म्यांमार में रॉयटर्स के दो पत्रकारों को सात वर्ष की कैद, रोहिंग्या मुसलमानों की हत्याओं की रिपोर्टिंग कर रहे थे जर्नलिस्ट्स
म्यांमार की कोर्ट ने सोमवार को अमेरिकी न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के दो जर्नलिस्ट्स को सात वर्ष की सजा सुनाई है। इन दोनों को देश के गोपनीयता कानूनों को तोड़ने का दोषी पाए जाने पर कोर्ट ने यह सजा सुनाई है।
यंगून। म्यांमार की कोर्ट ने सोमवार को अमेरिकी न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के दो जर्नलिस्ट्स को सात वर्ष की सजा सुनाई है। इन दोनों को देश के गोपनीयता कानूनों को तोड़ने का दोषी पाए जाने पर कोर्ट ने यह सजा सुनाई है। जिस केस में कोर्ट की ओर से जर्नलिस्ट्स को सजा सुनाई गई है उसे साउथ-ईस्ट एशिया में एक एतिहासिक केस करार दिया जा जा रहा है। खास बात है कि दोनों जर्नलिस्ट्स म्यांमार में रोहिंग्या संकट से जुड़ी स्टोरीज पर काम कर रहे थे।
12 दिसंबर से जेल में
यंगून नॉर्दन डिस्ट्रिक्ट जज ये लुईन ने 32 वर्षीय वा लोन और 28 वर्ष के क्याव सो को ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट को तोड़ने का दोषी पाया। इन दोनों को उस समय कानून को तोड़ने का आरोपी माना गया था जब कुछ सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स दोनों के हाथ लग गए थे। जज ने सजा सुनाते हुए कहा, 'मुलजिमों ने ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के सेक्शन 3.1 को तोड़ा है और इन्हें सात वर्ष की सजा सुनाई जाती है।' जज ने अपने फैसले में कहा कि दोनों ही मुलजिमों 12 दिसंबर 2017 से जेल में थे और सजा में इस अवधि का ध्यान रखा जाएगा। इस सजा पर यूनाइटेड नेशंस (यूएन) में प्रेस की आजादी से जुड़े संगठन और यूरोपियन यूनियन के अलावा अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने दोनों ही जर्नलिस्ट्स को रिहा करने की मांग की है। सजा पर रॉयटर्स के एडीटर-इन-चीफ स्टीफन जे एडलर की तरफ से बयान जारी किया गया है। उन्होंने कहा, 'आज का दिन म्यांमार, रॉयटर्स के जर्नलिस्ट्स वा लो और क्याव सो ओ और दुनिया में प्रेस के लिए एक बुरा दिन है।'
पुलिस ने दोनों को प्लान के तहत फंसाया
दोनों रिपोर्ट्स ने कोर्ट को जानकारी दी कि उन्हें दो पुलिस अधिकारियों की ओर से उन्हें नॉर्थ यंगून के एक रेस्टोरेंट में पेपर्स दिए गए थे और इसके तुरंत बाद ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। वहीं पुलिस गवाह की ओर से बताया गया कि रेस्टोरेंट में मीटिंग का प्लान दोनों को फंसाने के लिए किया गया था ताकि उन्हें रोहिंग्या मुसलमानों की हत्याओं पर रिपोर्टिंग करने से रोका जाए या फिर उन्हें इसकी सजा दी जा सके। रिपोर्टर वा लोन ने सजा के बाद कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और उन्हें न्याय, लोकतंत्र और आजादी पर यकीन है। दोनों ही जर्नलिस्ट्स पिछले नौ माह से जेल में थे और उन्होंने इस दौरान अपनी बेटियों से मुलाकात नहीं की है। दोनों के परिवार के सदस्य जेल में उनसे मिलने आते थे। क्याव की बेटी तीन वर्ष की और वा की बेटी अभी एक माह की ही है। दोनों ही जर्नलिस्ट्स को ऐसे समय में सजा दी गई है जब नोबेल पुरस्कार विजेता और म्यांमार की पीएम आंग सान सू की पर अगस्त 2017 में हुए आतंकी हमलों के बाद दबाव बढ़ता ही जा रहा है। यूएन की एजेंसियों की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक 700,000 रोहिंग्या मुसलमान, म्यांमार छोड़कर बांग्लादेश चले गए हैं।