खून से सनी अपनी यूनिफॉर्म को देखकर रो पड़ी मलाला
ओस्लो। दुनिया में सबसे कम उम्र का नोबेल पुरस्कार हासिल करने वाली और पाकिस्तान की किस्मत में पहला नोबेल पुरस्कार लिखने वाली 17 वर्ष की मलाला युसूफजई दुनिया की कई लड़कियों की आदर्श बन चुकी है। दुनिया में बहादुरी की मिसाल बनी मलाला के सामने एक मौका ऐसा भी आया जहां वह खुद को रोक नहीं सकी और उसकी आंखों से आंसू बह निकले।
नोबेल के म्यूजियम में मलाला की यूनिर्फॉर्म
ओस्लो के नोबेल प्राइज म्यूजियम में मलाला की उस यूनिफॉर्म को जगह दी गई जो उसने उसी दिन पहनी थी जिस दिन तालिबान ने उस पर गोलियां चलाई थीं। मलाला ने जब खून से सनी अपनी इस यूनिफॉर्म को देखा तो वह रो पड़ी।
उस वक्त भारत से नोबेल प्राइज विनर कैलाश सत्यार्थी ने उसे संभाला। यह पहली बार है जब मलाला की उस यूनिफॉर्म को दुनिया के सामने लाया गया है।
तालिबान हुआ नाराज
वहीं दूसरी तरफ मलाला के इस गौरवशाली पल पर तालिबान की ओर से भी प्रतिक्रिया दी गई है। तालिबान ने मलाला की जमकर आलोचना की है और कहा है कि वह पूरी दुनिया में इस्लाम से हटकर पश्चिमी संस्कृति का प्रचार कर रही है।
पाक स्थित तहरीक-ए-तालिबान की ओर से इसके प्रवक्ता मोहम्मद खुरासानी ने कहा है कि मलाला को नोबेल उनके किसी योगदान के लिए नहीं मिला है बल्कि इसलिए मिला है क्योंकि वह पूरी दुनिया में वेस्टर्न कल्चर को जमकर प्रचारित कर रही है। टीटीपी ने मलाला के पिता जियाउद्दीन पर भी इस्लाम के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है।