मालदीव की नई सरकार चीन को तगड़ा झटका देने की तैयारी में
माले। मालदीव में नई सरकार बनने के बाद चीन को तगड़ा झटका देने की तैयारी शुरू हो गई है। मालदीव में इब्राहिम मोहम्मद सोलिह सरकार चीन के साथ हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) से हटने का मन बना लिया है। मालदीव में सत्तारूढ पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि एक छोटे देश को दुनिया की दूसरी बड़े अर्थव्यवस्था वाले देश के साथ इस प्रकार के समझौते पर हस्ताक्षर करना बहुत बड़ी गलती थी। बता दें कि मालदीव की पिछली अब्दुल्ला यामीन सरकार ने चीन के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर किया था।
पिछले सप्ताह शनिवार को मालदीव में सोलिह की सरकार का गठन हुआ और सत्ता संभालते ही नए राष्ट्रपति ने चेतावनी देते हुए कहा कि देश की आर्थिक स्थिति चीन की कर्ज में डूबी हुई थी। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने देश के खजाने को लूटने का काम किया है। वहीं, मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति और सोलिह के एडवाइजर मोहम्मद नाशीद ने कहा कि संसद जीरो टैरिफ एग्रीमेंट के लिए कानून में बदलाव नहीं करेगी। यानि, सोलिह सरकार एफटीए का समर्थन नहीं करेगी।
माले में न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में नाशीद ने कहा कि हम इस समझौते के साथ आगे नहीं बढ़ सकते। हालांकि, चीन अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है, लेकिन चीन के विदेश मंत्री ने सोलिह से कहा कि मालदीव के साथ रिश्तें सुधारने के लिए बहुत कुछ चुकाया है। बता दें कि मालदीव में पिछली सरकार में चीन के साथ एफटीए समेत कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे। पिछले साल दिसंबर में मोहम्मद यामीन ने चीन के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके बाद विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया था।
मालदीव उन छोटे देशों में से हैं, जहां चीन अपनी नजरें गढ़ाये हुआ है। मालदीव में चीन अपने बीआरआई (बेल्ट एंड रोड़ इनिशिएटिव) के जरिए लाखों डालर का निवेश कर हाईवे और इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर रहा है। इसी पहल के साथ चीन चाहता है कि व्यापार और निवेश के जरिए एशिया और दुनिया के बाकि देशों में अपना प्रभाव जमाया जा सके।