कोरोना महामारी खत्म होने के बाद 2 करोड़ लड़कियां कभी नहीं लौट पाएंगी स्कूल: मलाला
लंदन। पाकिस्तानी शिक्षा कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी संकट खत्म होने के बाद भी 20 मिलियन(2 करोड़) लड़कियां कभी भी स्कूलों में नहीं लौट सकेंगी। शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक साइड इवेंट में मलाला ने स्वीकार किया कि कोरोना वायरस हमारे सामूहिक लक्ष्यों जैसे कि महिलाओं को शिक्षित करने के लिए एक बड़ा झटका है।
इवेंट में मलाला ने साफ शब्दों में कहा कि, अकेले शिक्षा की बात करें तो अगर यह महामारी संकट समाप्त भी हो जाए तो भी दुनिया में 2 करोड़ से अधिक लड़कियां दोबारा अपने क्लासरूम नहीं लौट सकेंगी। उन्होंने बताया कि वैश्विक शिक्षा वित्त पोषण का अंतर पहले ही बढ़कर 200 अरब डॉलर प्रति वर्ष हो गया है। न लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पिछले पांच वर्षों में कुछ नहीं किया गया, इस पर मलाला ने विश्व निकाय से पूछा, आप कार्य करने की योजना कब बना रहे हैं?" जब आप शांति को प्राथमिकता देंगे और शरणार्थियों की रक्षा करेंगे ? आप कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए नीतियां कब पारित करेंगे?
गौरतलब है कि नौ अक्तूबर, 2012 को स्वात घाटी में तालिबान के बंदूकधारियों ने मलाला की स्कूल बस रोकी और उसमें घुस कर सवाल किया 'मलाला कौन है?' जबाव मिलने पर उन्होंने उसे गोली मार दी। इस घटना ने लड़कियों की शिक्षा की पुरजोर वकालत करने वाली मलाला को दुनिया भर में मानवाधिकारों का प्रतीक बना दिया। उ
पिछले महीने जारी संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस वैश्विक महामारी ने इतिहास में शिक्षा प्रणालियों में सबसे अधिक व्यवधान पैदा किया है, जिससे 190 देशों और सभी महाद्वीपों से लगभग 1.6 अरब छात्र प्रभावित हुए हैं। स्कूलों और अन्य शिक्षण स्थानों के बंद होने से दुनिया की 94 प्रतिशत छात्र प्रभावित हुए हैं, जो निम्न और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में 99 प्रतिशत तक है।
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