Modi-Xi meet: फिर न हो भारत-चीन के बीच एक और डोकलाम, इसके लिए मोदी-जिनपिंग सेनाओं को करेंगे गाइड
भारत और चीन के बीच पिछले वर्ष जून में हुआ डोकलाम विवाद ने दोनों देशों के बीच संबंधों को तनाव के एक नए स्तर पर पहुंचा दिया था। भारत-चीन-भूटान के बीच स्थित इस सेक्टर में चीन की सेना जब सड़क निर्माण के लिए पहुंची तो भारत के सैनिकों ने इसका विरोध किया। यहीं से दोनों देशों के बीच तनाव की शुरुआत हुई।
वुहान। भारत और चीन के बीच पिछले वर्ष जून में हुआ डोकलाम विवाद ने दोनों देशों के बीच संबंधों को तनाव के एक नए स्तर पर पहुंचा दिया था। भारत-चीन-भूटान के बीच स्थित इस सेक्टर में चीन की सेना जब सड़क निर्माण के लिए पहुंची तो भारत के सैनिकों ने इसका विरोध किया। यहीं से दोनों देशों के बीच तनाव की शुरुआत हुई। अब जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वुहान में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करके और चीन का दौरा पूरा करके लौट रहे हैं तो उनके पास फिर से डोकलाम जैसे एपिसोड से बचने का एक तरीका भी है। जिनपिंग और मोदी के बीच शुक्रवार को हुई मुलाकात में डोकलाम जैसे तनाव से बचने का उपाय तलाशा गया है। दोनों नेताओं के बीच डोकलाम विवाद के बाद यह पहली मुलाकात थी और दोनों नेताओं ने सीमा विवाद पर भी मुलाकात के दौरान चर्चा की।
क्या उपाय खोजा मोदी-जिनपिंग ने
पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच शुक्रवार को मुलाकात हुई तो दोनों के बीच सीमा विवाद पर भी चर्चा हुई।दोनों नेताओं ने इस बात को माना कि भारत और चीन के बीच स्थित बॉर्डर के आसपास के क्षेत्र में शांति कायम रखना बहुत जरूरी है। मोदी और जिनपिंग ने शांति बरकरार रखने के लिए और सेनाओं के बीच संपर्क को मजबूत करने, भरोसे और आपसी समझ को बढ़ाने के लिए रणनीतिक निर्देश जारी करने का फैसला किया है। जिनपिंग और मोदी दोनों ने इस बात का समर्थन किया है कि एक विशेष प्रतिनिधि के जरिए इस विवाद को एक तार्किक आपसी हल तलाशना चाहिए।
बार्डर पर प्रभावी प्रबंधन पर हुई बात
चीन में भारत के राजदूत गौतम बंबावेल ने इस पर और ज्यादा जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि मोदी और जिनपिंग के बीच सेनाओं के बीच कम्यूनिकेशन को और मजबूत करने पर चर्चा हुई है। इसके अलावा सीमा से जुड़े मसलों में आपसी समझ और पूर्वानुमान और बढ़ाने के अलावा प्रभावी प्रबंधन को लेकर भी दोनों नेताओं ने गहन चर्चा की है। मोदी और जिनपिंग ने माना कि भारत और चीन को अपनी-अपनी सेनाओं को भरोसे का निर्माण करने से जुड़े विभिन्न उपायों के बारे में निर्देशित करना होगा। इन उपायों में आपसी और समान सुरक्षा के साथ जानकारियों को साझा करने से जुड़े मैकेनिज्म को और मजबूत करना शामिल है।
3,488 किलोमीटर लंबा बॉर्डर
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है जिसे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी कहते हैं। दोनों पक्षों की ओर से अब तक 20 दौर की वार्ता सीमा विवाद को सुलझाने के लिए हो चुकी है। पिछले वर्ष जून में हुए डोकलाम विवाद के बाद दोनों नेता पहली बार इस तरह से मिल रहे हैं। ब्रिक्स समिट के लिए पीएम मोदी सितंबर 2017 में जब चीन गए थे तो डोकलाम विवाद के बाद वह सबसे अहम दौरा था। इस दौरे को दोनों देशों के बीच भरोसे की नींव तैयार करने वाला दौरा करार दिया गया था।
क्या था डोकलाम विवाद
भारत और चीन की सेनाएं 16 जून से 73 दिनों तक डोकलाम में आमने-सामने थीं। यह विवाद 28 अगस्त को जाकर खत्म हो सका था। डोकलाम पर चीन अपना हक जताता है और भूटान इसे अपना हिस्सा बताता है। चीन ने पिछले वर्ष इस विवादित हिस्से पर सड़क निर्माण की कोशिश की थी और भारत ने चीनी सैनिकों को रोकने के लिए अपने सैनिकों को यहां पर भेजा था। डोकलाम विवाद के बाद से ही भारत ने डोकलाम में सेना बढ़ा दी है और गश्त बढ़ा दी है।