अगर आप भी ऑस्ट्रेलिया में बसने का बना रहे हैं प्लान तो सिडनी-मेलबर्न को भूल जाइये!
केनबरा। हर साल हजारों माइग्रेंट्स ऑस्ट्रेलिया बसने के लिए जाते हैं, लेकिन बहुत जल्दी ही मुश्किलें खड़ी होने वाली है। प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन सरकार बहुत जल्दी हजारों माइग्रेंट्स को अपने देश के दो सबसे बड़े शहरों से बाहर निकालने की योजना बना रही है। अगले साल मई में चुनाव होने वाले हैं और ऑस्ट्रेलिया में यह मुद्दा जोर शोर से उठने वाला है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार सिडनी और मेलबर्न से हजारों माइग्रेंट्स को किसी दूसरे शहर में शिफ्ट होने के लिए दबाव डाल सकती है।
ऑस्ट्रेलिया में प्रवेश करने वाले माइग्रेंट्स की पहली पसंद सिडनी और मेलबर्न होती है और अब इन शहरों में आबादी एक हद से भी ज्यादा पहुंच गई है। पिछले तीन दशकों में माइग्रेंट्स की बाढ़ ने आबादी को 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है, जिसने देश के आर्थिक विकास को तो प्रभावित किया ही है, लेकिन साथ में वहां के निवासियों को भी इससे काफी निराशा हो रही है। तेजी से माइग्रेंट्स की हो रही एंट्री से ऑस्ट्रेलियाई लोगों के लाइफ स्टाइल पर भी इसका गलत प्रभाव पड़ा है। माइग्रेंट्स की वजह से घरों की कीमत बहुत ज्यादा बढ़ गई है और सड़कों पर बाहर से आए मजदूरों ने कब्जा कर लिया है।
ऑस्ट्रेलिया के पॉपुलेशन एंड अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर मिनिस्टर एलन टुज ने मंगलवार को एक भाषण में कहा कि हम नए राज्यों के तत्वों की घोषणा करते हुए कहा, 'हम छोटे राज्यों और क्षेत्रों में अधिक नए आगमन के उपायों पर काम कर रहे हैं और उन्हें कम से कम कुछ वर्षों तक वहां रहने की आवश्यकता है।'
मॉरिसन सरकार में कैबिनेट मंत्री स्टीवन सियोबो ने कहा कि सिडनी और मेलबर्न में बढ़ते माइग्रेंट्स पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में दबाव बढ़ता जा रहा है। हालांकि, अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप ने माइग्रेंट्स पर शिकंजा कसा है, तो ऑस्ट्रलिया ने माइग्रेंट मामले में अलग नीति का पालन करते हुए उन्हें निकालने के लिए बजाय दूसरे शहरों में शिफ्ट होने के लिए कहा है।