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प्रवासी संकटः जहाज़ ने प्रवासियों को बचाया, और ख़ुद फँस गया

समुद्र के बीच एक मालवाहक जहाज़ ने 27 प्रवासियों को डूबने से बचा लिया, मगर उसके बाद ये जहाज़ मुश्किल में पड़ गया है.

By स्वामीनाथन नटराजन
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प्रवासी संकटः जहाज़ ने प्रवासियों को बचाया, और ख़ुद फँस गया

कैप्टन वोलोदिमीर येरोश्किन और उनके तेल टैंकर के चालक दल का ध्यान अब बस एक ही चीज़ पर है. क़रीब एक महीने पहले समुद्र से 27 प्रवासियों को बचाने के बाद 21 लोगों की ये टीम देख रही थी कि कहीं वो फिर तो ख़ुदकुशी करने की कोशिश नहीं कर रहे.

पिछले सप्ताह एक प्रवासी ने समुद्र में छलाँग लगाने की धमकी दी थी. रविवार को तीन लोग एक क़दम आगे बढ़कर वास्तव में जहाज़ से कूद गए. टीम के तत्काल क़दम उठाने से इन्हें बचा लिया गया. लेकिन किसी को भी ये नहीं पता है कि ये कितने दिन जहाज़ पर रहेंगे या कितनी दफ़ा इन्हें ऐसा करने से रोका जा सकेगा.

कैप्टन येरोश्किन की मुश्किल यह है कि उन्हें ऐसा कोई तट नहीं मिल रहा है जहां कोई इन प्रवासियों को लेने के लिए तैयार हो. इन प्रवासियों में से 25 पुरुष, एक महिला और एक नाबालिग़ हैं. ये सभी अफ्रीका के अलग-अलग देशों से हैं.

यूक्रेन में पैदा हुए येरोश्किन ने अपने जहाज़ मार्स्क एटीने से बीबीसी को बताया, "हम कहीं बढ़ नहीं रहे हैं. फ़िलहाल हमारा कोई ठिकाना नहीं है. हमारे पास ऐसी कोई जगह नहीं है जहां हम इन लोगों को उतार सकें."

यह जहाज़ फ़िलहाल भूमध्य सागर में माल्टा के पास रुका हुआ है.

कैप्टन येरोश्किन
Maersk
कैप्टन येरोश्किन

'कहीं नहीं जा सकते'

येरोश्किन का कहना है कि इन हालात में तत्काल दख़ल की ज़रूरत है.

वे बताते हैं कि उनका जहाज़ एक मालवाहक जहाज़ है और ये इंसानों को रखने के लिए नहीं बना है और साथ ही चालक दल भी बचाव कार्यों के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं.

साथ ही उनके पास ऐसा स्टाफ़ भी नहीं है जो कि मेडिकल मदद मुहैया करा सके.

येरोश्किन कहते हैं, "हर दिन निराशा बढ़ती जा रही है. हम सुरक्षा और स्वास्थ्य स्थितियों को सुनिश्चित करने के लिए हर मुमकिन काम कर रहे हैं."

भूमध्य सागर में प्रवासियों की जान बचाने वाले किसी व्यावसायिक जहाज़ के फँसने की यह इस साल की तीसरी घटना है, और सबसे लंबी घटना.

प्रवासी
Maersk
प्रवासी

दूसरे जहाज़ों के साथ गतिरोध एक सप्ताह के भीतर ख़त्म हो गया था लेकिन इस बार इनका जहाज़ प्रवासियों के साथ समुद्र में अकेला छोड़ दिया गया है.

वे कहते हैं, "इन लोगों को तट पर उतरने का मौलिक अधिकार नहीं दिया गया है. जहाज़ लचर है और हम कहीं भी नहीं जा सकते हैं."

चार साल पहले जब प्रवासियों का संकट चरम पर था तब यह कहानी अलग थी. उस वक़्त सैकड़ों लोग हर महीने समुद्र में मर रहे थे.

येरोश्किन उस वक़्त भी भूमध्य सागर में सफ़र पर थे. उस वक़्त भी उन्हें अपना मार्ग बदलकर सैकड़ों प्रवासियों को बचाना पड़ा था.

वे बताते हैं, "मेरे जहाज़ ने 353 लोगों को बचाया था. हमने 24 घंटे के भीतर उन्हें इटली में उतार दिया था."

सदियों से समुद्र में नाविक एक-दूसरे की ज़िंदगियां बचाते आ रहे हैं और इंटरनेशनल मैरीटाइम कन्वेंशन के मुताबिक़, जिन्हें बचाया गया है उन्हें सबसे नज़दीकी पोर्ट पर उतार दिया जाना चाहिए.

