करोड़पतियों के बच्चों को स्मार्टफ़ोन की लत छुडाने वाला आलीशान क्लिनिक
अमरीका में आईफोन 10 खरीदने के लिए लोगों को करीब 65 हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं और इसकी लत छुड़ाने के लिए करीब 26 लाख रुपये.यानी आईफोन की कीमत का 40 गुना अधिक. यह ख़र्च करोड़पति लोग अपने बच्चों पर कर रहे हैं.पिछले पांच सालों में स्मार्टफोन की मांग बढ़ी है.
अमरीका में आईफोन 10 खरीदने के लिए लोगों को करीब 65 हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं और इसकी लत छुड़ाने के लिए करीब 26 लाख रुपये.
यानी आईफोन की कीमत का 40 गुना अधिक. यह ख़र्च करोड़पति लोग अपने बच्चों पर कर रहे हैं.
पिछले पांच सालों में स्मार्टफोन की मांग बढ़ी है.
सिलिकॉन वैली में बड़ी कंपनियां फ़ेसबुक, ट्विटर, एप्पल और गूगल के आसपास दर्जनों ऐसे विशेष क्लिनिक खुले हैं, जो मोबाइल फोन की लत छुड़ाते हैं.
ये क्लिनिक उन युवाओं के इलाज के लिए खोले गए हैं जो दिन में 20 घंटे तक मोबाइल इस्तेमाल करते हैं.
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क्लिनिक का खर्च
सन फ्रांसिस्को से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर एक हवेली में ऐसा ही एक क्लिनिक खोला गया है.
पहाड़ की सबसे ऊंची चोटी पर हरियाली के बीच स्थापित इस क्लिनिक में युवाओं का 45 दिन तक इलाज किया जाता है.
क्लिनिक का खर्च महंगी सेवाओं के आधार पर तय होते हैं.
अगर लग्जरी लॉन्ज और हॉट टब की सुविधा लेते हैं तो यहां एक रात गुजारने के लिए करीब एक लाख रुपये खर्च करने होंगे.
हवेली के अंदर मोबाइल फोन, लैपटॉप और टैबलेट पर पाबंदी है. यहां कम्प्यूटर का इस्तेमाल सिर्फ क्लासरूम में होते हैं.
युवा इनका इस्तेमाल शिक्षक और साइकोलॉजिस्ट की देखरेख में करते हैं.
यहां मरीजों को स्पेशल थेरेपी दी जाती है ताकि युवाओं को इंटरनेट की लत छुड़ाई जा सके और वे पढ़ाई, परिवार, दोस्तों और ऑफ़लाइन कामों पर समय अधिक दे सकें.
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क्लिनिक के निदेशक डेनिएल कोवाक्स कहते हैं, "हमलोग उनकी जिंदगी ऑफलाइन बनाते हैं, यह हमारे यहां का नियम है. सबसे अच्छा तब लगता है जब युवा हमें खुद धन्यवाद देते हैं और कहते हैं कि वे अब सोशल साइट से ज्यादा खुद का ख्याल रखेंगे."
अमरीका में इंटरनेट की लत को आधिकारिक तौर पर बीमारी नहीं मानी जाती है.
हालांकि ऑस्ट्रेलिया, चीन, इटली और जापान इसे बीमारी मानते हैं. वहीं, दक्षिण कोरिया में इसका इलाज सरकारी अस्पतालों में होता है.
निदेशक डेनिएल कोवाक्स कहते हैं, "इंटरनेट की लत के शिकार बच्चे रात भर फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे साइटों पर गुजारते हैं. वो सुबह स्कूल के लिए उठ नहीं पाते और अपने कामों पर केंद्रित नहीं हो पाते हैं."
वो बताते हैं कि अधिकतर मरीज स्कूल पास होते हैं. जब इंटरनेट कनेक्शन कटने पर बच्चों को गुस्सा आए, सोशल मीडिया का इस्तेमाल छुप-छुप कर करे और झूठ बोले, अकेले समय व्यतीत करने और परिवार से दूर होने लगे तो समझ लेना चाहिए कि बच्चे को इंटरनेट की लत है.
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परिवार से प्यार
कोवाक्स कहते हैं, "अभिभावकों के लिए यह जरूरी है कि वो इंटरनेट प्रयोग की सीमा तय करे. खाने के समय और सोने से पहले कंप्ट्यूट, इंटरनेट, आईपैड और टेलीफोन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाएं."
क्लिनिक में मरीज के लिए लग्जरी कमरें, जहां से वे समुद्र की झलक देख सकते हैं, उपलब्ध होते हैं. एक कमरे में तीन बेड और खुली खिड़कियां होती हैं.
यहां मरीज के परिवारों को भी रखा जाता है ताकि उनके बीच रिश्ते अच्छे हो सके.
कोवाक्स कहते हैं कि पहले मरीजों को कुछ परेशानियां होती है पर धीरे-धीरे उन्हें ऑफलाइन दुनिया से प्रेम करना सीखाया जाता है.
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शारीरिक व्यायाम
वो कहते हैं, "कुछ अभिभावक बतात हैं कि फोन छीने जाने पर उनके बच्चे रोने लगते हैं तो कुछ बच्चे इसके लिए तैयार हो जाते हैं. अधिकतर मामलों में अभिभावक और बच्चे दोनों बदलाव चाहते हैं."
इलाज के दौरान उन्हें कठिन मेहनत करना और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना सीखाया जाता है. सुबह सात बजे मरीज उठते हैं और सभी के साथ कॉफी पीते हैं.
कोवाक्स कहते हैं, "हमलोग दिन की सकारात्मक शुरुआत करते हैं. अच्छा और संतुलित नास्ते के बाद टीम में काम करते हैं."
मरीज यहां अपने पढ़ाई को भी जारी रखते हैं. उन्हें कई तरह की थेरेपी दी जाती है और उनके कौशल का विकास किया जाता है. शारीरिक व्यायाम भी करवाया जाता है.
रात के खाने के समय वे आपस में बात करते हैं और अगले दिन की योजना तय करते हैं.
फिर यहां योगा और अध्यात्म की कक्षाएं भी चलती हैं.