UK में 10 जनवरी को नीलाम होगी महात्मा गांधी की कटोरी-चम्मच, जानिए क्या होगी ओपनिंग बोली
नई दिल्ली- आने वाले 10 जनवरी को महात्मा गांधी के निजी उपयोग में लाई गई कटोरी-चम्मचों और छुरी-कांटों की नीलामी होने वाली है। यह नीलामी ब्रिटेन के एक काउंटी ब्रिस्टल में होने वाली है। यह कोरोना का काल है, इसलिए बोली ऑनलाइन होगी, लिहाजा इसकी जो बोली तय की गई है, उससे असल कीमत कई गुना ज्यादा होने की उम्मीद है। क्योंकि, महात्मा गांधी से जुड़ी वस्तुओं की मांग सिर्फ भारतीयों के बीच में ही नहीं है, बल्कि उनके ग्लोबल ऐतिहासिक ब्रांड होने से इसकी डिमांड दुनिया भर के संग्रहकर्ताओं और संस्थाओं में देखी जाती है। इसलिए उनसे जुड़ा हर एक सामान अनोखा है और खासकर जब बात उनकी निजी इस्तेमाल की गई वस्तुओ की आती है तो उसका मिलना ही दुर्लभ हो जाता है।
बापू की किन चीजों की होगी नीलामी
राष्ट्रपिता के इस्तेमाल की हुई जिन वस्तुओं की ब्रिटेन में बोली लगाए जाने की तैयार की गई है, उनमें धातु की एक जंग खाई हुई कटोरी, लकड़ी के दो चम्मच और लकड़ी का ही एक कांटा (fork) शामिल है। जानकारी के मुताबिक बापू के द्वारा इस्तेमाल की हुई ये कटलरी सेट बहुत ही अद्भुत है, जिसे उनके एक प्रसिद्ध अनुयायी सुमति मोरारजी ने तब संग्रह करके रखा था, जब वे उनकी देखभाल करते थे। नीलाम करने वाली संस्था की कैटेलॉग के मुताबिक गांधी जी ने इनका इस्तेमाल 1942 से 1944 के बीच तब किया था, जब उन्हें पुणे के आगा खान पैलेस और फिर मुंबई के पाम बन हाउस में कैद करके रखा गया था। इसके मुताबिक कटोरी के बेस में 208/42 दर्ज है और लकड़ी के चम्मचों पर पारंपरिक नक्काशियां की गई हैं।
शुरुआती बोलिए जानिए
बापू द्वारा इस्तेमाल किए गए इन बर्तनों की शुरुआती बोली 55 हजार पाउंड रखी गई है, जिसकी भारतीय कीमत सभी शुल्क और टैक्स लगाने के बाद करीब 1.2 करोड़ रुपये तक हो सकती है। लेकिन, एक अनुमान है कि इसकी बोली 80 हजार पाउंड तक जा सकती है और उस हिसाब से भारत में इसका मोल 2 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। लेकिन, जैसा कि पहले बताया गया है कि महात्मा गांधी से जुड़ी इन धरोहरों की बोली ऐसे समय में लगाई जा रही है,जिसमें इसकी प्रक्रिया ग्लोबल और ऑनलाइन होगी, इसलिए इसकी बोली अनुमान से भी कई गुना या कम से कम 2 से 3 गुना तक हो सकती है।
बापू से जुड़ी हर धरोहर हैं दुर्लभ
बापू की विरासत से जुड़ी हर चीजें, चाहे वे खत हों, तस्वीरें हों, प्रोट्रेट हों, पुस्तकें हों, उनकी चप्पलें हों या फिर चश्में और दूसरी चीजें दुनियाभर के संग्रहकर्ताओं और संस्थाओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं। ऐसे में बात जब उनके द्वारा निजी इस्तेमाल की गई चीजों की आती है तो वह नीलामी दुर्लभ हो जाती है। सुमति मोरारजी लंबे वक्त तक बापू के मित्र और उनके अनुगामी थे। कई ऐसे मौके आए, जब उन्होंने बापू का ख्याल रखा और यही वजह है कि वे उनकी विरासत के तौर पर इस ऐतिहासिक धरोंहरों को संजो कर रख गए हैं। इन वस्तुओं का जिक्र उन्होंने अपनी पुस्तक में किया है। यही नहीं ये सामान विट्ठलभाई झावेरी की बापू पर बनी महान बायोग्राफी 'गांधी' में भी प्रदर्शित हो चुकी हैं। नीलामी करने वाली संस्था का कहना है कि ये सामान न सिर्फ बापू की यादों को संजोए हैं, बल्कि ये भारत के लिए भी ऐतिहासिक कलाकृतियां हैं।(तस्वीरें सौजन्य-सोशल मीडिया)