तालिबान ने जहां मारी थी गोली, उस जगह फिर जाना चाहती हैं मलाला
इस्लामाबाद। महिला एक्टिविस्ट और नोबेल से सम्मानित मलाला यूसुफजई इन दिनों अपने पाकिस्तान में हैं, जहां कड़ी सुरक्षा के साथ अपने देश के अधिकारियों और सेमिनार को अटैंड कर रही हैं। एक पाकिस्तानी महिला एक्टिविस्ट ने बताया कि 2012 में आतंकी संगठन तालिबान से गोली खाने के बाद, मलाला पहली बार अपने होम टाउन स्वात वैली जा सकती है। हालांकि, मलाला का यह ट्रिप कड़ी सुरक्षा के बाद ही सुनिश्चित किया जाएगा। वहीं, इससे पहले मलाला ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहीद खकान अब्बासी से मुलाकात कर अपने भावुक स्पीच में कहा कि वे लड़कियों की शिक्षा के लिए लगातार लड़ती रहेंगी।
पाकिस्तान के स्वात घाटी की रहने वाली पाकिस्तानी एक्टिविस्ट अदनान तबस्सुम ने कहा कि वे मलाला से गुरुवार को मिली थीं, और मलाला ने उनसे कहा था कि वे स्वात घाटी जाकर अपने पुराने स्कूली दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलना चाहती हैं। तबस्सुम ने कहा कि 20 वर्षीय मलाला ने अपने अधिकारियों से पूछा कि स्वात में उनके शांगला गांव में जाने की इजाजत दी जाए, जहां एक स्कूल मलाला के फंड से बनकर तैयार हुआ है।
हालांकि, पाकिस्तान के सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि वे कड़ी सुरक्षा और हालातों का जायजा लेने के बाद ही मलाला को उसके पैतृक गांव में जाने की इजाजत दी जाएगी।
मलाला यूसुफजई को 15 साल उम्र में स्कूल से लौटते वक्त तालिबान ने गोली मार दी थी। पाकिस्तान के स्वात घाटी में तालिबान का दबदबा शुरू से ही रहा है और लड़की होने के नाते मलाला ने ना सिर्फ बच्चियों की शिक्षा के लिए, बल्कि आतंकी संगठन तालिबान के खिलाफ भी खुलकर आवाज उठाई। 15 साल की उम्र में तालिबान से गोली खाने के बाद, मलाला को ब्रिटेन हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया, जिसके बाद यूएन ने उसके रहने और पढ़ाने का खर्चा उठाने का फैसला किया। मलाला फिलहाल ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रही हैं।
यह भी पढ़ें: ट्रंप से मलाला की रिक्वेस्ट, आतंकवाद के लिए सभी मुसलमानों को न दें दोष