गिलगित-बाल्टिस्तान में PAK सेना के खिलाफ सड़कों पर उतरे हजारों प्रदर्शनकारी, जानिए क्यों?
हुंजा। इन दिनों पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में लोगों का गुस्सा पाकिस्तान आर्मी और सरकार पर फूटा हुआ है, यहां के हुंजा इलाके में कल हजारों की तादाद में स्थानीय लोगों ने पाकिस्तानी सेना और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि साल 2011 से जेल में बंद राजनीतिक कार्यकर्ताओं को तुंरत रिहा किया जाए, जिन्हें कि झूठे आरोपों में जेल के अंदर डाला गया है, आपको बता दें कि इन राजनीतिक कार्यकर्ताओं को दंगे करने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में अरेस्ट किया गया था।
जेल में बंद लोगों में अवामी वर्कर्स पार्टी के नेता बाबा जान भी शामिल हैं, जिन पर आरोप है कि इन लोगों को पुलिस की गोलीबारी में एक व्यक्ति और उसके बच्चे की मौत के बाद हिंसक प्रदर्शन किया था, इन राजनेताओं को आतंकवाद निरोधक अदालत ने सजा भी सुनाई हुई है। कल प्रदर्शनकारियों ने जमकर नारेबाजी की, इनकी नारेबाजी का स्लोगन था 'यह जो दहशतगर्दी है, उसके पीछे वर्दी है'।
क्या है मामला?
दरअसल, 9 साल पहले हुंजा नदी में बाढ़ आ जाने की वजह से कई लोग बेघर और बेसहारा हो गए थे, वे सभी लोग प्रदर्शन कर रहे थे कि तभी भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने गोली चला दी, जिसमें एक व्यक्ति और उसके बच्चे की मौत हो गई। इस हत्याकांड के बाद इलाके में प्रदर्शन भड़क उठे थे। प्रदर्शनों को रोकने के लिए पुलिस ने बाबा जान जैसे कई स्थानीय बड़े लोगों को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन कुछ वक्त बाद POK पुलिस ने ज्यादातर लोगों को रिहा कर दिया लेकिन14 कार्यकर्ता अभी भी जेल में बंद हैं, जिनकी रिहाई के लिए कल प्रदर्शन हुआ है।
ऐसे गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाक ने किया कब्जा
मालूम हो कि गिलगित-बाल्टिस्तान एक स्वायत्तशासी क्षेत्र है जिसे पहले उत्तरी क्षेत्र या शुमाली इलाके के नाम से जाना जाता था। तकनीकी रूप से ये जम्मू कश्मीर का इलाका है लेकिन 4 नवंबर 1947 से पाकिस्तान के कब्जे में है, दरअसल 1947 में विभाजन के समय यह क्षेत्र जम्मू एवं कश्मीर की तरह न तो भारत का हिस्सा था और न ही पाकिस्तान का लेकिन साल 1935 में ब्रिटेन ने इस हिस्से को गिलगित एजेंसी को 60 साल के लिए लीज पर दिया था, लेकिन इस लीज को 1 अगस्त 1947 को रद्द करके क्षेत्र को जम्मू एवं कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को लौटा दिया था लेकिन उस वक्त महाराजा हरि सिंह को स्थानीय कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान के विद्रोह का सामना करना पड़ा, खान ने दो नवंबर 1947 को गिलगित-बाल्टिस्तान की आजादी का ऐलान कर दिया हालांकि इससे पहले 31 अक्टूबर को ही हरि सिंह ने रियासत के भारत में विलय को मंजूरी दे दी थी और ये इंडिया का हिस्सा बन गया था लेकिन इसके 21 दिन बाद पाकिस्तान इस क्षेत्र में दाखिल हुआ और इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था और तब से वो यहां पर कब्जा किए हुए है।
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