'शी जिनपिंग सरकार से नाराज हैं चीनी सैनिक, कर सकते हैं सशस्त्र विरोध'
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पिछले कुछ महीनों से बना हुआ है। लेकिन यह विवाद उस वक्त हिंसा में बदल गई जब चीनी सैनिकों ने भारत के सैनिकों पर हमला कर दिया। इस हमले में भारत के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। इस हिंसक झड़प में चीन के भी तकरीबन 40 जवान मारे गए थे, लेकिन चीन अपने सैनिकों की मौत की सही संख्या को बताने से शुरू से कतरा रहा है। जिस तरह से चीन की सरकार ने अपने मारे गए सैनिकों के बारे में सार्वजनिक तौर पर सूचना नहीं दी, उससे यहां के लोगों में काफी नाराजगी है। कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व नेता के बेटे जियानली येंग ने चीनी सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा कि चीन की सेना शी जिनपिंग के खिलाफ सशस्त्र विरोध कर सकती है।
Recommended Video
सरकार को है डर
वॉशिंगटन पोस्ट में अपने एक लेख में जियानली येंग ने कहा कि बीजिंग को इस बात का डर है कि अगर वह इस बात को स्वीकार करती है कि उसके सैनिक मारे गए हैं, वो भी भारत के सैनिकों की संख्या में कहीं ज्यादा तो इससे चीन में बड़े घरेलू अशांति आ सकती है और चीनी सरकार पर संकट आ सकता है। हालांकि येंग ने इस बात की जानकारी नहीं दी कि चीन के कितने सैनिक भारत के साथ हिंसा में मारे गए, लेकिन उन्होंने अपने लेख में लिखा है कि भारत की ओर से दावा किया गया है कि चीन के 40 सैनिक मारे गए, लेकिन यह आंकड़ा सही नहीं है।
डगमगा सकती है जिनपिंग की सरकार
येंग ने लिखा कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ के चीन में सत्ता में बने रहने के लिए पीएलए लंबे समय से मजबूत स्तंभ रही है। अगर पीएलए में अपनी सेवाएं दे रहे जवानों का मनोबल गिरता है तो वो लाखों की संख्या में एकजुट हो सकते हैं और एक मजबूत शक्ति बन सकते हैं और शी जिनपिंग की सरकार को मजबूत चुनौती दे सकते हैं। पीएलए पहले से ही शी जिनपिंग सरकार से संतुष्ट नहीं है और बड़ी संख्या में एक ऐसा तबका है कि जो शी जिनपिंग द्वारा पीएलए को व्यवसायिक गतिविधियों से अलग करने के विरोध में है।
भारत ने दिया राजकीय सम्मान
भारत के साथ विवाद के एक हफ्ते के बाद भी चीन ने सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार नहीं किया कि उसके भी जवान इस दौरान मारे गए हैं, जबकि भारत ने अपने जवानों को श्रद्धांजलि दी और उन्हें पूरा राजकीय सम्मान दिया। इसकी बड़ी वजह यह है कि सरकार के भीतर 57 मिलियन जवानों की भावना है जोकि आहत हो सकती है। बहरहाल मौजूदा समय में भारत और चीन के बीच तनाव कम करने के लिए लगातार कोर कमांडर स्तर की बैठक चल रही है, लेकिन अभी तक इसमे कोई पुख्ता समाधान सामने नहीं आ सका है।