'कोरोना वायरस के कारण मेरा मां बनने का सपना न टूट जाए'
कोरोना वायरस महामारी के कारण मां बनने की उम्मीद संजोये बैठी महिलाएं परेशान हैं. उन्हें डर है कि शायद वे अब कभी मां नहीं बना पाएंगी. ऐसा इस वजह से है क्योंकि कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर के फ़र्टिलिटी क्लीनिक (निसंतान दंपत्तियों का इलाज करने वाले अस्पताल) ने लोगों का इलाज करना बंद कर दिया है. वेस्ट ससेक्स की रहने वाली सायन ब्रिंडलो कहती हैं, "मैं एक बच्चा चाहती हूं.
कोरोना वायरस महामारी के कारण मां बनने की उम्मीद संजोये बैठी महिलाएं परेशान हैं. उन्हें डर है कि शायद वे अब कभी मां नहीं बना पाएंगी.
ऐसा इस वजह से है क्योंकि कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर के फ़र्टिलिटी क्लीनिक (निसंतान दंपत्तियों का इलाज करने वाले अस्पताल) ने लोगों का इलाज करना बंद कर दिया है.
यूके के वेस्ट ससेक्स की रहने वाली सायन ब्रिंडलो कहती हैं, "मैं एक बच्चा चाहती हूं. मैं और मेरे पति पिछले 12 साल से संतान सुख के लिए तरस रहे हैं. अब हमें डर लग रहा है कि कहीं हमारा सपना अधूरा ही न रह जाए."
फ़र्टिलिटी का इलाज रुका
ब्रिंडलो उन तमाम लोगों में से एक हैं जो कि फ़र्टिलिटी प्रक्रियाओं से गुजरने वाले थे. अब इन लोगों को कह दिया गया है कि कोरोना वायरस की वजह से लगी पाबंदियों के चलते उनके इलाज को असीमित वक्त के लिए रोका जा रहा है.
सायन 40 साल की हैं. हाल में ही उनके पति के इन-विट्रो फ़र्टिलाइशन (आईवीएफ़) का तीसरा साइकल शुरू हुई था. तभी इलाज रोके जाने की ख़बर उन तक पहुंची. आईवीएफ़ के इससे पहले के उनके दो साइकिल असफल रहे थे.
सायन कहती हैं कि आईवीएफ़ की प्रक्रियाएं पहले ही उनके और उनके पति के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल चुकी थीं, ऐसे में कोरोना महामारी से वह काफ़ी परेशान हो गई हैं.
वह कहती हैं, "हमें कोई अंदाज़ा नहीं है कि आगे क्या होगा. हमारे लिए यह वाकई में एक मुश्किल वक्त है."
कोरोना के दौर में कई देशों में फ़र्टिलिटी क्लीनिक्स ने अपनी सेवाएं देना बंद कर दिया है. इस बारे में तस्वीर साफ़ नहीं है कि ये क्लीनिक कब से शुरू होंगे.
यूके की ह्यूमन फ़र्टिलाइजेशन एंड एंब्रायोलॉजी अथॉरिटी (एचईएफ़ए) ने एक बयान में कहा है, "हमें पता है कि मरीज़ों और क्लीनिक्स के लिए यह एक मुश्किल घड़ी है क्योंकि 15 अप्रैल 2020 से सभी फ़र्टिलिटी ट्रीटमेंट बंद कर दिए गए हैं."
यूएस में अमरीकन सोसाइटी फ़ॉर रीप्रोडक्टिव मेडिसिन (एएसआरएम) ने भी एक बार फिर नए ट्रीटमेंट साइकिल को रोकने की सलाह दी है.
फ़ेडरेशन ऑफ़ ओब्सटेट्रिक एंड गायनोकोलॉजिस्ट सोसाइटी ऑफ़ इंडिया (एफ़ओजीएसआई) ने कहा है, "फ़र्टिलिटी केयर और इस तरह की दूसरी स्थितियों के नए ट्रीटमेंट आगे के लिए टाल दिए जाने चाहिए."
देरी और सफलता
सायन कहती हैं कि उन्हें समझ में आता है कि क्यों उनकी आईवीएफ़ को आगे के लिए टालना पड़ा है, लेकिन पिछले कुछ हफ़्तों से उनका दिल टूट गया है.
महामारी फैलने से पहले उन्हें उम्मीद थी कि उनके कुछ एंब्रायो फ़्रीज होने से वह सुरक्षित हो जाएंगी. वह सर्ज़री की वेटिंग लिस्ट में थीं. अब उन्हें कहीं से वह दिलासा नहीं मिल पा रहा.
वह कहती हैं, "मैं बस यह सोच रही थी कि कब वे एग कलेक्शन करेंगे और उन्हें फ़्रीज करेंगे. मैं बेसब्री से बस इसी का इंतजार कर रही थी. इसके बाद मुझे अपनी उम्र को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं पड़ती."
