सूडान में तख्तापलट के बाद आपातकाल की घोषणा, भीषण गृहयुद्ध छिड़ने की आशंका, प्रधानमंत्री गिरफ्तार
सूडान में सेना ने सरकार का तख्तापलट कर दिया है और कई कैबिनेट मंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री को हिरासत में ले लिया गया है।
खारतूम, अक्टूबर 25: सूडान में सेना के एक अज्ञात धरे में देश की सरकार को सत्ता से बेदखल करते हुए तख्तापलट का दावा किया है। दो साल पहले जिस तानाशाह उमर अल बशीर को सेना ने सत्ता से हटा दिया था, उनके समर्थकों ने दो साल बाद फिर से देश में सत्ता का तख्तापलट कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश की सरकार के तमाम बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया गया है। वहीं, देश में सेना ने आपातकाल की घोषणा कर दी है और सरकार के सभी अधिकारों को खत्म कर दिया है। इन सबके बीच देश में भीषण गृहयुद्ध छिड़ने की आशंका जताई जा रही है।
सूडान में सरकार का तख्तापलट
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, सूडान के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक को सोमवार तड़के एक अज्ञात सैन्य बल द्वारा उनके घर को घेरने के बाद नजरबंद कर दिया गया है। अरब समाचार दैनिक का हवाला देते हुए, रूसी न्यूज एजेंसी स्पुतनिक ने बताया है कि, सूडान के चार कैबिनेट मंत्रियों और संप्रभु परिषद के एक नागरिक प्रतिनिधि को भी सोमवार अलसुबह गिरफ्तार कर लिया गया है। इस बीच, द सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड ने कहा कि अभी तक कोई स्वतंत्र पुष्टि तत्काल उपलब्ध नहीं है। हालांकि, स्थानीय मीडिया का कहना है कि देश भर में इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया है और फोन कनेक्शन भी फिलहाल बंद है।
गृहयुद्ध की आशंका
सेना-समर्थक प्रदर्शनकारियों ने रविवार को राजधानी खारतूम में प्रमुख सड़कों और पुलों को अवरुद्ध कर दिया है, जबकि सेना के एक धरा, जिसमें अलग अलग जनरल शामिल हैं और लोकतंत्र समर्थकों के बीच तीव्र हिंसा की आशंका जताई दा रही है। वहीं, सूडानीज प्रोफेशनल्स एसोसिएशन पार्टी ने तख्तापलट की संभावना देखते हुए जनता से सड़कों पर उतरने की अपील की थी। सूडानीज प्रोफेशनल्स एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा है कि, देश में इंटरनेट सेवा काम नहीं कर रहा है। स्थानीय मीडिया का कहना है कि, देश में सेना के एक हिस्से और जनता के बीच पिछले दो हफ्तों से तनाव बना हुआ था और पूर्व तानाशाह के समर्थक एक बार फिर से देश की सत्ता पर काबिज होने की कोशिश में थे, जिसका जनता में भारी विरोध हो रहा था।
गुरुवार को हुआ था भीषण प्रदर्शन
वहीं, स्पुतनिक की खबर के मुताबिक, हजारों की संख्या में आम नागरिक सैन्य शासकों के खिलाफ सड़क पर उतर गये हैं और सत्ता को वापस देश के चुने हुए नेताओं के हवाले करने की मांग कर रहे हैं। वहीं, समाचार एजेंसी स्पुतनिक ने कहा है कि, सेना ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे हैं। कई हजार प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार को भी राजधानी खारतूम, ओमडुरमैन, न्याला, एड ड्यूइम और अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शन किया था। वहीं, परिषद के प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान को संबोधित करते हुए "हाथ ओवर पावर, बुरहान" का नारा लगाया था।
दो धरों के बीच सत्ता की लड़ाई
सूडान में जो धरा अभी सत्ता पर काबिज हुआ है, वो कट्टर इस्लामवादी सरकार चाहता है, जबकि देश की जनता ने जिसे चुना था, वो लोकतंत्र समर्थक हैं और इसी को लेकर लगातार दोनों वर्गों में संघर्ष चलता रहता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि, अफगानिस्तान में तालिबान के शासन में आने के बाद कट्टरपंथी पार्टी को मनोबल मिला है। वहीं, इससे पहले सितंबर में भी तख्तापलट की कोशिश की गई थी, जो नाकाम रही थी, लेकिन उससे विरोधियों को बल मिला था। सूडान ने अप्रैल 2019 में सैन्य तख्तापलट किया गया था और कट्टरपंथी माने जाने वाले तानाशाह शासक और 30 साल तक सूडान पर शासन करने वाले राष्ट्रपति उमर हसन अल-बशीर को हटा दिया गया था और बाद में कैद कर लिया गया था। लेकिन, अब एक बार फिर से उन्होंने पलटवार किया है।
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