अयोध्या: क्यों निमंत्रण के बाद भी राम मंदिर भूमि पूजन में नहीं शामिल हो रहे नेपाल के जानकी मंदिर के महंत
अयोध्या। पांच अगस्त को अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर निर्माण की नींव रखेंगे। भूमि पूजन से पहले अयोध्या में उत्सव का सा माहौल है। करीब 175 लोगों को भूमि पूजन समारोह के लिए आमंत्रित किया गया है जिसमें से 135 संत हैं। इन्हीं संत में एक थे नेपाल के जनकपुर में स्थित जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास और अब वह भूमि पूजन में नहीं आ पा रहे हैं। भारत और नेपाल के बीच तनाव जारी है लेकिन उनके समारोह में शामिल न होने की वजह तनाव नहीं बल्कि कोरोना वायरस है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि महंत दास को बॉर्डर पर कोरोना महामारी के चलते रोक दिया गया है।
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कोरोना वायरस की वजह से बॉर्डर पर रोके गए
नेपाल के जनकपुर में स्थित जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास को कोरोना वायरस महामारी की वजह से बॉर्डर क्रॉस नहीं करने दिया गया। महंत तपेश्वर दास को भेजे गए आमंत्रण को एक बड़ा कदम माना गया था। पिछले दिनों नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने दावा किया था कि असली अयोध्या भारत में नहीं बल्कि नेपाल में है। उन्होंने कहा था कि बीरगुंज में थोरी भगवान राम का असली जन्मस्थल अयोध्या है। उनका कहना था कि भारत उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले को भगवान राम का जन्मस्थल बताता है और यह नकली है। इसके बाद नेपाल के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया था कि ओली का मकसद किसी की भावनाओं को चोट पहुंचाना नहीं था।
जनकपुर का है अलग महत्व
जनकपुरी का जानकी मंदिर साल 2018 में उस समय खबरों में था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल दौरे की शुरुआत यहीं से की थी। जानकी मंदिर की वजह से नेपाल के शहर जनकपुर का भारत के लिए एक अलग महत्व है। जनकपुर का जिक्र रामायण में भी है और कहते हैं कि यह वही जगह है जहां पर राजा जनक को सीता माता एक नन्हीं बच्ची के तौर पर मिली थीं। इस शहर को जनकपुर धाम के तौर पर भी जानते हैं। सोमवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया था कि नेपाल से आ रहे संत भी इस समारोह का हिस्सा होंगे। उन्होंने कहा था कि जनकपुर का बिहार, उत्तर प्रदेश और अयोध्या के साथ एक खास रिश्ता है।
नेपाल का धार्मिक शहर जनकपुर
जनकपुर
नेपाल
के
धार्मिक
और
सांस्कृतिक
पर्यटन
का
केंद्र
है।
इस
शहर
को
जनकपुरधाम
के
तौर
पर
भी
जानते
हैं
और
इसकी
स्थापना
18वीं
सदी
में
हुई
थी।
जनकपुरधाम
विधेय
राजवंश
की
राजधानी
हुआ
करता
था
जिसने
प्राचीन
समय
में
मिथिला
पर
राज
किया
था।
जनकपुर
काठमांडू
से
123
किलोमीटर
दूर
है
और
यह
नेपाल
का
सांतवा
सबसे
ज्यादा
आबादी
वाला
शहर
है।
कई
वर्षों
पहले
तक
नेपाल
रेलवे
की
ओर
से
जनकपुर
और
नेपाल
के
बीच
ट्रेन
का
संचालन
भी
होता
था।
कहते
हैं
कि
राजा
जनक
का
महल
यहीं
जनकपुर
में
था
और
यह
विधेय
की
राजधानी
हुआ
करता
था।
रामायण
के
अनुसार
राजा
जनक
को
यहीं
पर
एक
छोटी
बच्ची
मिली
थी
जिनका
नाम
उन्होंने
सीता
रखा
और
फिर
उसका
पालन-पोषण
अपनी
बेटी
की
तरह
किया।
पीएम मोदी रखेंगे ईंट
पीएम मोदी एक ईंट मंदिर के नींव के तौर पर रखकर इसके निर्माण कार्य का रास्ता खोल देंगे। अयोध्या में इस समारोह से दो दिन पहले से ही कई तरह के धार्मिक कार्य शुरू हो गए हैं। वहीं नींव रखने का पावन मुहूर्त बस 32 सेकेंड का है। यानी पीएम मोदी को 32 सेकेंड के अंदर मंदिर निर्माण की नींव रखनी है। आपको बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य उसी दिन से शुरू हो रहा है जिस दिन जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटे हुए एक साल होने जा रहे हैं। अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतजाम हैं और पूरे शहर को किले में बदल दिया गया है। अयोध्या में एसपीजी ने सुरक्षा संभाल ली है और बॉर्डर सील कर दिए गए हैं।