कैप्टन येरोश्किन भी ऐसा ही करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन न तो माल्टा और न ही इटली के अधिकारी इन प्रवासियों को स्वीकार कर रहे हैं.

मार्स्क एटीने कार्गो
Maersk
मार्स्क एटीने कार्गो

डिस्ट्रेस कॉल

इस सबकी शुरुआत एक महीने पहले हुई थी. उस वक़्त मार्स्क एटीने कार्गो के बिना इटली के जेनोआ पार्ट से ट्यूनीशिया के ला स्खिरा पोर्ट जा रहा था.

चार अगस्त को लंच के दौरान येरोश्किन को माल्टा के बचाव केंद्र से संपर्क करने के लिए कहा गया.

एक दिन पहले एक एनजीओ अलार्मफ़ोन ने माल्टा में अधिकारियों को सतर्क किया था. तब इस एनजीओ को 27 प्रवासियों को ले जा रही एक नौका से एक इमर्जेंसी संदेश मिला था. यह नौका दो अगस्त को लीबिया से चली थी.

येरोश्किन कहते हैं, "शुरुआती निर्देश इस इलाक़े में मौजूद एक और जहाज़ से संपर्क स्थापित करने का था. लेकिन हम संपर्क स्थापित नहीं कर सके."

यह नहीं पता चल पाया है कि इसी इलाक़े में मौजूद इस जहाज़ का पता क्यों नहीं लगाया जा सका.

"तब हमें सेंटर से एक स्पष्ट निर्देश मिला कि हम अपना रास्ता बदलकर मदद वाली जगह पर पहुंचें."

यह जगह 10 नॉटिकल मील दूर थी. एक घंटे तक चलने के बाद नीले रंग से पुती हुई एक लकड़ी की नाव नज़र आई.

वे कहते हैं, "जब मैंने नाव देखी तो मेरे लिए यह राहत की बात थी. जहाज़ को नज़दीक आता देखकर लोग हाथ हिलाने लगे."

शिप उस वक़्त एक सुरक्षात्मक तरीक़े से खड़ी था ताकि लहरों और हवाओं का बोट पर सबसे कम असर हो.

वे कहते हैं, "छोटी सी यह बोट खचाखच भरी हुई थी."

रेस्क्यू
Maersk tankers via Reuters
रेस्क्यू

चुनौतीभरा बचाव

यह नौका महज़ 7 मीटर लंबी थी और इसकी चौड़ाई दो मीटर थी.

प्रवासियों को पानी और खाना दिया गया लेकिन येरोश्किन को उम्मीद थी कि कोई बचाव जहाज़ इन्हें अपने यहाँ रख लेगा.

रात के बाद लहरें तेज़ हो गईं और हवाएं तेज़ी से चलने लगीं. नौका हिलोरें खाने लगी. 12 घंटे तक कोई मदद नहीं मिलने के बाद चालक दल ने तय किया कि प्रवासियों को जहाज़ पर लाया जाए.

प्रवासी
Sea-watch.org
प्रवासी

डेक लहरों से नौ मीटर ऊंची थी और जहाज़ से लटकी सीढ़ी नौका तक पहुंच नहीं सकती थी. ऐसे में चालक दल को एक रस्सी वाली सीढ़ी जोड़नी पड़ी.

एक-एक करके 27 लोग इस पर चढ़ने में सफल रहे जिनमें एक 15 साल का लड़का और एक महिला भी शामिल थे. महिला ने चालक दल को बताया कि उसे 12 हफ़्ते का गर्भ है.

येरोश्किन ने कहा, "हम उनकी मनोवैज्ञानिक और शारीरिक हालत देखकर चिंतित थे."

प्रवासी
Maersk
प्रवासी

ज़िंदगियां बचाने पर गर्व

प्रवासी अलग-अलग अफ्रीकी देशों से थे और कुछ को चालक दल के साथ बात करने में दिक़्क़त हो रही थी क्योंकि वे न के बराबर अंग्रेज़ी जानते थे.

"हमने उनसे पूछा कि वे कबसे समुद्र में हैं. उनमें से कुछ ने दो दिन और कुछ ने तीन दिन बताए."

जल्द ही मौसम ख़राब हो गया और तेज़ लहरों ने नौका को डुबा दिया. चालक दल ने महसूस किया कि उन्होंने 27 लोगों की जान बचा ली है.

प्रवासी मज़दूर
Maersk
प्रवासी मज़दूर

येरोश्किन कहते हैं, "इस अहसास ने हमें गर्व से भर दिया."

पाइपलाइनों का जंगल

इन प्रवासियों को सुरक्षित जगह पर रखना अगली चुनौती थी.

