़े।
म्यांमार में ये कोई पहली बार नहीं है जब सेना ने चुनी हुई सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया है। और राष्ट्रपति समेत तमाम बड़े नेताओं को भी पहली बार गिरफ्तार नहीं किया गया है। इससे पहले भी म्यांमार में तख्तापलट होते रहे हैं और सेना देश की लोकतांत्रिक और चुनी हुई सरकार को जेल में बंद करती रही है। आंग सान सू वो नेता हैं, जिन्होंने लंबी लड़ाई लड़ते हुए देश को सैन्य ताकतों से निजात दिलाया था मगर एक बार फिर से म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बंधक बना लिया गया है।
म्यांमार में 'मिलिट्री राज' का ऐलान: सबसे बड़ी नेता आंग सान सू गिरफ्तार, एक साल के लिए सेना का शासन