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Masood Azhar: पाकिस्‍तान नहीं चाहता था अजहर पर लगे बैन, चीन ने आखिरी मौके पर बदला फैसला

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बीजिंग। मसूद अजहर (Masood Azhar) एक मई को यूनाइटेड नेशंस (UN) की तरफ से ग्‍लोबल आतंकी के तौर पर घोषित हो गया है। लेकिन अगर सूत्रों की मानें तो पाकिस्‍तान मसूद अजहर पर होने वाली मीटिंग से खुश नहीं था। पाकिस्‍तान की सरकार नहीं चाहती थी कि मसूद अजहर पर कोई मीटिंग हो। पाकिस्‍तान ने इसके लिए चीन और इंडोनेशिया की मदद लेने की भी कोशिशें की थीं लेकिन ऐसा नहीं हो सका। चीन को तो अंतरराष्‍ट्रीय दबाव के सामने झुकना पड़ा और पाक को भी अपने पैर पीछे खींचने पड़े। पाकिस्‍तान चाहता था कि यूएन सिक्‍योरिटी काउंसिल क 1267 प्रतिबंध समिति की मीटिंग छह मई को हो।

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अमेरिेका ने चीन को दिया 23 अप्रैल का समय

अमेरिेका ने चीन को दिया 23 अप्रैल का समय

न्‍यूयॉर्क और दिल्‍ली में स्थित राजनयिक सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी पर अगर यकीन करें तो इस पूरी प्रक्रिया में अमेरिका ने आगे आकर मोर्चा और चीन को 23 अप्रैल तक का समय दिया ताकि वह अजहर पर टेक्निकल होल्‍ड पर कोई फैसला ले। हालांकि चीन ने इस तरह के अल्‍टीमेटम से साफ इनकार कर दिया है। फ्रांस और यूके के अलावा रूस ने भी चीन पर दबाव डाला और इसी दबाव का नतीजा था कि राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग को अपना फैसला बदलना पड़ा। चीन ने अमेरिकी अधिकारियों को बता दिया कि एक मई को मसूद अजहर पर होने वाली 1267 प्रतिबंध समिति की मीटिंग के लिए वह तैयार है।

27 अप्रैल को आया नया प्रपोजल

27 अप्रैल को आया नया प्रपोजल

बुधवार को चीन ने 13 मार्च को लिया अपना फैसल बदल दिया और अजहर पर 10 वर्षो से चला आ रहा टेक्निकल होल्‍ड भी खत्‍म हो गया। चीन इसी होल्‍ड की मदद से तीन बार अजहर के बैन में बाधा डाल चुका था। सूत्रों के मुताबिक 22 अप्रैल को जब विदेश सचिव विजय गोखले चीन की यात्रा पर गए थे तो उस समय भी उन्‍होंने इस मुद्दे पर चर्चा की थी। भारत को रूस की ओर से अजहर पर बैन के मुद्दे पर पूरा सपोर्ट मिला था। अजहर की लिस्टिंग को लेकर प्रतिबंध समिति के सामने फ्रांस, अमेरिका और यूके की ओर से 27 अप्रैल को एक नया प्रपोजल लाया गया।

पाकिस्‍तान आखिरी मौके तक परेशान

पाकिस्‍तान आखिरी मौके तक परेशान

एक मई को सुबह सात बजे तक विरोध करने का समय भी खत्‍म हो चुका था। भारतीय अधिकारियों की मानें तो पाकिस्‍तान ने इस पूरे मसले पर हस्‍तक्षेप करने की पूरी कोशिश थी। आखिरी मौके तक‍ वह चीन से कहता रहा कि इंडोनेशिया से प्रतिबंध समिति की मीटिंग को छह मई तक टालने के लिए कहा जाए। वहीं न्‍यूयॉर्क और दिल्‍ली में स्थित चीनी राजनयिक कोशिश कर रहे थे कि मीटिंग 15 मई तक के लिए टाल दी जाए।इंडोनेशिया चीन को यह साफ कर चुका था कि अमेरिका और सिक्‍योरिटी काउंसिल के तीन और स्‍थायी सदस्य पाकिस्‍तान की मांग मानने के मूड में नहीं है। वे नहीं चाहते हैं कि अब किसी भी तरह से मीटिंग को टाला जाए।

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लेकिन चीन ने लिया था फैसला

लेकिन चीन ने लिया था फैसला

चीन ने तय कर लिया था कि वह अजहर पर लगे टेक्निकल होल्‍ड को अब हटा लेगा। चीन ने पाकिस्‍तान को साफ कर दिया था कि वह इस तरह की धारणा को आगे बढ़ाए कि अजहर पर जो कार्रवाई है वह देश के नेशनल एक्‍शन प्‍लान का हिस्‍सा है जो कि आतंकवाद के खिलाफ सख्‍त है। सूत्रों की माने तो ऐसी धारणा बनाने की भी कोशिश की गई थी कि भारत ने पुलवामा आतंकी हमले पर समझौता कर लिया है और कश्‍मीर को भी लिस्टिंग के लिए किनारे कर दिया था। लेकिन यह बात गलत है और भारत साल 2009 से ही अजहर को ब्‍लैकलिस्‍ट कराने की कोशिशों में लगा हुआ है। साल 2016 और फिर 2017 में भी भारत ने ऐसी कोशिशों को अंजाम दिया था।

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English summary
Masood Azhar global terrorist: Pakistan did not want the action and China bow down in pressure.
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