फिलहाल सायन को उम्मीद है कि उनका ट्रीटमेंट जल्द ही फिर से शुरू हो जाएगा. वो कहती हैं कि वो "इंतजार करने के लिए तैयार हैं" लेकिन वो यह भी मान रही हैं कि शायद उनका सपना कभी पूरा न हो पाए.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि फ़र्टिलिटी ट्रीटमेंट को रोकने से कोरोना वायरस के फैलने की रफ़्तार को सुस्त किया जा सकता है. साथ ही इससे मेडिकल स्टाफ़ को कोविड-19 के मरीज़ों के इलाज के लिए तैनात करने में भी मदद मिलेगी.
डॉ. मार्को गुआडों फ़र्टिलिटी स्पेशलिस्ट हैं. वो कहते हैं, "ट्रीटमेंट का इंतजार कर रही कुछ महिलाओं पर इसका बुरा असर पड़ेगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि संतान पैदा होने में मदद देने वाले इस इलाज की सफलता उम्र और वक्त दोनों पर निर्भर करती है."
उन्होंने बीबीसी को बताया, "आंकड़ों की नज़र से देखें तो 34 साल से ज्यादा उम्र वालों के लिए गुज़रने वाला हर महीना आपकी सफलता की उम्मीद को करीब 0.3 फ़ीसदी कम कर देता है. ऐसे में छह महीने में यह करीब 2 फ़ीसदी बैठता है."
वह कहते हैं, "अगर आप 14 फ़ीसदी के लेवल से शुरुआत कर रहे हैं तो छह महीने बाद आपकी उम्मीद घटकर 12 फ़ीसदी रह जाएगी. आनुपातिक रूप से यह एक बड़ी गिरावट है और इसका मरीज़ों की उम्मीदों पर बुरा असर पड़ता है."
बेबी बंप का सपना
कैटी ब्रेंटन भले ही अभी 32 साल की हैं, लेकिन उन्हें चिंता हो रही है कि इलाज में देरी के चलते उनके अपना बच्चा होने के सपने को झटका लग सकता है.
कैटी और उनके पति पिछले करीब 3 साल से संतान के लिए कोशिश कर रहे हैं.
जांच से पता चला था कि उम्र के हिसाब से कैटी का एग रिज़र्व कम है. इसी वजह से उन्हें और उनके पति को संतान सुख के लिए मेडिकल सहायता की जरूरत पड़ी.
कैटी कहती हैं, "फ़र्टिलिटी के मामले में लोग सबसे पहले आपकी उम्र पूछते हैं. फ़र्टिलिटी के लिहाज से मैं अभी जवान हूं, लेकिन मेरा एग रिज़र्व कम है. मेरे हाथ से जिस तरह से वक्त फ़िसल रहा है वह वाकई डराने वाला है."
कैटी के इलाज का नया साइकिल शुरू होने वाला था. फ़्रोज़न एंब्रायो के ज़रिए ऐसा होना था. पाबंदियां लगने के कुछ दिन पहले ही उन्हें इसके लिए अपॉइंटमेंट भी मिला था.
वो कहती हैं, "मुझे उम्मीद है कि मेरा ट्रीटमेंट पूरा होगा. मेरा हमेशा से अपने बेबी बंप को देखने का सपना रहा है."
कैटी की तरह से ही कई और महिलाएं भी बांझपन से जूझ रही हैं. कैटी कहती हैं कि लॉकडाउन में युवा दंपति का घर में रहना और दूसरे के अनुभव सुनना बेहद तकलीफ़देह हो सकता है.
वो कहती हैं कि इस वक्त बच्चों के साथ घरों में कैद रहना कितना अजीब होता है, इस बारे में कई लोग बात करते हैं. वो कहती हैं , "काश मेरे घर पर भी एक छोटा बच्चा होता जिसके साथ मैं घर पर कैद रहती. मैं इसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हूं."
नाकाम कोशिशें
मिडवाइफ़ एलीनोर क्रैब 35 साल की हैं. वो और उनके पति पिछले चार साल से बच्चे के लिए कोशिश कर रहे हैं.
कुछ असफल प्रयासों के बाद उन्होंने डोनर एग्स का इस्तेमाल किया. उन्हें उम्मीद थी कि इस महीने एंब्रायो ट्रांसफ़र हो जाएगा. लेकिन, पूरी प्रक्रिया रुक गई.
वो कहती हैं, "ट्रांसफ़र कैंसिल हो गया और एंब्रायो फ़्रोज़न ही छोड़ दिया गया."
एलीनोर मिडवाइफ़ के तौर पर अपने काम को पसंद करती हैं. वह कहती हैं कि एक गर्भवती महिला की केयर करना तब आपके लिए और मुश्किल हो जाता है जबकि आप खुद बांझपन से जूझ रहे हों.
वह कहती हैं, "अंदाज़ा लगाइए कि आप केक फ़ैक्टरी में काम कर रहे हैं और आप केक खाना चाहते हैं, लेकिन आपको इसकी इजाज़त नहीं है."
वह कोशिश करती हैं कि उनकी फ़ीलिंग्स का असर किसी मरीज़ पर न पड़े. लेकिन कोरोना वायरस ने उनकी इस जंग को और मुश्किल बना दिया है.