"हमारी डेक पाइपलाइनों का एक जंगल है. ये अप्रशिक्षित लोगों के लिए ख़तरा हो सकता था."

प्रवासियों को जहाज़ के आगे के हिस्से तक सीमित कर दिया गया जहां पर टॉयलेट सुविधाएं भी थीं.

पाइप लाइन का जंगल
Maersk
पाइप लाइन का जंगल

"हम उन्हें रहने की अच्छी जगह मुहैया नहीं करा सकते हैं."

कोरोना वायरस के कारण येरोश्किन ने इन प्रवासियों के साथ मिलने जुलने वाले चालक दल की संख्या को सीमित कर दिया.

एक प्रवासी खाना खाता हुआ
Maersk
एक प्रवासी खाना खाता हुआ

परेशान करने वाला इंतज़ार

मार्स्क का एक और जहाज़ हाल में ही अतिरिक्त सप्लाई लाया है और जहाज़ पर तैनात दो रसोईए प्रवासियों की वजह से अतिरिक्त काम कर सकते हैं.

लेकिन, लंबा इंतज़ार चालक दल और प्रवासियों दोनों पर भारी दबाव डाल रहा है. कुछ प्रवासियों ने एक वीडियो संदेश रिकॉर्ड किया है जिसमें यूरोपीय यूनियन से इस मामले में दख़ल देने की माँग की गई है.

प्रवासियों ने चालक दल की तारीफ़ में एक नोट भी लिखा है जिससे वो ख़ुश हैं.

कप्तान को उनके परिवार की ओर से भी एक उत्साहित करने वाला संदेश मिला है.

येरोश्किन कहते हैं, "मेरी बड़ी बेटी बेहद प्रभावित है और उसे मुझ पर गर्व है. वह 15 साल की है."

प्रवासी
Maersk
प्रवासी

समुद्री क़ानून

1974 का कन्वेंशन फ़ॉर द सेफ़्टी ऑफ़ लाइफ़ एट सी कहता है कि मुसीबत में घिरे लोगों के बारे में पता चलने पर किसी भी जहाज़ को पूरी रफ़्तार से उनकी मदद के लिए जाना चाहिए.

इंटरनेशनल मैरीटाइम ऑर्गनाइज़ेशन (आईओएम) के मुताबिक़, सदस्य देशों का कर्तव्य है कि वे समुद्र में बचाए गए लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित जगह पर उतरवाएं.

मार्स्क एटीने के मामले में ऐसा निश्चित तौर पर नहीं हो रहा है.

प्रवासी
Maersk
प्रवासी

बचाव का अपराधीकरण

2015 की माइग्रेंट क्राइसिस के पाँच साल गुज़रने के बाद अभी भी सैकड़ों लोग भूमध्य सागर में मर रहे हैं. आईओएम का अनुमान है कि इस साल के पहले आठ महीनों में 554 प्रवासी मर चुके हैं.

2015 में माना जा रहा है कि 3,030 लोग मारे गए थे.

भूमध्य सागर में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने वाले संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर यूरोपीय यूनियन क़ानूनों का पालन करने से इनकार कर देता है तो और लोगों को अपनी जानें गंवानी पड़ेंगी.

सी-वॉच के फ़ेलिक्स वीस कहते हैं, "यूरोपीय माइग्रेशन पॉलिसी समुद्र में बचाव का अपराधीकरण करती है और इस वजह से समुद्र से गुज़रने वाले व्यापारिक जहाज़ कई दफ़ा मदद की गुहार को अनदेखा कर देते हैं."

वे कहते हैं कि इस साल केंद्रीय भूमध्यसागर में मालवाहक जहाज़ों ने 300 लोगों की जान बचाई है.

ऐसा फिर करेंगे

जानी मानी मालवाहक जहाज़ कंपनी मार्स्क मौजूदा गतिरोध को ख़त्म करने की माँग कर रही है और संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ने ईयू और इसके सदस्य देशों से कहा है कि वे बचाए गए लोगों को उतरने की इजाज़त दें.

जहाज़ अभी माल्टा की समुद्री सीमा से बाहर है. माल्टा के अधिकारियों ने बीबीसी के सवालों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जहाज़ को डेनमार्क जाना चाहिए, जहां यह रजिस्टर्ड है.

दूसरी ओर, येरोश्किन को अभी भी उम्मीद है.

वे कहते हैं, "यह न सिर्फ़ एक मानवीय तरीक़ा है, बल्कि यह लंबे वक़्त से चली आ रही सामुद्रिक परंपरा भी है. अगर ऐसी स्थिति दोबारा आती है तो हम फिर मदद करेंगे."

BBC Hindi
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English summary
Migrant Crisis: The ship rescued the migrants but couldnot itself
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