माइक पोंपियो का चीन की सॉफ्टवेयर कंपनियों को लेकर बड़ा बयान, लगाया संगीन आरोप
वॉशिंगटन। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने एक बार फिर से चीनी कंपनियों पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि चीन की सॉफ्टवेयर कंपनियां जो अमेरिका में बिजनेस कर रही हैं, वह चायनीज कम्युनिस्ट पार्टी को डेटा सीधे ट्रांसफर कर रही है। उन्होंने कहा कि चायनीज कंपनियां टिकटॉक या फिर वीचैट जैसी तमाम कंपनियां जो अमेरिका में बिजनेस कर रही हैं, वह डेटा सीधे सीसीपी को ट्रांसफर कर रही हैं। ये कंपनियां फेशियल रिकग्निशन पैटर्न, लोगों के घर की जानकारी, फोन नंबर, लोगों के दोस्तों की जानकारी ये कंपनियां सीधे सीसीपी को दे रही हैं।
पोंपियो का बयान ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। पोंपियो ने कहा कि अमेरिका के लोगों की गोपनीयता की सुरक्षा को इन चीनी ऐप से सच में खतरा है। राष्ट्पति ट्रंप ने इस बाबत काफी कुछ कहा है और अब हम इन दिक्कतों को सुलझाने जा रहे हैं। आपको बता दें कि कोरोना को लेकर डोनाल्ड ट्रंप चीन से बुरी तरह खफा हैं और उन्होंने चीन से कई व्यापारिक संबंध खत्म कर लिए हैं।
इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि "हम टिकटॉक के मामले को देख रहे हैं और हम टिकटॉक पर प्रतिबंध लगा सकते हैं। हो सकता है कि हम कुछ दूसरी चीजें भी करें। हमारे पास कुछ और भी विकल्प हैं, लेकिन हम टिकटॉक के संबंध में बहुत सारे विकल्पों पर गौर कर रहे हैं।" विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने एक डिजिटल बैठक में इकोनॉमिक क्लब ऑफ न्यूयॉर्क में कहा था, "भारतीयों ने फैसला किया कि वे भारत में चल रही 50 या उससे अधिक चीनी ऐप्स को हटाने जा रहे हैं।
तकनीक प्रौद्योगिकी क्षेत्र की एक दिग्गज कंपनी अमेरिका में टिकटॉक की कमान अपने हाथ में ले सकती है। यदि ऐसा हो जाता है तो संभव है कि टिकटॉक पर अमेरिका में प्रतिबंध ना लग पाए। वॉल स्ट्रीट जर्नल और ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन एक ऐसा आदेश तैयार कर रहा है जिसमें चीनी कंपनी बाइटडांस को अमेरिका में अपने कारोबार को बेचने के लिए कहा जा सकता है। इसके पीछे इस चीनी एप से सुरक्षा के मद्देनजर उठते संभावित खतरों को एक बड़ी वजह बताया गया है। वहीं फॉक्स न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि टिकटॉक के अमेरिका में कारोबार को खरीदने को लेकर दिग्गज आईटी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट से बात कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सौदा 10 अरब डॉलर से अधिक राशि का हो सकता है।
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