वो कहती हैं, "मुझे काम पर जाना होता है, प्रेग्नेंट महिलाओं की देखभाल करनी होती है जिसके लिए मुझे केयरिंग और समझदार होने की जरूरत होती है. मुझे फ़ेस मास्क, ग्लव्ज, एप्रन पहनना होता है. लोग केवल आपकी आंखें देख पाते हैं. वे आपके दर्द को नहीं समझ सकते."
नाकामी की भावना
38 साल की शीतल सावला अपनी फ़र्टिलिटी के सफ़र को ब्लॉग के रूप में लिखती हैं. उन्हें लगता है उनकी कहानी ऐसी स्थिति से जूझ रहे दूसरे लोगों के लिए मददगार साबित होगी.
वह बताती हैं, "नाकाम होने की इस भावना पर बात करना मुश्किल होता है. आप बार-बार प्रेग्नेंट होने की कोशिश करते हैं और हर बार नाकाम हो जाते हैं. मुझे ऐसा लगता है कि जैसे बतौर एक महिला, पत्नी और बड़े रूप में बहू, बेटी और पोती के रूप में मैं नाकाम रही हूं."
वह और उनके पति आईवीएफ़ के चौथे साइकल में थे तभी क्लीनिक बंद हो गया. अब उनका एक एंब्रायो फ़्रोज़न है.
दूसरे कई लोगों की तरह ही शीतल भी मायूस हैं. लेकिन, वह कहती हैं कि उन्होंने स्थितियों से जूझना सीख लिया है. वह खुद को अब ज्यादा मजबूत पाती हैं.
वह कहती हैं, "इसका मतलब यह नहीं है कि सब कुछ आसान हो गया है. ऐसे कई मौके आते हैं जब बुरी तरह से निराश हो जाते हैं."
फ़र्टिलिटी का इलाज कराना शुरू कराने के दौरान उन्होंने इंस्टाग्राम पर टीटीसी (ट्राइंग टू कंसीव) कम्युनिटी की कहानियों को पढ़ना शुरू किया था.
अब वह दूसरों को सपोर्ट देने की कोशिश कर रही हैं. वह अपने अनुभवों को ऑनलाइन दूसरों के साथ साझा करती हैं.
वह कहती हैं, "ऐसे हालात से गुजर रहे लोग आपकी कहानी से खुद को जुड़ा हुआ पाते हैं. खासतौर पर भारतीयों के साथ ऐसा होता है. हम जिस तरह के सांस्कृतिक दबाव और उम्मीदों का सामना करते हैं उनमें मदद के लिए बहुत कम भारतीय आवाजें मौजूद हैं."
अपनी संतान
बीबीसी 100 विमन ने जिन लोगों से बात की उनमें से ज्यादातर ने कहा कि वे सालों से टेस्ट्स और प्रक्रियाओं से गुजर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि किस तरह से हर चीज पर फ़र्टिलिटी ट्रीटमेंट हावी हो जाता है और वे एक अपॉइंटमेंट के बाद दूसरे अपॉइंटमेंट पर जीने लगते हैं.
अब ये क्लीनिक बंद होने और इलाज रुक जाने से ये सभी लोग निराश हैं.
अपना पूरा नाम न छापने की शर्त पर श्योभान ने कहा, "अगले 12 महीने मेरी पूरी जिंदगी को तय करने वाले साबित होंगे. यह नतीजा बताएगा कि मैं मां बन पाऊंगी या नहीं."
वह 41 साल की हैं और गर्भपात के बुरे अनुभव से गुजर चुकी हैं. सफल आईवीएफ़ के लिए उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से उबरना पड़ा है. हाल में ही डॉक्टरों ने कहा था कि वह अब वो फ़िट हैं और उनका इलाज शुरू किया जा सकता है.
वह कहती हैं, "दो महीने पहले मैं अच्छी स्थिति में थी. लेकिन, मुझे नहीं पता कि मैं पूरे साल ठीक रहूंगी या नहीं."
वह इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि ट्रीटमेंट फिर से शुरू हो जाने पर बैकलॉग से कैसे निपटा जाएगा. वह कहती हैं, "किन्हें पहले मौका मिलेगा? मेरे पति और मेरा अप्रैल के लिए शेड्यूल था. अब क्या इसी ऑर्डर में इलाज होगा?"
उन्होंने बताया, "यह उचित नहीं होगा क्योंकि शायद ऐसी महिलाएं भी होंगी जिनकी मुझे भी बुरी हालत होगी. शायद उन्हें पहले इलाज की जरूरत होगी ताकि उन्हें भी मां बनने का मौका मिल सके."
100 विमन क्या है?
बीबीसी 100 विमिन में पूरी दुनिया में हर साल 100 प्रभावशाली और प्रेरणादायक महिलाओं का जिक्र होता है. हम इन महिलाओं पर डॉक्युमेंटरीज़ बनाते हैं, फ़ीचर लिखते हैं और इंटरव्यू करते हैं. इनके केंद्र में महिलाएं ही होती हैं.
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